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    सीरिया में कुर्दिश सेना

    डोनाल्ड ट्रम्प ने तुर्की को किये एक फ़ोन कॉल में सीरिया से सैनिको की वापसी का निर्णय सुनाया था, जिससे तुर्की के राष्ट्रपति रिच्चप तैय्यप एर्दोगन चकित रह गए थे। दो सप्ताह पूर्व एक फ़ोन कॉल में उम्मीद के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प को तुर्की के राष्ट्रपति को चेतावनी देनी चाहिए थे, क्योंकि तुर्की अमेरिकी समर्थित कुर्दिश सेना को सीमा पार से निशाना बनाने की कोशिश कर रहा था।

    वार्ता स्तर पर डोनाल्ड ट्रम्प ने मिडिल ईस्ट की अमेरिकी नीति में फेरबदल कर दिया और सीरियाई इलाके पर कब्ज़ा कर के, अंकारा को सीरिया से आईएस का अंत करने का जिम्मा सौंप दिया है। तुर्की के अधिकारी ने बताया कि डोनाल्ड ट्रम्प ने पूछा, अगर हम अपने सैनिकों को वापस बुलाते हैं, तो क्या आप आईएस का अंत कर देंगे?” तुर्की राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि हमारी फौज इस टास्क को करेगी।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने तुरंत कहा, यानी आप कर लोगे। तुर्की अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन भी कॉल पर थे, ट्रम्प ने उनसे सीरिया से सैनिकों को वापस बुलाने के कार्य को श्हुरु करने को कहा था। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक अनेपक्षित निर्णय था, हालातों को बयान करने के लिए ‘आश्चर्य’ बेहद छोटा शब्द होगा।

    अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के निर्णय से वांशिगटन भी हतप्रभ रह गया था, अमेरिकी प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति के दिमाग को बदलने का प्रयास किया, यहाँ तक कि जिम मैटिस ने भी राष्ट्रपति को समझाने का भरसक प्रयास किया। डोनाल्ड ट्रूप ने अपने निर्णय को बदलने के लिए स्पष्ट इनकार कर दिया।

    इराक की यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति के साथ मेरी काफी अच्छी बातचीत हुई थी और वह भी आतंकियों को जड़ से उखाड़ना चाहते हैं, वह यह कर लेंगे।

    डोनाल्ड ट्रम्प का निर्णय तुर्की के लिए एक मौका और जोखिम भी हो सकता है। तुर्की के मुताबिक अमेरिकी समर्थित कुर्दिश वाईपीजी चरमपंथियों का समूह है, यह कुर्दिश वर्कर्स पार्टी से प्रभावित है और उन्होंने तुर्की के दक्षिणीपूर्वी भाग में विद्रोह छेड़ा, जिसमे 40000 लोगों की हत्या हुई थी। हालांकि कुर्दिश सेना पर तुर्की के हमले के बीच में कभी वांशिगटन नहीं आया है, इसकी एक वजह अमेरिका और तुर्की का सम्बन्ध है।

    कुर्दिश सेना ने शुक्रवार को सीरिया की सरकार को मंबिज शहर का नियंत्रण लेने को कहा था, इस इलाके पर अभी अमेरिका के समर्थन से कुर्दिश चरमपंथियों का नियंत्रण है, वह इसे तुर्की के हमले से बचाना चाहते हैं। वांशिगटन इंस्टिट्यूट में तुर्किश प्रोग्राम के निदेशक ने कहा कि “एर्दोगन को उम्मीद से ज्यादा मिला है, उन्होंने मेरिका से सिर्फ कुर्दिश विद्रोहियों का साथ छोड़ने को कहा था, न कि सीरिया से अपनी सेना को वापस बुलाने को।

    अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि सैन्य नीति निर्माता योजना को प्रस्तावित कर रहे हैं। अमेरिका विद्रोहियों को दिए हथियारों को लेकर भी जूझ रहा है, कि वह उन हथियारों का क्या करेगा और वादा किया कि संघर्ष के अंत होते ही सभी हथियारों को वापस ले लिया जायेगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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