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    लालू प्रसाद यादव

    जब से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन छोड़ भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार बनाई है कांग्रेस और आरजेडी लगातार उनपर हमले कर रहीं है। राहुल गाँधी ने नीतीश कुमार को ‘विश्वासघाती’ कहा था और धोखा देने का आरोप लगाया था वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने खुद को ‘भगवान शिव’ बताकर उन्हें ‘भस्मासुर’ की संज्ञा दी थी। अपने अगले बयान में उन्होंने नीतीश कुमार को ‘पलटुराम’ कहा था और बात से पलटने का आरोप लगाया था। नीतीश कुमार के ‘परिवार के लिए नहीं था राजभोग’ वाले बयान पर तो उन्होंने नीतीश कुमार को ही सबसे बड़ा भोगी बता दिया था। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने तो नागपंचमी पर नीतीश कुमार को बधाई दी थी। उसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार की तुलना सांप से करते हुए कहा कि नीतीश हर दो साल में अपना चमड़ा बदल लेते हैं। अपनी सरकार बचाने के लिए और सत्तालोभ में वह किसी के भी साथ जा सकते हैं और उनके पिछले कार्यकाल इस बात का सबूत हैं।

    यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार पर विपक्ष ने कोई टिप्पणी की हो। इससे पहले भी लालू यादव नीतीश कुमार को भाजपा और आरएसएस की गोद में बैठने वाला बता चुके हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने पर तंज कस्ते हुए कहा था कि ‘ ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे’। इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। लालू यादव के इस बयान के बाद लोगों ने उल्टा लालू यादव को ही आड़े हाथों ले लिया है। नीतीश कुमार के निर्णय को सही ठहराते हुए लोगों ने कहा कि लालू यादव पहले से ही इन सब पराकाष्ठाओं को पार कर चुके हैं। अब वो किसी पर आरोप लगाए या बात जमती नहीं। एक यूज़र जीतेन्द्र सिंह ने नीतीश कुमार को चन्दन कहते हुए लिखा है-

    ‘जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग, चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग’

    नीतीश जी आप चन्दन थे। सांप की संगति में रहकर भी आपने अपनी शीतलता नहीं छोड़ी और अब सांप फुंफकार मार रहा है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।