सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार ने लोक सभा चुनाव से पहले सौगात देने का फैसला किया है।
इस फैसले के अंतर्गत सरकार सोशल सिक्यॉरिटी कॉन्ट्रिब्यूशन यानी प्रविडेंट फंड जैसे मद में सैलरी से योगदान को घटाने की तैयारी कर रही है।
इसका मतलब यह की अब आपके वेतन का कम हिस्सा ही प्रविडेंट फंड में कटेगा यानी इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अधिक रकम आएगी।
इसके लिए अभी लेबर मिनिस्ट्री, कॉन्ट्रिब्यूशन लिमिट की समीक्षा कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह समिति इस महीने के अंत तक इस पर अपने विचार व्यक्त करेगी।
ऐसे क़यास लगाए जा रहे है कि एंप्लॉयी कॉन्ट्रिब्यूशन में कम से कम 2 पर्सेंट की कमी की जा सकती है। सरल भाषा में मतलब अभी सोशल सिक्यॉरिटी कॉन्ट्रिब्यूशन एंप्लॉयीज की बेसिक सैलरी का 24 पर्सेंट है।
इसमें एंप्लॉयी का 12 पर्सेंट हिस्सा शामिल है, जो प्रविडेंट फंड अकाउंट में जाता है। परन्तु बदलाव के बाद एंप्लॉयी और कंपनी दोनों में से प्रत्येक का हिस्सा घटकर 10 पर्सेंट रह सकता है।
इससे वर्कर्स को हाथ में अधिक सैलरी मिलेगी। इस कदम के तहत कंपनियों के कॉन्ट्रिब्यूशन में भी कटौती की जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, ‘हम सोशल सिक्यॉरिटी कवरेज का दायरा 5 गुना बढ़ा रहे हैं। हमें लगता है कि आगे चलकर कंपनी और एंप्लॉयी के कॉन्ट्रिब्यूशन में कमी सबके हित में है।’
सरकार को उम्मीद है कि सोशल सिक्यॉरिटी के दायरे में आने वाले वर्कर्स की संख्या अभी के 10 करोड़ से बढ़कर 50 करोड़ हो जाएगी।’
सरकार के इस कदम से सरकारी कर्मचारियों को थोड़ी रहत मिलेगी। सातवां वेतन आयोग भी अभी अधर में लटका हैं परन्तु यह कदम काफी हद तक रिहायत प्रदान करेगा।
सरकार की तरफ से यह कदम चुनावो के उपलक्ष में लिया गया है जिसके तहत सरकार सरकारी कर्मचारियों को अपने खेमे में करना चाहती है।