विषय-सूचि
इस लेख में हमनें अलंकार के भेद श्लेष अलंकार के बारे में चर्चा की है।
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श्लेष अलंकार की परिभाषा
श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।
यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। जैसे:
श्लेष अलंकार के उदाहरण
- रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है :
- पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए।
- पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है. रहीम कहते हैं कि चमक के बिना मोती का कोई मूल्य नहीं ।
- पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा ।
- जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय ।बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय।
जैसा कि आप ऊपर उदाहरण में देख सकते हैं कि रहीम जी ने दोहे के द्वारा दीये एवं कुपुत्र के चरित्र को एक जैसा दर्शाने की कोशिश की है। रहीम जी कहते हैं कि शुरू में दोनों ही उजाला करते हैं लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है।
यहाँ बढे शब्द से दो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं। दीपक के सन्दर्भ में बढ़ने का मतलब है बुझ जाना जिससे अन्धेरा हो जाता है। कुपुत्र के सन्दर्भ में बढ़ने से मतलब है बड़ा हो जाना।
बड़े होने पर कुपुत्र कुकर्म करता है जिससे परिवार में अँधेरा छा जात है। एक शब्द से ही डो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं हरि शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है लेकिन उसके दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है बन्दर एवं दूसरा अर्थ है भगवान।
यह दोहा बंदरों के सन्दर्भ में भी हो सकता है एवं भगवान के सन्दर्भ में भी। एक सहबद से डो अर्थ निकल रहे हैं, अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त।।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि रज शब्द से डो अर्थ निकल रहे हैं पहला है अहंकार तथा दूसरा धुल।
एक शब्द से नही दो अर्थ निकल रहे है पहला है पहला प्रेम एवं दूसरा तेल। अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई। दुर्दिन में आंसू बनकर आज बरसने आई ।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ घनीभूत शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ है मनुष्य के मन में कुछ समय से इकट्ठी पीड़ा जो अब आँसू के रूप में बह निकली है। दूसरा अर्थ है मेघ बनी हुई अर्थात बादल जो कुछ दिनों से पानी को इकठ्ठा कर रहे थे वे अब उसे बरसा रहे हैं।
इस उदाहरण में दुर्दिन शब्द से भी दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ है बुरे दिन जब पीड़ा की वजह से आँसू बह रहे हैं। दूसरा अर्थ है बारिश के दिन जब बादल कुछ दिनों से इकट्ठे किये गए पानी को बरसाते हैं।
- पी तुम्हारी मुख बास तरंग आज बौरे भौरे सहकार।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ बौरे शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं। पहला अर्थ भौरे के लिए मस्त होना प्रतीत हुआ है। दूसरा अर्थ आम के प्रसंग में प्रतीत हुआ है यहां आम के मंजरी निकलना बताया गया है।
एक शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएंगे।
- रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कि सिलीमुख शब्द के दो अर्थ निकल रहे हैं। इस शब्द का पहला अर्थ बाण से एवं दूसरा अर्थ भ्रमर से है।
जैसा की आपने देखा इस वाक्य में ही शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- मधुबन की छाती को देखो, सूखी इसकी कितनी कलियाँ।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कवि द्वारा कलि शब्द का प्रयोग दो अर्थ प्रकट करने के लिए किया गया है : कलि का एक मतलब है फूलों की खिलने से पहले की अवस्था एवं कलि का दूसरा मतलब है योवन आने से पहली की अवस्था। इस प्रकार कलि शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं। अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय।।
ऊपर दिए गए काव्यांश में कवि द्वारा हरित शब्द का प्रयोग दो अर्थ प्रकट करने के लिए किया है। यहाँ हरित शब्द के अर्थ हैं- हर्षित (प्रसन्न होना) और हरे रंग का होना। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा क्योंकि एक ही शब्द के दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं।
श्लेष अलंकार के बारे में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
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- यमक और श्लेष अलंकार में अंतर
Hum is jankari see poorn santust hair.
Main bhi himanshu g
O
very nice
Bahut help ki hai
Write more example and more
Bhrantiman alankar aur sandeh alankar nhi hai
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सूना
पानी गए न ऊबरे मोती मानुस चून।
उपर्युक्त उदाहरण में पानी शब्द का तीन बार प्रयोग होने के कारण व परिभाषा के अनुसार यमक अलंकार होता है किन्तु बार-बार इसके एक पानी को इंगित करके श्लेष अलंकार क्यो कहा जाता है? इससे छात्र भ्रमित हो जाते हैं ।
जब किसी एक ही शब्द से एक से अधिक अर्थ निकलते हों तो तब श्लेष अलंकार होता है जैसे ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘पानी’ एक से अधिक अर्थ निकल रहे हैं। हालांकि इसमें समान शब्द की आवृति हो रही है, लेकिन यदि भिन्न अर्थ निकल रहे हैं तो श्लेष अलंकार ही होगा।
Asa mene khi pdha he ki phli pankti ko chor ke dusre pankti pr dhyan dena he
Dekhiye confuse hona compulsury hai
Aapne yahan yah dekha ki pani shabd teen baar prayukt hua hai
Lekin uper wale dono ke mean se matlab nahi hai
Neeche wala pani shabd manushya choon moti ke sandarbh me prayog karte hue alag alag mean nikala gaya hai
Yamak alankaar me kisi shabd ya shabd group ki ek se adhik baar prayukt hota hai lekin arth alag alag hote hain
Very helpful website for alankar.
thnq so much for the help
I am comfortable for this example and definition
Thanku so much ?
Sir ye galat lag raha hai rahiman pani rakhiye. Ye vala yamak alankar lag rahaa. Jaldi batao
जब किसी एक ही शब्द से एक से अधिक अर्थ निकलते हों तो तब श्लेष अलंकार होता है जैसे ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘पानी’ एक से अधिक अर्थ निकल रहे हैं। हालांकि इसमें समान शब्द की आवृति हो रही है, लेकिन यदि भिन्न अर्थ निकल रहे हैं तो श्लेष अलंकार ही होगा।
यमक आर श्लेष अलंकार के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं :
https://hindi.theindianwire.com/यमक-श्लेष-अलंकार-अंतर-44590/
Yes it is yamak alankar but also shlesh.
I’m satisfied from this example
Bhut accha example….
Thanks very much for the example it helped me a lot ??
Thanks for the example it helped me a lot
Bahut sunder explaination. Mera sadar pranaam 🙂
More example please
सर मुझे श्लेषअलंकार पहचान ने मे दिक्कत हो रही हैं आप के पास समय है तो समझाए
Very good examples
Isme paani sbadh ka tin baar pryog hua hai to ye kaise shlesh alnakar hoga
Thanks a lot for easy examples with explanation.
I m glad to see the examples😊😊
Very good
Nice example
श्लेष अलंकार को और अधिक स्पष्टता के साथ समझाने की कृपा करें ।
SIYA MUKH CHANDRA SAMAN
HE PRITAM BATLA DO MERA LAL KAHA
LAL KA MEAN HAI
1__LAL(COLOUR)
2_LAL (EK LAL RATAN HOTA H)
3__Lal(beta)
PAHLA EXAMPLE ME PANI SHABDA 3 BAR
PRAYUKT HUYA HAI AUR HAR BAR USKA ARTH BHIN BHIN HAI TO YAH GALAT HAI
(EXAMPLE 1)
Very helpful
शूद्र ,गवार ,ढ़ोल , पशु ,नारी |
सकल ‘ताड़ना’ के अधिकारी ||
क्या इसमें भी श्लेष अलंकार है ?
अगर हां , तो यह बहुत बड़ा सबक होगा उन लोगो के लिए जो समाज मे जहर फैला चुके है
Are yar Shabd bhale avriti kare Arth alag ho to slesh hi hoga
Thanks a lot for easy example 😊
Very easy example
30 years ago my Hindi teacher was explaining Mira Bai’s famous poem ‘Main nahi makhan khayo’. He said ‘main nahi’ has two opposite meaning: main nahi (I did not) and maine hi (I only). Now I think it falls under Shleshalankaar. Interesting, isn’t it?
AWESOME THANK YOU