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    शिवा थापा

    गुवाहाटी, 19 मई (आईएएनएस)| बीते साल इंडिया ओपन में आठ पदक जीतने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 20 मई से कर्मवीर नबीन चंद्र बोडरेलोई इंडोर स्टेडियम में शुरू हो रहे टूर्नामेंट के दूसरे संस्करण में चमकदार प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त है।

    अपने अटैकिंग गेम को दुरुस्त करने के लिए जोरदार मेहनत करने वाले भारतीय खिलाड़ियों के लिए इंडिया ओपन एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां वे कठिन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के बावजूद अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं।

    भारत के चीफ परफार्मेस डाइरेक्टर सैंटियागो नीएवा ने कहा, “हम बीते कुछ महीनों से अपने मुक्केबाजों को इस तरह तैयार कर रहे हैं कि वे डिफेंसिव से ऑफेंसिंव मोड पर आसानी से आ सकते हैं और उसे कारगर भी बना सकते हैं।”

    उन्होंने कहा, “इससे हमारे कई मुक्केबाजों को फायदा हुआ है और अब वे काफी आक्रामक अंदाज में रिंग में उतरते हैं। साथ ही वे जब जरूरत होती है, जो अपनी रणनीति में बदलाव भी करते हैं।”

    बीते महीने आयोजित एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों को इस रणनीति के तहत तैयारी का फायदा मिला है और वे इस आयोजन में कुल 13 पदक जीतने में सफल रहे। इससे कई मुक्केबाजों को व्यक्तिगत तौर पर भी फायदा हुआ है।

    बीते साल इंडिया ओपन में 60 किग्रा वर्ग में मनीष कौशिक के हाथों सेमीफाइनल में चौंकाने वाली हार झेलने वाले विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीत चुके शिवा थापा ने माना कि इस रणनीति के तहत तैयार करने से उनके खेल में सुधार आया है। 25 साल के थापा ने अपने खेल में सुधार और बदलाव के लिए कोचों के साथ जमकर मेहनत की और इसका फायदा उन्हें एशियाई चैम्पियनशिप में हुआ, जहां वे कांस्य जीतने में सफल रहे।

    थापा ने कहा, “मैंने अपना खेल बदल लिया है। एशियाई चैम्पियनशिप में मैं काफी आजाद होकर खेला था। अब मैं अधिक आक्रामक हो गया हूं। मेरी यह नई शैली है और मैंने यह शैली अपने कोचों से सीखी है, जो लगातार मेरी तकनीक सुधारने में लगे हुए हैं।”

    भारतीय मुक्केबाजों के आत्मविश्वास ने विदेशी कोचों को हिला दिया है। अब वे इस टूर्नामेंट के शुरू होने के काफी पहले से भारतीय खिलाड़ियों की शैली का अध्ययन कर रहे हैं।

    पूर्व एशियाई चैम्पियन और दो बार के ओलम्पिक मुक्केबाज थाईलैंड के चातचाई देचा बुतदी मानते हैं कि 56 किग्रा वर्ग में चुनौती कठिन है। 2019 एशियाई चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता कविंदर सिंह बिष्ट और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाले मोहम्मद हुसामुद्दीन के रहते इस वर्ग में दूसरे मुक्केबाजों के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

    थाई मुक्केबाज ने कहा, “मैंने कविंदर का वीडियो देखा है क्योंकि मैं उनकी स्टाइल के बारे में जानना चाहता था। मैंने 56 किग्रा एशियाई चैम्पियनशिप फाइनल भी देखा था। वह आसान प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं।”

    इंडिया ओपन 2019 में 16 देश हिस्सा ले रहे हैं। इसमें 200 मुक्केबाजों के लिए पोडियम फिनिश करने की जंग होगी। प्रीलिम मुकाबले 20 से 21 मई के बीच होंगे और इसके बाद क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल होंगे। फाइनल 24 मई को खेला जाएगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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