पाकिस्तान वैश्विक दबाव के बाद आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटा हुआ है। इस्लामाबाद सरकार की इस सख्त कार्रवाई की पुष्टि सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने की है। पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वैश्विक जगत द्वारा दबाव बनाया जा रहा है।
पाकिस्तान आतंकियों पर कार्रवाई को गंभीर
सूचना मंत्री ने डॉन न्यूज़ चैनल से रविवार को कहा कि “पाकिस्तान ने सभी चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दृढ निर्णय लिया है और यह नेशनल एक्शन प्लान के तहत होगा।” एनएपी को अंतिम रूप साल 2014 में तालिबान द्वारा पेशावर के आर्मी स्कूल में हमले के बाद दिया गया था, इसमें 150 से अधिक लोगों ली मृत्यु हुई थी।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि “जब चीज़ों में प्रगति होगी, कार्रवाई दिखने लगेगी। जेईएम, जेयूडी और एफआईएफ के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। मसूद अज़हर को यूएन में आतंकियों की फेरहिस्त में शामिल करने पर पाकिस्तान अपने मत की समीक्षा कर सकता है।”
सहयोगियों की परीक्षा नहीं लेंगे
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान से अधिक कोई महत्वपूर्ण नहीं है। पाकिस्तान इसे अहम से जुड़ा मसला नहीं बनाएगा। चीन द्वारा यूएन में मसूद अज़हर के समर्थन पर कहा कि पाकिस्तान अब अपने मित्रों की परीक्षा नहीं लेगा। चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला पुलवामा आतंकी हमले के पूर्व ही ले लिया गया था। हालाँकि इस काफी बाद में सार्वजनिक किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक “एफएटीएफ के 10 पॉइंट के एक्शन प्लान के तहत 27 लक्ष्य अब खान सरकार की प्राथमिकता में शुमार है।” पाकिस्तान की फाइनेंसियल मॉनिटरिंग यूनिट ने साल 2018 में 8707 संदिग्ध ट्रांसक्शन की रिपोर्ट जारी की है, जबकि साल 2017 में यह 5548 थे।
एफएटीएफ की चेतावनी
भारत के कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी के हमले की आलोचना करते हुए पेरिस में स्थित ग्लोबल फाइनेंसियल वाचडॉग ने बीते माह पाकिस्तान को आतंकियों को वित्तीय सहायता मुहैया करने और मनी लॉन्ड्रिंग पर शिकंजा न कसने के कारण चेतावनी दी थी।
इस घटना के बाद भारत पाकिस्तान संबंधों में काफी तनाव आ गया था।
एफएटीएफ की आलोचना के बाद ही पाकिस्तान ने जमात उद दावा और फलाह ई इंसानियत पर दोबारा प्रतिबन्ध लगा दिए थे। एफएटीएफ से ब्लैकलिस्ट होने का मतलब, देश विश्व के साथ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से लड़ने के लिए गंभीर नहीं हैं।