Thu. Apr 18th, 2024
    नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई बार भारत की अत्यधिक शुल्क थोपने के कारण आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि वह भारत से कर मुक्त देश का दर्जा छीन सकते हैं।

    इस कार्यक्रम के तहत भारत के 5.6 अरब डॉलर के उत्पाद बिना किसी शुल्क में अमेरिकी बाजार में प्रवेश करते हैं। जाहिर है व्यापार के मामले में भारत अमेरिका सम्बन्ध काफी प्रगाढ़ हैं।

    कर मुक्त देश का दर्जा छीनने की तैयारी

    डोनाल्ड ट्रम्प सभी देशों के साथ व्यापार घाटे को खत्म करना चाहते हैं और भारत की कई बार इस बाबत आलोचना कर चुके हैं। कांग्रेस के सांसदों को दिए पत्र में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “भारत सरकार और मध्य हुए गहन समझौते के कारण मैं यह निर्णय ले रहा हूँ, मुझे भान हुआ है कि भारत अमेरिका को सुनिश्चित करने में असफल रहा है कि वह अपने बाजार में अमेरकी उत्पादों को बराबर और तर्कसंगत पंहुच मुहैया करेगा।”

    अमेरिकी ट्रेड रेप्रेसेंटिव ऑफिस ने कहा कि “भारत से कर मुक्त देश का दर्जा छीनने के बाद 60 दिनों तक वह प्रभावित नहीं होंगे। यह राष्ट्रपति के ऐलान के बाद ही अमल में लाया जायेगा।” भारत और अमेरिका के बीच साल 2017 में 27.3 अरब डॉलर का व्यापार घाटा रहा है।

    भारत की आलोचना

    हाल ही में भारत ने ई-कॉमर्स के लिए नए नियम लागू किये थे, जिससे अमेरिका की अमेज़ॉन डॉट कॉम और वॉलमार्ट से जुड़ी फ्लिपकार्ट को काफी नुकसान हुआ था।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “भारत अत्याधिक शुल्क वाला देश है। जब हम वहां मोटर साइकिल भेजते हैं तो वह 100 फीसदी टैरिफ लगाते हैं। जब भारत यहां मोटर साइकिल भेजता है, हम कोई कर नहीं लगाते। मैं पारस्परिक शुल्क लगाना चाहता है, कम से कम मैं शुल्क तो लेना चाहता हूँ।”

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर अक्टूबर में अमेरिकी उत्पादों पर अधिक अतिरिक्त शुल्क वसूलने का आरोप लगाया था।उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ अर्थात कर वसूलने का बादशाह कहकर संबोधित किया। उन्होंने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि भारत अमेरिकी सामान पर सबसे ज्यादा शुल्क वसूलता है साथ ही उन्होंने हार्ले डेविडसन का उदाहरण भी दिया।

    भारत पर क्या होगा असर?

    डोनाल्ड ट्रम्प के इस बयान के बाद भारत में भी विशेषज्ञ इस बात पर विचार कर रहे हैं, कि इस फैसले का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

    वाणिज्य सेक्रेटरी अनूप वाधवा नें इस बारे में कहा है, “हमारा मानना है कि इस फैसले से भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात किये जा रहे 5.6 अरब डॉलर के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”

    अनूप नें यह भी कहा कि “अमेरिका को यह देखना चाहिए कि भारत मुख्य रूप से दवाइयों का निर्यात करता है, जिनपर मुनाफा काफी कम होता है और जिनका उद्देश्य लोगों की भलाई होता है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *