Fri. Apr 26th, 2024
    एच डी देवेगौडा

    लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तनाव की स्थिति पैसा हो गई है। जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवेगौडा ने लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादा जेडीएस को ज्यादा सीटें दिए जाने की मांग की है।

    दूसरी तरफ मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ईट से उत्साहित कांग्रेस हर राज्य में बड़े भाई की भूमिका निभाने की तैयारी कर रही है। ज्यादा विधायक ले कर भी अपने से छोटी पार्टी को मुख्यमंत्री पद देने वाली कांग्रेस कर्नाटक में अपने पास लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादा सीटें रखना चाहती है।

    नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को मीडिया से बात करते हुए कहा है कि देवेगौडा ने कहा कि उनकी पार्टी जेडीएस राज्य की 28 में से 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालाँकि देवेगौडा ने कहा कि कांग्रेस को जेडीएस को कम से कम 9 सीटें देनी चाहिए जिससे कांग्रेस और जेडीएस के बीच सीटों का अनुपात 2:1 हो जाएगा।

    देवेगौडा ने कहा “कांग्रेस ने हमें बिना शर्त समर्थन दिया है। उन्हें इसका सम्मान करना चाहिए। हम कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 12 की मांग कर रहे हैं। उन्हें हमें कम से कम नौ सीटें देनी चाहिए। 1/3 सूत्र सभी पर लागू होता है।

    फ़ॉर्मूला के हिसाब से कांग्रेस राज्य की 28 में से 18-19 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जबकि शेष सीटें सहयोगियों को जा सकती है।

    देवेगौडा की मांग ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने आरोप लगाया था कि  भाजपा विधायकों को 25 से 30 करोड़ रुपये देकर गठबंधन सरकार को गिराने के लिए नए प्रयास कर रही है।

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री, बीएस येदियुरप्पा ने हालांकि आरोप को खारिज कर दिया, और सिद्धारमैया को जिम्मेदारी से बोलने और अपने आरोप को वापस लेने या सबूत पेश करने की चुनौती दी थी।

    राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, ये जानते हुए कि लोकसभा चुनाव नजदीक है, कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता गंवाना नहीं चाहेगी। स्थिति को भांपते हुए देवेगौडा कड़े मोलभाव पर उतर आये हैं।

    2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 सीटों में से 17 सीटों पर कब्जा किया था जबकि कांग्रेस के खाते में 9 सीटें और जेडीएस के खाते में 2 सीट आई थी। 2014 में जेडीएस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

    2014 में जेडीएस को सिर्फ 11.07 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा ने 43.37 फीसदी वोटों पर कब्ज़ा जमाया था और कांग्रेस को 41.15 फीसदी वोट मिले थे।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *