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    कृत्रिम बारिश

    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वायु प्रदुषण काबू से बाहर हो गया है। ताजा शोध के मुताबिक लखनऊ का प्रदुषण स्तर दिल्ली से भी कहीं ज्यादा है। इसपर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने शहर के ऊपर कृत्रिम बारिश कराने का फैसला किया है।

    कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्य में स्थित आईआईटी कानपुर से इस मामले में शायद करने को कहा था। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल ने बताया, ‘आईआईटी कानपुर को कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश विज्ञान और तकनीकीं विभाग की तरफ से कृत्रिम बारिश पर एक प्रोजेक्ट मिला था। इसके लिए, संस्था को 15 लाख रूपए की सहायता राशि दी गयी है।’

    उन्होंने आगे बताया कि शहर में पहली कृत्रिम बारिश से पहले बस केंद्रीय नगर विमान मंत्रालय से अनुमति बाकी है। अनुमति मिलते ही लखनऊ में कृत्रिम बारिश की जायेगी।

    जाहिर है 15 नवंबर को योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बढ़ते प्रदुषण को रोकने के लिए एक बैठक की थी, जिसमे इस योजना पर चर्चा हुई थी।

    कृत्रिम बारिश से प्रदुषण कैसे होगा कम?

    इसके तहत सबसे पहले सिल्वर आयोडाइड जैसे रासायनिक पदार्थों को हवाई विमान के जरिये वातावरण में छिड़का जाता है। जैसे ही इन रासायनिक पदार्थों का संपर्क बादलों से होता है, ये बादलों में घुल जाते हैं।

    बादलों में घुलने के बाद ये पदार्थ बर्फ जैसा आकार ले लेते हैं। धीरे धीरे ये भारी हो जाते हैं, और बारिश के रूप में धरती पर गिर जाते हैं।

    धरती पर गिरते समय वायु में जो भी प्रदूषित कण मौजूद होते हैं, वे बारिश के साथ मिलकर नीचे आ जाते हैं, जिससे वायु शुद्ध हो जाती है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।