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    आधार की गोपनीयता

    देश में आधार सुरक्षा को लेकर उठ रही आवाजों के बीच यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) की शीर्ष टीम डमी नंबरों को शुरू करने की ऐसी संभावना तलाश रही है, जिसके जरिए कार्डधारक अपनी आधार संख्या अधिक सुरक्षित बना सकेंगे।
    इसके लिए संबंधित व्यक्ति को किसी भी सरकारी एजेंसी, बैंकों, एटीएम आदि को डमी नंबर देने होंगे ना कि वास्तविक आधार संख्या।

    वास्तविक आधार संख्या की जानकारी केवल कार्डधारक और यूआईडीएआई के पास ही होगी। इंडस्ट्री के दो सीनियर पर्सन ने ईटी को बताया कि आधार को और अधिक सुरक्षित बनाने की अवधारणा को लेकर उच्च स्तर पर चर्चा की जा चुकी है, लेकिन अभी इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

    इस योजना के तहत यदि कोई भी व्यक्ति अपनी आधार संख्या के लिए हर सेवाओं में स्थायी डमी नंबर देता है तो इससे मदद नहीं मिलेगी क्योंकि आधार का काम केवल प्रमाणीकरण है। आधार केवल यही सुनिश्चित करता है कि सेवाओं का उपयोग कर रहा व्यक्ति कहीं गलत तो नहीं।

    उदाहरण के लिए हर शख्स को बिजली कंपनी, टेलिफोन कंपनी तथा आॅनलाइन पेंमेट करते समय अलग-अलग डमी नंबर देने होंगे ना कि स्थायी डमी नंबर। ऐसे में अलग-अलग डमी नंबर देने से किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा को ट्रैक करना काफी मुश्किल काम होगा।
    हांलाकि अभी तक इस योजना को लेकर यूआईडीएआई ने कोई विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं कराया है।

    कई लोगों ने एसएमएस, व्हाट्सएप तथा फोन कॉल्स के जरिए इस विषय में पूरी जानकारी मांगी है, लेकिन यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अजय भूषण पांडे की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। एक अन्य व्यक्ति का कहना है कि डेटा सिक्योरिटी के हिसाब से यह उपयोगी हो सकता है, लेकिन यूजर्स द्वारा डमी नंबर का इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक होगा ये तो बाद में ही तय हो पाएगा।

    दरअसल यूआईडीएआई संवैधानिक प्राधिकरण है जो व्यक्ति की सटीक पहचान के लिए आधार संख्या जारी करती है। यही नहीं यूआईडीएआई प्रमाणिक रिकॉर्ड की जानकारी भी सुनिश्चित करती है। फिलहाल व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता को लेकर यूआईडीएआई के विरूद्ध कई उच्च न्यायालयों में मुकदमें भी दर्ज कराए जा चुके हैं।

    आधार अधिनियम 2016 के तहत स्थापित संगठन यूआईडीएआई के तहत सरकारी निर्देशानुसार यदि कोई व्यक्ति अपने बैंक अकाउंटस को 31 दिसंबर 2017 तक आधार से लिंक नहीं कराता है तो उसके बैंक खाते को बंद कर दिया जाएगा। कुछ आधार आलोचक विभिन्न सेवाओं में आधार अनिवार्यता को लेकर विरोध दर्ज करा चुके हैं। इन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आधार संबंधी ​नियमों में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। आधार अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट 28 नंवबर को सुनवाई शुरू करेगा।