Mon. Dec 23rd, 2024
    अमित शाह

    इस वर्ष के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव होने प्रस्तावित हैं। गुजरात में पिछले 19 सालों से भाजपा का शासन है और अब गुजरात भाजपा का गढ़ बन चुका है। पिछले दो दशकों से कांग्रेस गुजरात में लगातार ढ़लान पर है और कांग्रेस आलाकमान इसे बखूबी समझता है। शायद इसी वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पिछले कुछ समय से गुजरात में काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनावों के प्रचार में जुटी कांग्रेस का पूरा ध्यान भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदार समाज पर है जो कभी भाजपा का परम्परागत वोटबैंक हुआ करता था। कांग्रेस की सियासी रणनीति के तहत कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने नवरात्रि के दौरान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र का दौरा किया था। सौराष्ट्र दौरे के दौरान राहुल गाँधी का स्वागत पाटीदार आन्दोलन के अगुआ रहे हार्दिक पटेल ने किया था।

    दोनों की मुलाकात के बाद से ही इस बात के कयास लगने शुरू गए थे कि गुजरात कांग्रेस हार्दिक पटेल से हाथ मिलाकर चुनावों में उतर सकती है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के महत्वाकांक्षी “मिशन गुजरात” का यह अभिन्न हिस्सा था। आरक्षण की मांगों के चलते पाटीदार समाज की नाराजगी से गुजरात में भाजपा का परम्परागत वोटबैंक उससे कट गया था और भाजपा बैकफुट पर थी। राहुल गाँधी ने अपने हालिया गुजरात दौरे में गुजरात के सत्ताधारी भाजपा सरकार के साथ-साथ केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार पर भी हमला बोला था। अब भाजपा राहुल गाँधी की गुजरात यात्रा से कांग्रेस के पक्ष में बने सियासी माहौल को अपनी तरफ मोड़ने की तैयारी में है। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रविवार को गुजरात पहुँचे। उन्होंने लौह पुरुष सरदार पटेल की जन्मभूमि करमसद से अपने गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की।

    सियासी चक्रव्यूह रचने में जुटा भाजपा का चाणक्य

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की इस गुजरात यात्रा की सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर भाजपा का चाणक्य अब कौन सा सियासी चक्रव्यूह रचने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात से दिल्ली जाने के बाद गुजरात भाजपा को अभी तक कोई सशक्त चेहरा नहीं मिल सका है जिसे आगे रखकर भाजपा चुनावी दंगल में उतर सके। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में चुनाव प्रचार कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात के सियासत की गहरी समझ है और पिछले 4 विधानससभा चुनावों से उनकी और नरेंद्र मोदी की जोड़ी भाजपा की जीत की कहानी लिखती आई है। उम्मीद है वह इसे एक बार फिर दोहराने में कामयाब होंगे।

    नाराज पाटीदारों को मनाना बड़ी चुनौती

    कभी भाजपा का परम्परागत वोटबैंक रहा गुजरात का पाटीदार समाज आजकल भाजपा से रुष्ट चल रहा है। इस नाराजगी की प्रमुख वजह है जातिगत आरक्षण को लेकर हुआ पाटीदार आन्दोलन। गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार ने पाटीदार समाज की आरक्षण की मांग को ठुकरा दिया था और इस वजह से यह समाज भाजपा से कट चुका है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की सौराष्ट्र यात्रा के दौरान पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल उनसे मिले थे और उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी। इसके बाद गुजरात में भाजपा की मुश्किलें और बढ़ गई थी। पाटीदार समाज पिछले काफी समय से भाजपा का वोटबैंक रहा है और हर बार गुजरात जीतने में इसने अहम भूमिका निभाई है। पर इस बार हालात कुछ बदले से नजर आ रहे हैं।

    पाटीदार समाज को साधने के लिए अमित शाह ने रविवार, 1 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार पटेल की जन्मभूमि करमसद में उनके पैतृक घर से गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान 4-5 लोगों ने पाटीदार आरक्षण की मांग करते हुए नारेबाजी की जिसपर उन्हें स्थानीय पुलिस पकड़कर ले गई। अमित शाह को अच्छी तरह पता है कि गुजरात जीतने के लिए पाटीदार वोटों की क्या अहमियत है। गुजरात की 70 विधानसभा सीटें पाटीदारों के प्रभाव क्षेत्र में आती है और वह यहाँ निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। पिछले कई चुनावों से भाजपा और कांग्रेस के बीच का मतान्तर 10 फीसदी ही रहा है। गुजरात में पाटीदार समाज के वोटरों की संख्या कुल वोटरों के संख्या की 20 फीसदी है। ऐसे में पाटीदार समाज का कांग्रेस की तरफ झुकाव गुजरात में भाजपा का सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है।

    पाटीदारों को साधने के लिए भाजपा का पाटीदार कार्ड

    भाजपा के लिए गुजरात में सबसे बड़ी दिक्कत पाटीदार समाज की नाराजगी है। पाटीदार समाज गुजरात की 20 फीसदी मतदाता आबादी का नेतृत्व करता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात गौरव यात्रा के दौरान जिन दो चेहरों को आगे कर रहे हैं वह दोनों ही पाटीदार समाज से हैं। गुजरात सरकार के दो पूर्व मंत्रियों को इस यात्रा का प्रभारी बनाया गया है। इनके नाम कौशिक पटेल और गोरधन झडफिया है। गुजरात के पाटीदार समाज की दो बिरादरी हैं, लेउवा और कड़वा। पाटीदार आन्दोलन के मुखिया हार्दिक पटेल कड़वा बिरादरी से हैं। कड़वा बिरादरी की कुल जनसंख्या पाटीदार समाज की कुल जनसंख्या का 40 फीसदी है।

    2012 के विधानसभा चुनावों में कड़वा बिरादरी के 82 फीसदी वोट भाजपा को मिले थे। लेउवा बिरादरी के 63 फीसदी वोटरों ने भाजपा को चुना था। 80 के दशक से ही पाटीदार समाज के 80 फीसदी वोटर भाजपा के पक्ष में मतदान करते आए हैं। इसी वजह से पाटीदार समाज को भाजपा का पारम्परिक वोटबैंक कहा जाता रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को 50 फीसदी मत मिले थे वहीँ कांग्रेस को तकरीबन 40 फीसदी मत मिले थे। पाटीदार समाज के वोटरों के मत प्रतिशत 20 है। इस लिहाजन अगर 80 फीसदी पाटीदार कांग्रेस के साथ हो जाए और मुस्लिम दलित एक होकर कांग्रेस का साथ दे दें तो भाजपा के लिए गुजरात बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

    ग्रामीण क्षेत्रों पर नजर

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी 15 दिनों की गुजरात गौरव यात्रा के दौरान ग्रामीण वोटरों को लुभाने निकले हैं। इन 15 दिनों के दौरान अमित शाह 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा के 149 ग्रामीण सीटों का दौरा करेंगे। देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाले सरदार पटेल के पैतृक गृह से यात्रा की शुरुआत कर उन्होंने विरोधियों को यह सन्देश दे दिया है कि गुजरात को एक सूत्र में बाँधकर वह भाजपा के पक्ष में लाएंगे। इस दौरान अमित शाह कांग्रेस सरकार द्वारा शासन के 60 सालों में गुजरात के साथ किए गए सौतेले व्यवहार को गुजरात की जनता के सामने लाएंगे। इनमें सरदार पटेल की उपेक्षा और उन्हें भारत रत्न ना देना, मोरारजी देसाई की इंदिरा गाँधी द्वारा उपेक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं। अमित शाह को गुजरात में संगठन में काम करने का लम्बा अनुभव है और उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से भाजपा को लाभ पहुँचाएगी।

    नरेंद्र मोदी ही होंगे भाजपा का चेहरा

    गुजरात में भाजपा और कांग्रेस एक सी समस्या से जूझ रही है। दोनों ही दलों के पास बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने के लिए कोई सशक्त चेहरा नहीं है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात भाजपा नेतृत्व की कमी से जूझ रही है वहीं शंकर सिंह वाघेला की बगावत के बाद कांग्रेस के पास भी कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है। कांग्रेस अहमद पटेल को आगे कर सकती है पर ऐसा होने पर भाजपा आसानी से पिछले चुनाव की भांति वोटों का ध्रुवीकरण कर लेगी। इस मसले पर भाजपा की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं है और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कंधे इतने मजबूत नहीं हैं कि वह गुजरात में भाजपा की जिम्मेदारी उठा सकें। फिलहाल भाजपा ने स्पष्ट किया है कि नरेंद्र मोदी ही गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री चुना जाएगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।