हालिया प्रकाशित एक रिपोर्ट ने बताया है कि देश में बढ़ते ‘झूठे राष्ट्रवाद’ की आड़ में ही फेक न्यूज़ को फैलाया जा रहा है।
यह रिपोर्ट बीबीसी ने जारी की है। जिसमें बताया गया है कि देश में राष्ट्रवाद की आड़ लेकर झूठी खबरों को फैलाये जाने का गोरखधंधा तेज़ी से पनप रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार वामपंथियो के मुक़ाबले दक्षिणपंथी झूठी खबरों को फैलाने के मामले में अधिक संगठित हैं।
इसी के साथ रिपोर्ट ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करते हुए ‘झूठी खबरों’ को फैलाना सबसे बड़े एजेंडे के रूप में सामने आया है। इसी के साथ ट्वीटर फेक न्यूज़ का सबसे बड़ा माध्यम बन कर उभरा है।
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बीबीसी ने अपनी एक सीरीज ‘बेयोंड फेक न्यूज़’ के चलते यह रिसर्च की है। बीबीसी के अनुसार देश में मीडिया की हालत भी बेहद नाज़ुक हो गयी है। मीडिया भी कई बार फ़ेक न्यूज़ फैलाने के साधन के रूप में नज़र आ रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में फ़ेक न्यूज़ के चलते बड़ी संख्या में हिंसाए सामने आ रही है। फ़ेक न्यूज़ बड़े प्रभावी ढंग से मोब लिंचिंग की घटना में प्रेरक का काम करती हैं।
इस रिसर्च को पूरा करने के लिए शोधकर्ताओं ने 80 प्रतिभागियों के साथ मिलकर देश भर के 16 हज़ार ट्वीटर अकाउंट के साथ ही 3 हज़ार फेसबुक पेज़ का आंकलन किया है।
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बीबीसी अब फ़ेक न्यूज़ के संदर्भ में एक डॉक्युमेंट्री भी लाने जा रही है। इसके तहत देश के युवाओं को फ़ेक न्यूज़ के प्रति सचेत करने और इसके दुष्परिणामों से बचने के लिए जानकारी दी जाएगी।
मालूम हो कि व्हाट्सएप द्वारा गलत खबर फैलाये जाने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने भीड़ के हांथों अपनी जान गंवाई है।
इसके संदर्भ में बोलते हुए बीबीसी के डायरेक्टर जेमी अंगस ने कहा है कि “हमने देश में जमीनी स्तर पर काम करने के लिए अपना पैसा और मेहनत दोनों को खर्च किया है।”
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