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    ईयू के सदस्य

    भारत के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के निर्णय का कुछ यूरोपीय सांसदों और इस्लामिक बुद्धिजीवियों ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि “यह जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अधिक समृद्धता लेकर आएगा और इस मामले का अंतर्राष्ट्रीकरण करने के लिए पाकिस्तान की निंदा की है।”

    जम्मू कश्मीर की स्थिति पर जिनेवा प्रेस क्लब में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यूरोपीय सांसदों और इस्लामिक बुद्धुजिवियो ने अनुच्छेद 370 को हटाना पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला बताया था। साथ ही इस मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तानी कोशिशो को ख़ारिज कर दिया है।

    भारत का आंतरिक मामला

    यूरोपीय संसद की सदस्य थिएरी मरिअनी ने कहा कि “यह कोई अंतरराष्ट्रीय मामला नहीं है। इसमें सिर्फ दर्जे में परिवर्तन किया गया है। कश्मीर भारत है। अगर भारत कश्मीर के दर्जे को परिवर्तन करने का निर्णय लेता है तो यह उनका अंदरूनी मामला है। दर्जे में तब्दीली सिर्फ जम्मू कश्मीर के लिए फायदेमंद होगी।”

    पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने वैश्विक समुदाय से इस मामले में दखल देने के बाबत उन्होंने कहा कि “किसी देश के आंतरिक मामले में यूरोप दखल नहीं देना चाहिए। यह एक देश का सवाल है और हम एक देश के फैसले में दखल नहीं देना चाहते हैं। पाकिस्तान कोशिश कर सकता है लेकिन मैं यक़ीनन कह सकती हूँ ईयू इसके खिलाफ मत देगा।”

    ईयू के पूर्व सदस्य चार्ल्स तन्नोच्क, फुल्वियो मर्तुस्किएल्ला और गुइसेप्पे फेर्रंदिनो और कनाडा की संसद के पूर्व सदस्य मारिओ सिल्वा भी इस प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे। जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग करार देते हुए जमियत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदानी ने पाक पीएम द्वारा इस मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिशो को ख़ारिज कर दिया और पड़ोसी मुल्क से पाकिस्तानी नागरिको के कल्याण का कार्य करने की मांग की है।

    उन्होंने कहा कि “जम्मू कश्मीर भारत का भिन्न हिस्सा है और कश्मीर में पाकिस्तान या किसी अन्य राष्ट्र की दखलंदाज़ी को स्वीकार नहीं करेंगे। हम भारत की अखंडता के साथ समझौता नहीं करेंगे और पाकिस्तान के फरेब को ख़ारिज करते हैं।”

    मदानी ने कहा कि “इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान दक्षिण एशिया में गंदगी फैला रहा है। भारतीय मुस्लिमो के नाम पर अब इस एजेंडा को पूरे विश्व में घुमा रहा है। हम इस एजेंडा का जवाब देने में सक्षम है। इमरान खान ने सारी उम्मीदे खो दी है और वह अब बेतुके बयान दे रहे हैं। हम इस बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।”

    अजमेर शरीफ के चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती में कहा कि “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसे लेकर किसी अगर-मगर का सवाल नहीं है। कश्मीर भारत का हमेशा अंदरूनी हिस्सा रहा है इअमे किसी किन्तु या परन्तु का कोई सवाल नहीं उठता।”

    अध्यात्मिक नेता ने कहा कि “पाकिस्तान के खुद के विचार है। उनकी अपनी भाषा है जिसका वह इस्तेमाल करते हैं और और जो वह कश्मीर के 8 या 9 करोड़ मुस्लिमो के बारे में सोचते हैं उसका स्पष्टीकरण करना है।”

    उन्होंने कहा कि “जब वह इन आंकड़ो को रखते हैं तो क्या वह भारत में 18 करोड़ मुस्लिमो को भूल जाते हैं जो शांतिपूर्ण और खुशहाली से सैकड़ो सालो से भारत की समृद्धि में योगदान दे रहे हैं। यह उनकी अंधापन है जो उन्हें समस्त भारत की तस्वीर देखने से रोकता है।”

     

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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