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    क्यों यश और रूही का सिंगल पैरेंट होना डराता है करण जौहर को? फिल्ममेकर ने साझा की अपनी चिंता

    करण जौहर जो यश और रूही के सिंगल पैरेंट हैं, उन्होंने बताया कि अकेले इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी संभालना कितना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि उन्हें बच्चो को माँ और पिता दोनों का प्यार देना पड़ता है और लगातार ये सुनिश्चित करना कि उनके पास किसी चीज़ की कमी ना ही, काफी ‘डरावना’ और ‘चुनौतीपूर्ण’ कार्य है।

    करण जौहर हाल ही में रणवीर सिंह के साथ एक चैट शो पर उपस्थित हुए, वही उन्होंने परवरिश की चिंता के बारे में बात की। उन्होंने कहा-“सिंगल पैरेंट होना काफी डरावना और चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मुझे लगता है कि एक बच्चे की परवरिश में दोनों माता और पिता का सहयोग चाहिए होता है। कई मायने में आप कह सकते हैं कि यश और रूही को लेना बहुत ही प्यारा मगर स्वार्थपूर्ण निर्णय भी था। ये है क्योंकि मुझे खुद के लिए वो प्यार चाहिए था। मेरी ज़िन्दगी में बड़ा रिक्त स्थान था जो बच्चों से भरना था।”

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    “विचित्र रूप से, वो मुझे डैड कहते हैं और मेरी माँ को मामा। वो उन्हें दादी नहीं कहते। क्योंकि मुझे लगता है कि हम मिलकर उनकी परवरिश कर रहे हैं। इसलिए मैं बहुत कोशिश कर रहा हूँ कि हम दोनों पूरी तरह से माता और पिता का किरदार अदा कर सकें।”

    करण ने यह भी खुलासा किया कि कैसे वह अपने बच्चों को किसी भी मायने में अधूरा महसूस नहीं करने के लिए हर दिन सुनिश्चित कर रहे हैं।

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    उनके मुताबिक, “ये कठिन है क्योंकि मेरी माँ के बाद, और वो विचार मुझे हर दिन डराता है। मैं बस यही आशा करता हूँ कि मेरे दिल में उन्हें देने के लिए बहुत सारा प्यार हो ताकि उन्हें किसी भी मायने में अधूरा महसूस ना हो। उन्हें ये महसूस नहीं कराना चाहता कि वे परवरिश की प्रक्रिया में किसी चीज़ से वंचित हो रहे हैं।”

    “मैं बस इतना कर सकता हूँ कि मैं उन्हें पूरे दिल से प्यार करूं। और यह भी सुनिश्चित करूँ कि वे सही काम करे क्योंकि मैं अपने माता-पिता द्वारा सही और गलत की बहुत मजबूत भावना के साथ बहुत दृढ़ता से बड़ा हुआ हूँ। और मैं चाहता हूँ कि यश और रूही में भी वह आए।”

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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