म्यांमार की नेता प्रमुख आंग सान सू की ने फैसला किया है कि वे संयुक्त राष्ट्र असेंबली में रोहिंग्या मुस्लिम मुद्दे पर बातचीत के लिए नहीं जाएंगी।
रोहिंग्या मुस्लिम पर हो रहे अत्याचारों पर पुरे विश्व ने आंग सान सु की को जिम्मेदार बताया है। लोगों के मुताबिक सरकार के कहंने पर सेना ऐसा काम कर रही है। हांलांकि सरकार ने ऐसे किसी भी नरसंहार ना होने का दावा किया है।
पिछले साल म्यांमार की नेता प्रमुख बनने के बाद से यह पहली दफा है जब सु की पर इतना दबाव बना है। हाल ही में अमेरिका ने भी म्यांमार सरकार को निशाना बनाते हुए कहा है कि सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए और सेना की इस ज्यादती को रोकना चाहिए।
इसपर म्यांमार सरकार का कहना है कि रोहिंग्या आतंकवादियों ने म्यांमार की सेना पर पिछले महीने हमला किया था, जिसकी वजह से अब उन्हें भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वहीँ जनता का मानना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों का सफाया किया जा रहा है।
विश्व की प्रतिक्रिया पर चीन ने हांलांकि म्यांमार का साथ दिया है। चीन ने कहा है कि म्यांमार सरकार इसे रोकने का पूरा प्रयास कर रही है और जल्द ही देश में शान्ति का माहोल होगा।
म्यांमार में पिछले 50 सालों से सेना का शासन था। 2011 में यहाँ पर सरकार बनी है। इसके बाद भी सेना का दबदबा सरकार पर कायम है। आंग सान सु की भी इसमें कुछ ज्यादा नहीं कर सकती हैं।