Sat. Nov 23rd, 2024
    मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव

    देश के सबसे बड़े सियासी कुनबे सपा में रार बढ़ती ही जा रही है। कुछ वक्त पहले तक यह खबर आ रही थी कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ मिलकर नई पार्टी शुरू कर सकते हैं। इस सम्बन्ध में शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि नेताजी नवरात्रि के दौरान 25 सितम्बर को कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। 25 सितम्बर को लखनऊ के लोहिया ट्रस्ट में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने नई पार्टी के गठन की संभावनाओं को नकार दिया था। शिवपाल सिंह यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नदारद दिखे थे हुए नेताजी का पुत्रमोह एक बार फिर जाग गया था। अखिलेश यादव को लेकर नरम पड़ रहे नेताजी के तेवरों से शिवपाल समर्थकों में नाराजगी है और खबर आ रही है कि वह मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बगावत कर सकते हैं।

    अलग राह चुन सकते हैं शिवपाल

    शिवपाल सिंह यादव स्थापना के वक्त से ही सपा से जुड़े हैं और संगठन में उनकी पकड़ पर किसी को शक नहीं है। मुलायम सिंह यादव को भी यह बात अच्छी तरह से पता थी और इसी वजह से हर बार वह चाचा-भतीजे की लड़ाई में बीच-बचाव करते रहे और हर मौकों पर शिवपाल के साथ नजर आए। बीच में यह संकेत मिल रहे थे कि शिवपाल सिंह यादव भाजपा में शामिल हो सकते हैं। शिवपाल सिंह यादव ने भी नेताजी की हर बात का सम्मान किया और तमाम आरोपों को झेलकर भी सपा का दामन नहीं छोड़ा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि अब सपा की कमान वापस मुलायम सिंह यादव के हाथ में सौंप देनी चाहिए।

    सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐसी किसी भी सम्भावना से इंकार करते हुए कहा था कि वह आगे भी सपा अध्यक्ष बने रहेंगे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को लेकर कहा था कि जो इंसान अपने बाप का नहीं हो सकता वो कभी सफल नहीं हो सकता। बीते 25 सितम्बर को लखनऊ के लोहिया ट्रस्ट में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मेरी और अखिलेश की लड़ाई एक पिता-पुत्र के बीच की लड़ाई है और यह कितने वक्त तक रहेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। शिवपाल सिंह यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस से अनुपस्थिति और मुलायम के बयान पर उनकी चुप्पी उनके समर्थकों को चुभ रही है। माना जा रहा है कि समर्थकों के साथ मिलकर शिवपाल सिंह यादव अकेले दम पर नई पार्टी शुरू कर सकते हैं।

    पुत्रमोह से घिरे हैं मुलायम

    सपा में जारी इस वर्चस्व की लड़ाई में मुलायम सिंह यादव का पुत्रमोह आड़े आ रहा है। कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव का अखिलेश के प्रति रुख नरम रहा है। सोमवार, 25 सितम्बर को लोहिया ट्रस्ट में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह उम्मीद की जा रही थी कि नेताजी नई पार्टी के गठन को लेकर कोई घोषणा करेंगे। पर उन्होंने सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए नई पार्टी के गठन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। स्थापना के वक्त से ही सपा में नंबर दो रहे शिवपाल सिंह यादव भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद दिखे। इससे पूर्व लोहिया ट्रस्ट की बैठक में मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल यादव को हटाकर शिवपाल सिंह यादव को ट्रस्ट का नया सचिव नियुक्त किया था। अखिलेश यादव के गुट ने इस बैठक का बहिष्कार किया था।

    सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अखिलेश मेरे पुत्र हैं और एक पिता होने के नाते मेरा आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहेगा। लेकिन उन्होंने कहा था कि वह अखिलेश यादव के फैसलों का समर्थन नहीं करते हैं। ऐसा कह उन्होंने अखिलेश से एकजुटता की संभावनाओं को बल दिया था। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा था कि अखिलेश ने मुझे 3 महीने बाद सपा अध्यक्ष का पद वापस देने को कहा था जो उन्होंने नहीं किया। अपनी नाराजगी के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव के खिलाफ जाकर नई पार्टी के गठन की चर्चाओं को नकार दिया था। उनके इस बयान के बाद से शिवपाल गुट के समर्थकों में नेताजी के नरम पड़ते तेवरों को लेकर नाराजगी बढ़ गई थी। उनका कहना था कि मुलायम सिंह यादव ने पुत्रमोह में घिरकर शिवपाल को गच्चा दे दिया है।

    शिवपाल के साथ आए सपाई दिग्गज

    सपा में जारी इस वर्चस्व की लड़ाई में कई सपाई दिग्गज अब खुलकर शिवपाल के समर्थन में आ खड़े हुए हैं। कभी मुलायम सिंह यादव के खास रहे शारदा प्रसाद शुक्ल ने शिवपाल सिंह यादव का समर्थन करते हुए कहा है कि मुलायम सिंह यादव झूठे समाजवादी हैं। उन्होंने पुत्रमोह में आकर नई पार्टी के गठन की प्रेस रिलीज नहीं पढ़ी जिसे शिवपाल ने उन्हें दिया था। मुलायम सिंह यादव नाराजगी का ढ़ोंग कर अखिलेश यादव को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों बाप-बेटे मिले हुए हैं और जनता के साथ छल कर रहे हैं। सपा अब अपना वजूद खो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों के दौरान कन्नौज से डिंपल यादव 20,000 वोटों से हार गईं थी पर सूबे में सरकार होने के कारण उन्हें जबरिया जिताया गया।

    शारदा प्रसाद शुक्ल ने कहा कि सपा अपना वजूद खो चुकी है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा का समाजवाद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि नई पार्टी के गठन के लिए वह शिवपाल सिंह यादव का समर्थन करेंगे। शिवपाल सिंह यादव का गुट भी इस मामले पर बागी तेवर अख्तियार कर रहा है। नई पार्टी के गठन के मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव के यू-टर्न लेने के बाद शिवपाल समर्थकों में नाराजगी है। शिवपाल सिंह यादव खुद नई पार्टी के गठन की घोषणा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे जिसे ऐन वक्त पर रद्द कर दिया गया। नेताजी के रुख पर शिवपाल सिंह यादव भले ही मौन हो पर उनके समर्थकों में जबरदस्त उबाल है। ऐसे में मुमकिन है शिवपाल जल्द ही नई पार्टी के गठन की घोषण कर दें।

    बाप-बेटे की लड़ाई को अमर सिंह ने कहा नाटक

    सपा में मची सियासी कलह को पूर्व सपा नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने नाटक करार दिया है। विंध्याचल में अमर सिंह ने कहा कि यह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सियासी साजिश है जिसके तहत वो अपने पुत्र अखिलेश यादव को मजबूत बना रहे हैं। परिवार और पार्टी के बाकी लोग इसमें ठगे जा रहे हैं। अमर सिंह ने कहा है कि शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी सही है पर उन्हें सच्चाई नहीं दिख रही है। मुलायम सिंह यादव उनके साथ होकर भी नहीं हैं। बता देवीं कि सपा का एक धड़ा अखिलेश यादव से नाराज चल रहा है। इसमें मुलायम सिंह यादव के साथी रहे कई वरिष्ठ सपाई भी शामिल हैं।

    हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव पर अपने तेवर नरम रखने वाले मुलायम सिंह यादव से अखिलेश यादव गुट प्रसन्न नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी के युवा नेताओं का नेताजी के यहाँ आना-जाना बढ़ गया है। मुलायम सिंह यादव के समाजवादी पार्टी के साथ होने और अखिलेश को आशीर्वाद देने जैसी बातों का अखिलेश गुट पर गहरा असर हुआ है। अखिलेश यादव गुट अब मुलायम सिंह यादव को अपने खेमे में मानकर चल रहा है और ट्विटर पर अखिलेश यादव ने अपनी खुशी का इजहार भी किया था।

    शिवपाल के अगले कदम पर टिकी हैं सबकी निगाहें

    इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि दशहरा के दिन रावण का वध होने के बाद शिवपाल सिंह यादव अपना सियासी वनवास खत्म करने की तैयारी में हैं। वह इस बाबत दीवाली से पहले ही कोई बड़ा धमाका कर उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल ला सकते हैं। शिवपाल सिंह यादव सपा की स्थापना के वक्त से ही पार्टी से जुड़े हैं और अपने सियासी सफर में उन्होंने नेताजी के साथ हर तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं। संगठन में उनकी पकड़ की वजह से उन्हें नेताजी का दायाँ हाथ कहा जाता था और हमेशा ही मुलायम सिंह यादव के बाद सपा में उनका प्रभुत्व रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व कुनबे में मची सियासी कलह का फायदा अखिलेश यादव को मिला है। सपा नेता और कार्यकर्ता अखिलेश को नेताजी के उत्तराधिकारी के तौर पर स्वीकार कर चुके हैं।

    शिवपाल सिंह यादव धीरे-धीरे सपा में हाशिए की तरफ बढ़ रहे हैं। पुत्रमोह की वजह से नेताजी भी प्रत्यक्ष रूप से उनका साथ नहीं दे पा रहे हैं। उनके कई करीबी सपा का साथ छोड़ बसपा और भाजपा का दामन थाम चुके हैं। मौजूदा सपा पूरी तरह अखिलेशमय हो चुकी है पर उसमें शिवपाल के रसूख को भी नकारा नहीं जा सकता। कई वरिष्ठ सपाई आज भी शिवपाल के साथ हैं। लोहिया ट्रस्ट में शिवपाल का बोलबाला है और उनके समर्थक शीर्ष पदों पर काबिज हैं। सपा विधायक दल के कई सदस्य उनके समर्थन में हैं। ऐसे में अगर शिवपाल सिंह यादव का अपने राजनीतिक जीवन की नई पारी शुरू करने के लिए नई पार्टी का गठन करना स्वाभाविक है। यह कदम उनके डूबते राजनीतिक जीवन को नया आधार देगा और उनकी संगठन क्षमता सूबे की सियासत में उनके रसूख को और मजबूत करेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।