गुजरात में विधानसभा चुनाव शुरू होने में चन्द दिन शेष रह गए हैं। सियासी बिसात बिछ चुकी है और सभी राजनीतिक दलों ने अपने मोहरे चलने शुरू कर दिए हैं। इसी क्रम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी आज द्वारका पहुँचे हैं। द्वारका जिले की मीठापुर हवाई पट्टी पर उतरने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भगवान कृष्ण के मंदिर गए और वहाँ उन्होंने पूजा-अर्चना की। मंदिर में पूजा करने के बाद राहुल गाँधी ने पत्रकारों से बात की और इसके बाद द्वारका में रोड शो से उन्होंने कांग्रेस के चुनावी अभियान की शुरुआत की। राहुल गाँधी के साथ दिग्गज कांग्रेसी शक्ति सिंह गोहिल समेत गुजरात कांग्रेस के अन्य बड़े नेता भी मौजूद थे। राहुल गाँधी अपने गुजरात दौरे के दौरान 3 दिन तक सौराष्ट्र क्षेत्र में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे। वह सौराष्ट्र क्षेत्र का दौरा सड़क मार्ग से ही करेंगे। यह उम्मीद जताई जा रही है कि राहुल गाँधी इस दौरान अपने चिर-परिचित अंदाज में मोटर साईकिल पर भी रैली निकालेंगे।
किसानों, उद्योगपतियों और व्यवसायियों को साधने की कवायद
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपने तीन दिवसीय सौराष्ट्र दौरे पर किसानों, उद्योगपतियों और व्यवसायियों से सीधा संवाद करेंगे। वह अपने रोड शो के दौरान क्षेत्रीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करेंगे और उनकी समस्याओं से रूबरू होंगे। राहुल गाँधी आज रात्रि विश्राम के लिए जामनगर जाएंगे और कल सुबह धरोल, टंकारा होते हुए राजकोट पहुँचेंगे। राजकोट में कांग्रेस उपाध्यक्ष उद्योगपतियों और व्यवसायियों से मिलेंगे और उनकी तकलीफे सुनेंगे। राहुल गाँधी उनसे जीएसटी के विषय में भी चर्चा करेंगे और उसके परिणामों को जानेंगे। जीएसटी के देशव्यापी विरोध और सूरत आन्दोलन के बाद कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के पक्षधर माने जाने व्यापारी वर्ग को उनके खिलाफ खड़ा करने के लिए इसे बतौर हथियार इस्तेमाल करने की योजना बना रही है।
अपने दौरे के आखिरी दिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी चोटिला, जसदान, वीरपुर, जेतपुर समेत अन्य शहरों का दौरा करेंगे और खोडलधाम में अपनी रैली से सौराष्ट्र दौरे का अन्त करेंगे। इस दौरे के बाद राहुल गाँधी दक्षिण, उत्तर और मध्य गुजरात में भी पार्टी के प्रचार अभियान में हिस्सा लेंगे। हालाँकि इन दौरों को लेकर अभी कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई है। राहुल गाँधी ने अहमदाबाद में पार्टी कार्यकर्तों से संवाद कार्यक्रम में कहा था कि जो कांग्रेस कार्यकर्ता जमीन से जुड़े हैं और भाजपा, आरएसएस के खिलाफ लड़ते हैं, पार्टी उन्हें ही टिकट देगी। बाहरी व्यक्तियों को कांग्रेस टिकट नहीं देगी। इस वर्ष के अन्त तक गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंक रही है और किसी भी हालत में सत्ता वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है।
अहमदाबाद से की थी मिशन गुजरात की शुरुआत
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने 4 सितम्बर को अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस के मिशन गुजरात की शुरुआत की थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी नॉर्वे की विदेश यात्रा से लौटने के तुरंत बाद गुजरात आए थे। अहमदाबाद में साबरमती फ्रंट पर आयोजित कार्यकर्ता संवाद सम्मेलन में उन्होंने गुजरात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया था और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया था। अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए राहुल गाँधी ने केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार पर निशाना साधा था। नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों ने देश की विकास दर को गिरा दिया है और नोटबंदी व जीएसटी ने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार नोटबंदी को लागू करने में पूरी तरह विफल रही है और इसे उसकी सबसे बड़ी असफलता करार दिया था। उन्होंने 28 फीसदी जीएसटी का भी विरोध किया था और कहा था कि इससे छोटे व्यापारियों की कमर टूट गई है। गुजरात में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस ने राज्य के सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों से अपने कार्यकर्ताओं को अहमदाबाद बुलाया था। साबरमती रिवर फ्रंट पर टी शेप में रैंप बनाया गया था जिससे अधिक से अधिक कार्यकर्ता राहुल गाँधी से सीधा संवाद कर सकें। पूरे राज्य भर से तकरीबन 10,000 कांग्रेस कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा था कि इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करने का एक मात्र मकसद कार्यकर्ताओं का राहुल गाँधी से सीधा संवाद कराना था।
बगावत का दंश झेल रही है गुजरात कांग्रेस
गुजरात कांग्रेस इस समय बगावत का दंश झेल रही है। गुजरात कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे शंकर सिंह वाघेला पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं और उनके पीछे-पीछे गुजरात कांग्रेस के कई विधायक भी बागी हो गए थे। उनमें से कई विधायक अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। शंकर सिंह वाघेला के भी भाजपा के साथ जाने की उम्मीद थी पर उन्होंने अपनी अलग पार्टी गठित कर ली है। राष्ट्रपति चुनावों के वक्त गुजरात कांग्रेस की बगावत खुलकर सामने आई थी। पार्टी के 7 विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी जिससे उनकी जीत का अंतर और बढ़ गया था। कांग्रेस ने इस बगावत के लिए तत्कालीन नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला को जिम्मेदार माना और उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप लगाया। शंकर सिंह वाघेला ने इससे क्षुब्ध होकर बगावत कर दी और पार्टी से किनारा कर लिया। उनकी बगावत के बाद गुजरात कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों का दौर शुरू हो गया और पार्टी हाशिए की तरफ बढ़ने लगी।
पार्टी विधायकों के लगातार हो रहे इस्तीफों से गुजरात राज्यसभा चुनावों के वक्त कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल की उम्मीदवारी भी संकट में आ गई थी। उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए गुजरात कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को बेंगलुरु के ईगलटन रेसॉर्ट में ठहराया था। चुनावों के एक दिन पहले उन्हें गुजरात लाया गया और खुद अहमद पटेल इन विधायकों को मतदान स्थल तक लेकर आए। इसके बावजूद भी 2 विधायकों ने अहमद पटेल के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की। भाजपा ने अहमद पटेल को हराने के लिए हर मुमकिन कोशिश की मगर चुनाव आयोग ने उन दोनों विधायकों के मतों को अवैध करार दिया। अहमद पटेल आधे मतों से जीतकर राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए। उनकी यह जीत बगावत की आग में झुलस रही गुजरात कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह थी। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए अपने 14 विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
भाजपा की बड़ी जीत का संकेत दे रहे हैं रुझान
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं। भाजपा पिछले 19 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज है। गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर हुए सर्वे में रुझान भाजपा के पक्ष में आते दिख रहे हैं। एबीपी न्यूज़ द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक वर्तमान समय में विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में भाजपा को 145 से 150 सीटें मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार से भी खराब रहने की उम्मीद है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस 25 से 33 सीटों के बीच सिमट कर रह जाएगी जो पिछले चुनावों की तुलना में आधी हैं। अन्य दलों के खाते में 3 से 5 सीटें जाने की सम्भावना हैं। वर्तमान परिदृश्य में भाजपा 115 सीटों के साथ गुजरात विधानसभा का सबसे बड़ा दल है और कांग्रेस दूसरे स्थान पर है। राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल की जीत के बाद गुजरात कांग्रेस को संजीवनी जरूर मिली थी पर बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने के लिए पार्टी के पास कोई सशक्त चेहरा नहीं है। इस बात का असर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर स्पष्ट रूप से नजर आ सकता है।