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    जयशंकर

    भारत के पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि चीन को सोचना चाहिए कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाकर वह विश्व को क्या सन्देश दे रहा है। यूएन सुरक्षा परिषद् में मसूद अज़हर के खिलाफ लाये गए प्रस्ताव को चीन ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर रोक लगा दी थी।

    विश्व को क्या सन्देश दे रहा चीन

    टाटा समूह में वैश्विक कारोबार मामले के अध्यक्ष और भारत के चीन और अमेरिका में पूर्व राजदूत जयशंकर ने कहा कि “यह एक मसला है जिस पर चीन को विचार करना चाहिए, आप जानते है कि आप विश्व को क्या पैगाम दे रहे हैं। जयशंकर ने मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक पर आधारित ‘न्यू रोडमैप फॉर एशिया’ और चतुर्भुजीय सुरक्षा वार्ता की चर्चा में भाग लिया था। इसमें जापान के पूर्व विदेश मामलों के उप मंत्री और मित्सुबिशी कॉर्पोरेशन के बोर्ड ऑफ़ मेंबर भी शामिल थे।

    चीन की महत्वकांशी परियोजना बेल्ट एंड रोड पर भारत के नजरिये के बाबत जयशंकर ने कहा कि “इस प्रोजेक्ट पर भारत की स्थिति स्पष्ट है। चीनी पहल के बाबत भारत की कुछ विशिष्ट चिंताएं हैं।”

    भारत की वाजिब चिंताएं

    उन्होंने कहा कि “इस कनेक्टिविटी को सभी राष्ट्रों की सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए। इसका कारण यह है कि कथित चीन-पाक आर्थिक गलियारा जम्मू कश्मीर के राज्य से होकर गुजरेगा और इस जमीन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है और इसका भाग पाकिस्तान ने गैर कानूनी तरीके से चीन को दे रखा है।”

    उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान ने इस जमीन पर कानूनी रूप से अपने आधिपत्य का दावा नहीं करता है और न ही चीन करता है लेकिन भारत एकमात्र है जो कानूनी तौर से इस भूभाग पर अपना अधिकार का दावा करता है। इससे भारत की सम्प्रभुता की अवहेलना की जा रही है और निसंदेह यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है।”

    एकपक्षीय कनेक्टिविटी

    जयशंकर ने कहा कि “क्या एकपक्षीय परामर्श प्रक्रिया बेहतर कार्य करेगी, जिसमे एक खिलाड़ी अपने हित के लिए कनेक्टिविटी कर रहा हो। क्या यह पहल व्यापारिक रूप से संगत है। यह महत्वपूर्ण सवाल है क्योंकि अगर आप इस पहल से जुड़ रहे हैं तो संभव है इसके पीछे कोई अन्य छिपा हुआ एजेंडा हो। इसमें स्थानीय लोगों के शामिल होने और मालिकाना हक़ का भी सवाल उठता है।”

    उन्होंने कहा कि “आधुनिक युग में एशिया को अधिक कनेक्टिविटी की जरुरत है क्योंकि इसकी ही मांग है और यह महत्वपूर्ण है कि सप्लाई सही मार्ग से पूरी हो। इस परियोजना पर ईमानदारी से बातचीत करने की जरुरत है। वह खुले और मुक्त इंडो पैसिफिक क्षेत्र का भाग होगा।”

    बीआरआई शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना है और इस माध्यम से चीन एशिया और अन्य क्षेत्रों में अपना आर्थिक प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है। इस परियोजना में साल 2018 में काफी परेशानियां आयी। अमेरिका ने खुले तौर पर अन्य देशों को चेतावनी दी कि इस प्रोजेक्ट में शामिल न हो।

    चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बीआरआई के तहत सीपीईसी परियोजना भी है जिसका भारत विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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