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    हिंदी के चर्चित व सुप्रसिद्ध साहित्यकार मंगलेश डबराल का बुधवार रात कार्डिएक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। उन्होंने 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिन से बीमार चल रहे थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ व निमोनिया की शिकायत थी। उनका जाना हिंदी साहित्य के क्षेत्र के लिये गहरी क्षति है। उनके निधन की खबर से संपूर्ण हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है।

    मंगलेश डबराल मूल रूप से उत्तराखंड के टिहरी जिले से थे। वे पिछले कुछ समय से गाज़ियाबाद के वसुंधरा इलाके में रह रहे थे। यहां वे अपनी बेटी व पत्नी के साथ रहते थे।  पहले तबियत बिगड़ने पर वसुंधरा में ही उनका इलाज चला लेकिन हालात बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाना पड़ा।  यहां सेहत लगातार गिरने के चलते उनका देहांत हो गया। वे कोरोना से भी संक्रमित थे लेकिन बाद में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी। 

    डबराल के नाम बहुत से साहित्यिक सम्मान भी रहे। उनकी कवितायें अपने आप में अनूठी और आम जन मानस से जुड़ी हुई होती थी। उन्होंने काफी लम्बे समय तक जनसत्ता में भी काम किया। इससे पहले वे बहुत सी पत्रिकाओ के संपादन में भी लगे रहे। डबराल की कविताओं में पहाड़ की वेदनाएं व संस्कृति की झलक साफ देखी जा सकती है। इन्हीं रचनाओं के चलते उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार व अन्य बड़े पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उनके निधन पर पत्रकारिता व साहित्य जगत के बहुत से लोगों ने श्रद्धांजलि दी। लोगों ने उनके साथ बिताये लम्हों व उनकी कविताओं को साझा कर के शोक व्यक्त किया। 

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