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     सरकार और किसानों के बीच विफल वार्ता के बाद किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है पंजाब के अलग-अलग इलाकों से करीब 50,000 किसान  दिल्ली की ओर रुख कर चुके हैं ।  शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि केंद्र इस आंदोलन को खालिस्तानी बताकर बदनाम करना चाहता है । बादल ने इस आन्दोलन पर केंद्र के रवैया की निंदा की है। राजनैतिक व विपक्षी दलों के समर्थन के चलते आंदोलन तेज हो चला है।  

    किसानों का समूह दिल्ली की और मार्च कर चुका है। कई जगहों पर टोल प्लाजा फ्री हो चुके हैं। किसानों ने टोल प्लाजा पर कब्जा कर के उसे बंद कर दिया है। किसान पहले ही सभी बड़े हाइवे व एक्सप्रेस वे जाम करने का ऐलान कर चुके हैं। इसपर विपक्ष भी जमकर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहा है।  विपक्ष का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द किसानों की सारी मांगे मान लेनी चाहिए। 

    शुक्रवार रात 12 बजे किसानों ने टोल प्लाजा का घेराव कर आंदोलन का हवाला देते हुये उसे बंद कर दिया। शनिवार रात 12 बजे तक टोल प्लाजा फ्री रहने वाला है। इस कारण से लगभग 22 से  25 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। 

    इसी बीच सियासी बयानबाजी का दौर भी जारी है। किसानों के आंदोलन में प्रतिबंधित संगठनों और दंगे फसाद के आरोपियों के समर्थन के पोस्टर नजर आ रहे हैं। आंदोलनकारियों और किसान नेताओं का कहना है कि देश विरोधी कोई भी तत्व यदि आंदोलन में दिखता है तो उसपर तत्काल कार्रवाई की जाये। लेकिन वहीं आंदोलन के बीच से ही दंगों के आरोपियों व देश विरोधी ताकतों के समर्थन के पोस्टर इन्टरनेट पर वायरल हो रहे हैं। 

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