भौतिक विज्ञान के विस्तार और भविष्य में इसके स्कोप के बारे में हमें कुछ बोध् इसके विभिन्न उपविषयों को देखकर हो सकता है। मूल रूप से इसके दो रुचिकर प्रभाव क्षेत्र: स्थूल तथा सूक्ष्म हैं। स्थूल प्रभाव क्षेत्र में प्रयोगशाला, पार्थिव तथा खगोलीय स्तर की परिघटनाएँ सम्मिलित होती हैं। जबकि सूक्ष्म प्रभाव क्षेत्रा के अंतर्गत परमाण्वीय, आण्विक तथा नाभिकीय परिघटनाएँ’ आती हैं।
चिरसम्मत भौतिकी (Classical Physics) के अंतर्गत मुख्य रूप से स्थूल परिघटनाओं पर विचार किया जाता है, इसमें यांत्रिकी (Mechanics), वैद्युत गतिकी (Electrodynamics), प्रकाशिकी (Optics) तथा ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) जैसे विषय सम्मिलित होते हैं।
यांत्रिकी विषय न्यूटन के गति के नियमों तथा गुरुत्वाकर्षण के नियम पर आधरित है तथा इसका संबंध् कणों, दृढ़ एवं
विरूपणशील पिण्डों, तथा कणों के व्यापक निकायों की गति ;अथवा संतुलनद्ध से होता है। जेट के रूप में निष्कासित गैसों द्वारा राॅकेट-नोदन, जल-तरंगों का संचरण, वायु में ध्वनि तरंगों का संचरण तथा किसी बोझ के अधीन झुकी छड़ की साम्यावस्था यांत्रिकी से संबंध्ति समस्याएँ हैं।
वैद्युत गतिकी आवेशित तथा चुम्बकित वस्तुओं से सम्बद्ध वैद्युत तथा चुम्बकीय परिघटनाएँ हैं। इनके मूल नियमों को वूफलाॅम, आॅर्सटेड, ऐम्पियर तथा फैराडे ने प्रतिपादित किया तथा इन नियमों की संपुष्टि मैक्सवेल ने अपने समीकरणों के समुच्चय द्वारा की।
किसी धारावाही चालक की चुम्बकीय क्षेत्रा में गति, किसी विद्युत परिपथ की प्रत्यावर्ती वोल्टता ;सिगनलद्ध से अनुक्रिया, किसी ऐन्टेना की कार्यप्रणाली, आयन मण्डल में रेडियो तरंगों का संचरण आदि वैद्युत गतिकी की समस्याएँ हैं। प्रकाशिकी के अंतर्गत प्रकाश पर आधरित परिघटनाओं पर विचार किया जाता है। दूरबीन ;दूरदर्शकद्ध तथा सूक्ष्मदर्शी की कार्यविधि पतली झिल्ली के रंग, आदि प्रकाशिकी के उपविषय हैं।
यांत्रिकी की तुलना में ऊष्मागतिकी के अंतर्गत वस्तुओं की समग्र गति पर विचार नहीं किया जाता, अपितु यह स्थूल संतुलन के निकायों पर विचार करती है, तथा इसका संबंध् बाह्य कार्य तथा ऊष्मा स्थानांतरण द्वारा निकाय की आंतरिक ऊर्जा, ताप, ऐन्टंाॅपी आदि में अंतर से होता है। ऊष्मा इंजन तथा प्रशीतक की दक्षता, किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रक्रिया की दिशा आदि, ऊष्मागतिकी की रोचक समस्याएँ हैं।
भौतिकी के सूक्ष्म प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत परमाणुओं तथा नाभिकों के स्तर के सूक्ष्मतम पैमाने पर द्रव्य के संघटन एवं संरचना तथा इनकी विभिन्न अन्वेषियों जैसे इलेक्टंाॅन, फोटाॅन तथा अन्य मूल कणों से अन्योन्य क्रियाओं पर विचार किया जाता है।
चिरसम्मत भौतिकी इस प्रभाव क्षेत्रा से व्यवहार करने में सक्षम नहीं है तथा हाल ही में क्वान्टम सिद्धान्त को ही सूक्ष्म परिघटनाओं की व्याख्या करने के लिए उचित ढांचा माना गया है। व्यापक रूप में, भौतिकी का प्रासाद सुन्दर एवं भव्य है और जैसे-जैसे आप इस विषय में आगे बढ़ेंगे इसका महत्व और अधिक होता जाएगा।