भूटान में हाल ही में हुए चुनावों में लोटे त्शेरिंग की जीत हुई है। सूत्रों के मुताबिक भारत पड़ोसी देश भूटान की आर्थिक सहायता में वृद्धि कर सकता है।
नवनिर्वाचित भूटानी प्रधानमंत्री साल 2019 से आगामी पांच वर्षों के सत्र का प्रारंभ करेंगे।
भूटान के 11 वें पंचवर्षीय योजना (2013-18) की प्राथमिकताओं में आत्मविश्वास और हरित सामाजिक-आर्थिक विकास था। भूटान की विदेशी सहायता में से भारत ने 68 प्रतिशत यानी 4500 करोड़ की आर्थिक मदद की थी। भारत ने आर्थिक प्रोत्साहन में इजाफे के लिए 500 करोड़ की अधिक आर्थिक सहायता मुहैया कराने की प्रतिबद्धता दिखाई थी, जिससे भारत भूटान सम्बन्ध को फिर से मजबूत किया जा सके।
भारत भूटान के विकास परियोजनाओं में मदद के लिए संभावनाएं बढ़ा रहा है। नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास प्राथमिकता है। भूटान की स्वास्थ्य सुविधाओं में विकास करने की नवनिर्वाचित पीएम की ख्वाहिश है। लोटे त्शेरिंग की स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिकीकरण की इच्छा भारत पर निर्भर है।
भूटान के चुनावी परिणाम के चंद घंटों बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को बधाई दी और यकीन दिलाया कि भारत उनकी प्राथमिकताओं की पूर्ती में सहयोग करेगा।
भारत के अलावा अमेरिका नें भी नयी भूटान सरकार को बधाई दी है।
लोटे त्शेरिंग ने साफ़ किया कि वह परंपरागत विदेश नीति पर ही अमल करेंगे और भारत के साथ समझौतों को नज़रंदाज़ कतई नहीं किया जा सकता है।
लोटे त्शेरिंग की पार्टी द्रुक न्याम्रूप त्शोग्पा (डीएनटी) का चुनावी नारा ‘नर्रोविंग दी गैप’ यानी दूरी को कम करना था। उन्होंने कहा था कि आर्थिक और सामाजिक विकास के जरिये भूटान को साल 2045 तक विकसित देश में परिवर्तित कर देंगे।
नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने 47 संसदीय सीटों में से 30 सीटें जीती है जबकि विरोधी दल ने 17 सीते जीती है। चुनाव में जीत के लिए दोनों दलों ने सोशल मीडिया और जमीन पर तगड़ी चुनावी जंग लड़ी।
विरोधी दल डीपीटी पर चुनाव के लिए चीन से फंड लेने का आरोप भी लगाया गया है। चुनाव के अंतिम दौर में सोशल मीडिया पर चीनी विरोधी पोस्ट लिखे गए। चुनाव के अंतिम क्षणों में डीपीटी के हाथो से जीत फिसल गयी।