विषय-सूचि
जब पृथ्वी का सतह अचानक से कांपने लगता है, तो अचानक से पृथ्वी के स्थलमंडल (lithosphere) भाग से तरंग प्रवाहित होती है, जिससे सिस्मिक तरंग बनते हैं – इन सब प्रक्रिया से भूकंप आता है।
कुछ भूकंप ऐसे रहते हैं जिनको महसूस नहीं किया जा सकता और कुछ ऐसे रहते हैं जो पलभर में पूरा शहर तबाह कर देते हैं।
भूकंप कैसे आता है? (how does earthquake come in hindi)
जब कभी भूकंप आता है, उसके आवृति (फ्रीक्वेंसी), आकार एवं प्रकार का सिस्मिक प्रक्रिया के अंतर्गत माप लेते हैं।
अगर भूकंप का केंद्र बिंदु समुद्र में स्थित हो, तो यह सुनामी आने का कारण बनता है जिससे बहुत ज्यादा तबाही होती है।
भूकंप के कारण भूस्खलन (landslide) एवं ज्वालामुखी के सक्रिय होने का खतरा भी बना रहता है।
ज्यादातर भूकंप प्राकृतिक कारणों से आते हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो इंसान की क्षति से हो सकते हैं, जैसे nuclear टेस्ट, खदानों में होने वाले विस्फोट आदि।
भूकंप के बारे में तथ्य (facts about earthquake in hindi)
- पृथ्वी के क्रस्ट भाग का वह बिंन्दु जहाँ से भूकंप शुरू होता है, उसे केंद्र बिंदु (hypocentre) कहा जाता है। यह पृथ्वी के क्रस्ट भाग में 6 किमी नीचे पाया जाता है। केंद्र बिंदु के सीधे ऊपर सतह पर जो बिंदु रहती है, उसे उपरिकेंद्र कहा जाता है। उपरिकेंद्र पर भूकंप का प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है। उस बिंदु से जैसे जैसे दूर जाते हैं, यह प्रभाव कम होता जाता है।
- प्राकृतिक रूप से आने वाले सभी भूकंप स्थलमंडल भाग में आते हैं।
- दुनिया में कई जगह सीस्मोग्राफिक स्टेशन बने हुए हैं जो भूकंप को रिकॉर्ड करने काम करते हैं। एक दिन में कई बार भूकंप आता हैं। ये सभी हलके भूकंप रहते हैं और वो रिकॉर्ड नहीं किये जा सकते।
सिस्मिक तरंग (seismic waves in hindi)
स्थलमंडल के जिस भाग से भूकंप शुरू होता हैं और उससे जो तरंग फैलती हैं, उसे सिस्मिक तरंग कहा जाता हैं। इसके दो प्रकार हैं:
भूगर्भीय तरंग (Body Waves)
जब केंद्रबिंदु से ऊर्जा प्रवाहित होती हैं, तो यह पृथ्वी के भूभाग से होते हुए विभिन्न दिशाओं में फ़ैल जाती हैं, जिसे भूगर्भीय तरंग कहते हैं। यह सिर्फ पृथ्वी के आतंरिक भागों में घूमते हैं। सतह के तरंग से भूगर्भीय तरंग की गति बहुत ज्यादा होती हैं। इस कारण सिस्मोग्राफ के द्वारा उनको भांपना आसान होता है। इसके दो प्रकार हैं:
1. प्राइमरी तरंग (p-waves)
ये तरंगें सबसे तेजी से चलने वाले तरंगें हैं और भूकंप के दौरान पृथ्वी के सतह पर सबसे पहले पहुँचते हैं। यह ठोस, तरल एवं गैस तीनों माध्यम में आसानी से यात्रा कर सकते हैं। इनके कारण पृथ्वी के सतह के घनत्व में तनाव पैदा होता है, जिससे भूकंप की स्थिति बनती है।
2. सेकेंडरी तरंगें (s-waves)
प्राइमरी तरंगों के मुकाबले सेकेंडरी तरंगों की गति धीमी होती है और ये ठोस वस्तुओं से ही उत्तीर्ण कर पाते हैं। इन तरंगों के विशेषताओं से भूवैज्ञानिकों को यह पता चला कि पृथ्वी का बाहरी कोर तरल अवस्था में है।
सतहिय तरंगें (surface waves in hindi)
जब भूगर्भीय तरंगें सतह पर पाए जाने वाले पत्थरों से टकराते हैं, तब सतहीय तरंगों का निर्माण होता है।
जिस पदार्थ से होते हुए जाते हैं, वहां क्रेट एवं गर्त (trough) का निर्माण कर देते हैं। भूकंप के दौरान इन तरंगों के कारण बहुत हानि होती है।
भूकंप का मापीकरण (measurement of earthquake in hindi)
- भूकंप के दौरान पृथ्वी कि गति को और सिस्मिक तरंगों को मापने के लिए सिस्मोमीटर का इस्तेमाल होता है।
- एक अन्य तरीका है – सिस्मोग्राफ के द्वारा लिए गए चित्रमय परिणाम (graphical output) को रिकॉर्ड करना एवं सिस्मोमीटर के द्वारा दर्शाना।
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