भारत और जापान ने मिलकर हाल ही में भारत की पहली बुलेट ट्रेन की नीवं रखी। इस बुलेट ट्रेन योजना को दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों में एक अहम् कड़ी माना जा रहा है।
भारत और जापान के बीच बढ़ती नजदीकियों से चीन को भविष्य में खतरा नजर आ रहा है। एशिया में अपनी धाक ज़माने का सपना देखने वाले चीन को भारत और जापान की साझेदारी से कई मुद्दों पर झटका लग सकता है। चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने इस मुद्दे पर एक बड़ा लेख लिखा है।
दरअसल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने जब से देश की कमान संभाली है, वे भारत के प्रति बहुत सकारात्मक दिखे हैं। अपने चार साल के कार्यकाल में जापान के प्रधानमंत्री ने तीन बार भारत का दौरा किया है। इसके अलावा उनकी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच बार मुलाक़ातें हो चुकी हैं।
एशिया में भू राजनीतिक मामले में जापान और भारत दोनों देशों को चीन से खतरा जान पड़ता है। जहाँ जापान को दक्षिणी चीन सागर में चीन की घुसपैठ का सामना करना पड़ता वहीँ भारत को पुरे उत्तर पूर्वी सीमा पर चीन से संकट दिखाई दे रहा है। हाल ही में भारत और चीन के बीच करीबन 73 दिन चले डोकलाम विवाद के दौरान स्थिति काफी नाजुक बन गयी थी।
सीमा सुरक्षा के अलावा दक्षिण एशिया के छोटे देशों में भी चीन का दबदबा बढ़ता जा रहा है। चीन ने श्रीलंका, मलेशिया और पाकिस्तान समेत कई देशों में भारी निवेश किया है। इस निवेश के पीछे चीन का मक़सद इन देशों के कई जमीनी इलाकों पर कब्ज़ा करना है।
उदहारण के तौर पर चीन ने श्रीलंका के दक्षिणी इलाके में हम्बनटोटा बंदरगाह का निर्माण किया था। इसके लिए चीन ने श्रीलंका को भारी लोन दिया था, जिसे श्रीलंका नहीं चुका पाया था। इसके बदले चीन ने हम्बनटोटा पर आधे से ज्यादा कब्ज़ा करते हुए वहां अपना एक बेस बना लिया है।
इसके बाद अब चीन की नजर पाकिस्तान पर है। वन बेल्ट वन रोड के अंतर्गत चीन पाकिस्तान में भारी निवेश कर रहा है। चीन ने पाकिस्तान में रोड, इमारतें, पुल आदि कई परियोजनाओं का जिम्मा उठाया है। पाकिस्तान को लोन के भार में डुबाकर अब चीन वहां भी अपनी पकड़ मजबूत करने के इरादे में है। पाकिस्तान में चीन की पैठ जमने के बाद अरेबियन सागर में चीन की उपस्थिति मजबुत हो जायेगी।
इन सब कारणों से भारत और जापान की साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण बताई जा रही है। जापान अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई मुद्दों पर भारत की मदद कर सकता है।
भारत और जापान ने मिलकर एक बहुत महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की है, जिसे एशिया-अफ्रीका विकास मार्ग नाम दिया गया है। इस परियोजना के तहत दक्षिणी एशिया और अफ्रीका के बीच व्यापारिक साझेदारी को मजबूत किया जाएगा और कई जरूरी व्यापारिक मार्गों को जोड़ा जाएगा।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य अफ्रीका में विकास बढ़ाना है। इस योजना से जुड़े अधिकारीयों के मुताबिक एशिया के विकास से अफ्रीका को भी जोड़ा जा सकता है। इस योजना में भारत बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। भारत में जामनगर, मुंबई और कोलकाता पर ऐसे बंदरगाह बनाये जाएंगे जो पानी के जरिये कई जरूरी मार्गों को जोड़ सकेंगे।
भारत और जापान की इस योजना को चीन की वन बेल्ट वन रोड योजना का प्रतियोगी माना जा रहा है। वन बेल्ट वन रोड के जरिये चीन पश्चिम एशिया एवं यूरोप में अपनी उपस्थिति ज़माने की सोच रहा है। एशिया-अफ्रीका विकास मार्ग से भी चीन को भविष्य में बड़ा झटका लग सकता है।