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    डोनाल्ड ट्रम्प

    अमेरिका ने साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और तेहरान पर दोबारा प्रतिबन्ध थोप दिए थे। साथ ही अमेरिका ने ईरानी तेल खरीदने पर भी पाबन्दी लगा दी थी लेकिन कुछ देशों को इसमें छह माह तक की रियायत दी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका मई में छह माह पूरे होने के बाद भारत सहित अन्य देशों के ईरानी तेल खरीदने की समयसीमा को बढ़ा सकता है।

    नयी रियायत देगा अमेरिका

    अमेरिका के विशेषज्ञ यूरेशिया समूह के अनुसार भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, तुर्की और जापान उन आठ देशों में शुमार है जिन्हे अमेरिका ने ईरानी तेल खरीदने की आज़ादी दी थी। इन देशों को अब अमेरिका नई रियायते दे सकता है। इससे अमेरिका ईरानी तेल को शून्य करने के अपने लक्ष्य में विफल हो सकता है। ईरान ओपीईसी का चौथा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है।

    ANI के मुताबिक यूरेशिया समूह के राजनीतिक विचारक हेनरी रोम ने कहा कि “ओपेक में तेल के उत्पादन में कटौती और वेनेजुएला में संकट ग्रस्त हालात के कारण ईरान के 13 लाख बैरल तेल प्रतिदिन खोने की क्षमता वैश्विक तेल बाज़ार नहीं रखता है क्योंकि इससे अमेरिकी तेल बाज़ार भी प्रभावित होगा।”

    रियायत की समयसीमा में विस्तार करे के बाबत ईरान मे अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि ब्रायन हुक ने कहा कि “हम अभी मौजूदा 2 मई की रियायत के तहत ही है। इसके बारे में तारीख के नजदीक ही ऐलान किया जायेगा। अभी हम कोई रियायत देने पर विचार नहीं कर रहे हैं।”

    बेहतर स्थिति में होगा तेल बाजार

    उन्होंने कहा कि “मैंने कई मंचों पर कहा है कि हमारा तेल बाज़ार काफी नाजुक और सख्त है और राष्ट्रपति नहीं चाहते कि तेल के दाम बढ़े। मेरे ख्याल से, बहुत सतर्कता और सही तरीके से हमें अपने आर्थिक उद्देश्य और राष्ट्रीय सुरक्षा का संतुलन बैठाना होगा। वैश्विक तेल बाज़ार में साल 2019 की तस्वीर सबसे बेहतर होगी। हम मांग से अधिक पूर्ती करेंगे और हमारे लिए बेहतर हालात बनाएंगे ताकि शून्य की तरफ अग्रसर हो सके।”

    अमेरिका अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में चीन को मात देने के लिए भारत को महत्वपूर्ण भाग मानता है। वांशिगटन इस वक्त कमजोर स्थिति में हैं कि यह भारत को ईरान से तेल ख़रीदने के लिए सीधे तौर पर इंकार कर पाए क्योंकि ऐसा ही वह वेनुजुएला में कर रहा है। बहरहाल, भारत ने वेनुजुएला से तेल खरीदने में कमी करने की प्रतिबद्धता दिखाई है कि ईरान से तेल खरीदने में उन्हें दोबारा रियायत मिलेगी।

    जानकारों को यकीन है कि तेल बाज़ार भी भी नाजुक रहने वाला है। रियायत को खत्म कर देने से तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 5-10 डॉलर का इजाफा होगा जो गर्मियों के मौसम में उपभोक्तओं के लिए मुश्किल उत्पन्न करेगा।जानकारों के मुताबिक अगर छूट जारी नहीं रखी तो यह तुरंत तेल बाजार को अस्थिर कर देगी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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