राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय सेना के ऊपर टिप्प्णी की है जिस पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला है। दरअसल भागवत ने कहा कि यदि देश में युद्ध की स्थिति आती है तो भारतीय सेना जहां 6-7 महीने इसके लिए तैयार होने मे लगाएगी वहीं हमारे स्वयंसेवक महज तीन दिनों के अंदर ही युद्ध के लिए तैयार हो सकते है। भागवत के इस बयान पर कांग्रेस पार्टी ने इसे देश का अपमान बताया है।
छह दिवसीय मुजफ्फरपुर यात्रा के अंतिम दिन सुबह जिला स्कूल मैदान में आरएसएस के स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर देश के लिए आरएसएस तीन दिन के लिए सेना तैयार करने की क्षमता रखती है। वहीं सेना को सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार करने में 6-7 महीने लग जाएंगे।
आगे कहा कि अगर कोई देश पर आक्रमण करता है तो स्वयंसेवक सामने आने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। बशर्ते भारतीय संविधान इसकी अनुमति देता हो। मातृभूमि की रक्षा के लिए संघ कार्यकर्ता निःसंकोच देश के लिए बलिदान हो सकते है। भागवत ने भारत-चीन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि स्वंयसेवकों ने सीमा पर सेना के आने तक स्थिति संभाली हुई थी।
आरएसएस सेना की तरह अनुशासित
भागवत ने दावा किया कि स्वयंसेवक संघ सेना या अर्धसैनिक संगठन नहीं है अपितु ये तो सेना की तरह अनुशासित रहने वाला एक संगठन है। संघ को पारिवारिक संगठन बताते हुए भागवत ने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता हमेशा अपने देश के लिए खुशी से सर्वोच्च बलिदान देने के लिए तैयार रहता है।
भागवत ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में अच्छे आचरण का उदाहरण स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसी बीच भागवत के बयान ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। विभिन्न विपक्षी दल इसे भारतीय सेना का अपमान करना बता रहे है। साथ ही उनसे माफी मांगने की बात कह रहे है।