बीते 3-5 सितम्बर तक चीन के शियामन शहर में ब्रिक्स देशों की 9वीं सालाना बैठक हुई। इस बैठक में ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने पूरे सम्मलेन के दौरान आतंकवाद, परस्पर सहयोग और वैश्विक विकास में ब्रिक्स की भूमिका जैसे अहम मुद्दे उठाकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात भी चर्चा का विषय रही। चीन की मनाही के बावजूद उन्होंने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान को ब्रिक्स के मंच पर पकिस्तान को शर्मसार किया और उसे कई प्रतिबंधित आतंकी संगठों का पनाहगार बताया। भारत ने ब्रिक्स के मंच पर बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की और दुनिया को एक उभरती महाशक्ति का एहसास कराया।
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान बेनकाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स के मंच पर चीन के प्रमुख सहयोगी पाकिस्तान को बेनकाब किया। इस सम्मलेन के शुरू होने से पहले ही चीन ने कहा था कि ब्रिक्स के मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र नहीं होगा लेकिन उसकी एक ना चली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना केवल पाक प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र किया बल्कि इस मुद्दे पर सभी सदस्य देशों से अपनी बात भी मनवाई। उन्होंने लश्कर-ए-तयैबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत कुल 10 आतंकी संगठनों का जिक्र किया और इनके खिलाफ मिलकर लड़ने का आह्वान भी किया। ब्रिक्स के घोषणापत्र में भी इन बातों का जिक्र है और यह पाकिस्तान-चीन संबंधों पर असर डाल सकती है। चीन पाकिस्तान का अहम सहयोगी रहा है और इसी वजह से वह नहीं चाहता था कि उसके घर में ब्रिक्स के मंच पर पाक की काली करतूतें उजागर हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स बिज़नेस कॉउन्सिल को सम्बोधित करते हुए कहा था कि भारत “सबका साथ, सबका विकास” में विश्वास करता है। सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ मिलकर जंग लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि हमे आतंकवाद के खात्मे के लिए नए और मजबूत कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि हमें आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और आपदाओं से लड़ने के लिए परस्पर सहयोग की जरुरत है। ब्रिक्स सम्मलेन के घोषणापत्र के 48वें पैराग्राफ में आतंकवाद की समस्या का जिक्र किया गया है। आतंकवाद पर कड़ी चिंता व्यक्त करते हुए विश्वभर में हुए आतंकी हमलों की निंदा की गई है। आगे कहा गया है कि आतंकवाद को किसी भी तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। सभी ब्रिक्स देशों से आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने को भी कहा गया है।
“न्यू वर्ल्ड” बनाने में ब्रिक्स की भूमिका का जिक्र, बेहतरी के लिए दिए सुझाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “न्यू वर्ल्ड” बनाने में ब्रिक्स की भूमिका का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम क्या करते हैं इसका पूरे विश्व पर व्यापक असर होता है। इस वजह से हमें एक-एक कर या ब्रिक्स के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने “ब्रिक्स उभरते बाजार एवं विकासशील देशों के संवाद” कार्यक्रम के दौरान ब्रिक्स देशों को 10 प्रतिबद्धताओं का सुझाव दिया जिससे ब्रिक्स नेतृत्व प्रभावी ढंग से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुझाए गए प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं-
– जलवायु परिवर्तन पर एक साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सौर सम्मेलन जैसी पहल के जरिए एक ग्रीन विश्व का निर्माण
– अर्थव्यवस्था के अंदर और बाहर दोनों स्तर पर डिजिटल रूप से जोड़कर एक डिजिटल विश्व बनाना
– आतंकवाद विरोधी लड़ाई, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर संगठित और समन्वित कार्रवाई के जरिए एक सुरक्षित विश्व का निर्माण
– तकनीकी की मदद से एक सक्षम विश्व बनाना
– लाखों युवाओं को भविष्य के लिए तैयार कर एक कुशल विश्व बनाना
– सामान, लोग और सर्विस के मुफ्त आदान-प्रदान के जरिए एक संबद्ध विश्व का निर्माण
– सभी को समान अवसर, खासकर जेंडर समानता पर जोर देते हुए एक न्यायसंगत विश्व का निर्माण
– शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर केंद्रित और प्रकृति के अनुरूप विचारधारा, प्रथा और विरासत को बढ़ावा देते हुए सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाना
– नागरिकों को बैंकिंग और फाइनेंशियल सिस्टम में शामिल कर अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाना और एक समावेशी विश्व बनाना
– बीमारी खत्म करने और सभी को सस्ता इलाज मुहैया कराने के लिए रिसर्च में सहयोग के साथ एक स्वस्थ विश्व का निर्माण
चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। पिछले कई दिनों से जारी डोकलाम सीमा विवाद के बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों की यह पहली मुलाकात थी। यह मुलाकात करीब 1 घंटे तक चली और इस दौरान आतंकवाद पर सहयोग, सीमा विवाद और डोकलाम को लेकर बातचीत हुई। भारत और चीन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि भविष्य में डोकलाम जैसी कोई स्थिति पैदा नहीं होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति से इस मुलाकात को डोकलाम क्षेत्र से चीनी सेना के पीछे हटने के बाद भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। डोकलाम विवाद पर लगातार अड़ियल रुख अपनाए चीन के तेवरों में नरमी साफ नजर आ रही है। भारत को मिल रहे विश्व्यापी समर्थन के बाद चीन को डोकलाम से अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी थी और उसे वहाँ निर्माण कार्य भी रोकना पड़ा था।
रूस से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मलेन के दौरान भारत के सबसे पुराने और विश्वसनीय सहयोगी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने वैश्विक, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुसी राष्ट्रपति से आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में उनका सहयोग माँगा। रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया। इसके अतिरिक्त आपसी व्यापार बढ़ाने, रक्षा अनुसन्धान और तकनीकी, रक्षा खरीद सौदों को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। यह मुलाकात ब्रिक्स सम्मलेन के पहले ही दिन हुई।
चीन-पकिस्तान सम्बन्धों पर आएगा असर
ब्रिक्स की इस बैठक के बाद पाकिस्तान-चीन करे सम्बन्धों पर असर आने की बात की जा रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ब्रिक्स के मंच पर पकिस्तान को बेनकाब करने के बाद सभी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार माना था। यह बैठक चीन के शहर शियामन में हुई थी। चीन के घर में उसके करीबी दोस्त की काली करतूतों का इस तरह उजागर होना चीन-पाकिस्तान द्विपक्षीय सम्बन्धों पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। चीनी कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में अब चीन को लेकर असुरक्षा की भावना आएगी और ऐसे में वहाँ चीनी निवेश को खतरा हो सकता है। इससे पूर्व अमेरिका ने भी पाकिस्तान को दी जाने वाली सालाना मदद में कटौती की थी जिसका पकिस्तान ने विरोध किया था।
43 पृष्ठों वाला घोषणापत्र ब्रिक्स के पूर्ण सत्र में पारित किया गया और इसमें क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति के साथ ही तालिबान, आईएसआईएस, अलकायदा और उसके सहयोगी संगठनों ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट आफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और हिज्ब उत तहरीर द्वारा की जाने वाली हिंसा पर चिंता व्यक्त की गई थी। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर ने कहा था कि हम ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र को ख़ारिज करते हैं। पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार नहीं है। देश में अब कुछ ही आतंकी संगठन बचे हैं और हम शीघ्र ही उनका भी सफाया कर देंगे। इससे पूर्व भारत, रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने आतंक के सभी स्वरूपों की निंदा की थी।