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    माइक पोम्पिओ

    अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा कि “चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और इसमें मेज़बान देश का आर्थिक प्रस्ताव काफी कम होता है।” चीनी की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मकसद कनेक्टिविटी में सुधार करना है।

    माइक पोम्पिओ ने नेशनल रिव्यु इंस्टिट्यूट 2019 आईडिया सम्मलेन में गुरूवार को कहा कि “अमेरिका, उसके दोस्तों और सहयोगियों के लिए चीन एक सुरक्षा का खतरा है। वे दक्षिणी चीनी सागर में संचालन कर रहे क्योंकि वह नौचालन की स्वतंत्रता को नहीं चाहते हैं। पूरे विश्व में द्वीपों का निर्माण वे जलमार्गों के अच्छे जहाज निर्माता और प्रबंधक बनने के लिए नहीं कर रहे हैं। चीन हर देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव अलग नहीं है।”

    एक जाल है बीआरआई

    उन्होंने कहा कि “आप किसी भी देश में हमारे राजदूत या राजनयिकों से पूछताछ कर लीजिये, वे आपको बताएंगे कि हम चीन के साथ निष्पक्ष, पारदर्शी और नियम कानून के तहत प्रतिद्वंदता करने से खुश है। हम निष्पक्ष शेयर से अधिक जीतेंगे लेकिन इसमें से कुछ भी देंगे।”

    उन्होंने कहा कि ‘जब आप किसी गैर आर्थिक प्रस्ताव में दिलचस्पी दिखाते हैं, चाहे वह किसी को अपने राज्य की मदद, बाज़ारी कीमत से कम दाम और अन्य हो। तब अपने देश को उधार के कटघरे में खड़े कर रहे हैं। हमबेहड़ लगन से इस पर कार्य कर रहे ताकि पूरी दुनिया को इस खतरे को समझा सके।

    माइक पोम्पिओ ने कहा कि “चीन ने कर्ज ने चुकता करने के बदले श्रीलंका से उसका बंदरगाह 99 वर्ष के लिए किराए पर ले लिया था। इस बाद कर्ज का भार बढ़ने की आशंकाएं बढ़ती गयी। इस खतरे से अब विश्व जाग रहा है। मेरे ख्याल से दक्षिणी पूर्वी एशिया और एशिया इस खतरे से जाग चुका है। मुझे उम्मीद है कि राज्य विभाग इस परियोजना की पोल खोलने में योगदान देना जारी रखेगा ताकि चीन के लिए ऐसी परियोजना करना मुश्किल हो जाए।” आगामी माह चीन में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की दूसरी बैठक है।

    भारत की चिंता

    वन बेल्ट वन रोड़ योजना
    इस चित्र में आप देख सकते हैं चीन की बेल्ट एंड रोड योजना किस प्रकार भारत को घेरती है

    भारत ने बीआरआई के तहत चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर अपनी चिंता जाहिर की है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरेगी। 3000 किलोमीटर की सीपीईसी चीन और पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ेगी। भारत ने भी पडोसी मुल्कों पर कर्ज के भार की चिंता जताई है।

    बीजिंग में साल 2017 में आयोजित बीआरआई की बैठक का भी भारत ने बहिष्कार किया था। चीनी विदेश मंत्री ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आगामी माह होने वाली बैठक साल 2017 से भी अधिक धूमधाम से होगी। उन्होंने भारत, अमेरिका और अन्य देशों की आलोचंनाओं को खारिज कर दिया और कहा कि बीआरआई को कर्ज का जाल नहीं है, यह एक आर्थिक फायदा है, जिससे स्थानीय लोगो को फायदा होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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