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    बीएसएनएल स्कीम

    देश भर में बीएसएनएल के एक लाख से भी ज्यादा कर्मचारी अपने वेतन संशोधन और बीएसएनएल को 4G स्पेक्ट्रम के आवंटन की मांग को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल शूर कर चुके हैं। यह केंद्रीय सरकार के लिए एक सबक होगा जोकि बीएसएनएल को अस्थिर करने की सूच रही है।

    हड़ताल के बारे में जानकारी :

    बीएसएनएल कर्मचारियों द्वारा इस हड़ताल की घोषणा शुक्रवार को की गयी थी और इसके इस फैसले को देश के बड़े ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन मिल गया था। बीएसएनएल कर्मचारियों के इस फैसले को समर्थन देने वाले यूनियनों में INTUC, AITUC, HMS और CITU आदि बड़े ट्रेड यूनियन शामिल थे।

    बीएसएनएल के कर्मचारियों ने घोषणा की थी की यदि उनके वेतन के हालातों को ठीक नहीं किया जाता है और बीएसएनएल को 4G स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं किया जाता है तो वे सोमवार से तीन-दिवसीय हड़ताल पर चले जायेंगे। हालांकि सोमवार को ऐसा नहीं किया गया क्योंकि सरकार ने बीएसएनएल कर्मचारियों को सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया था।

    बीएसएनएल के कर्मचारियों ने पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए सोमवार को इस हड़ताल को शुरू नहीं किया। अतः इसे एक दिन बाद मंगलवार को शुरू किया गया।

    यूनियन की ये हैं मांग:

    हड़ताल की घोषणा के साथ साथ यूनियन ने 8 बिंदु का मांग पत्र सरकार के सामने रखा था। इन आठ मांगों में एक बीएसएनएल को 4G स्पेक्ट्रम दिलाने की मांग थी। बतादें की प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों को 2016 में ही 4G स्पेक्ट्रम मिल गया था लेकिन बीएसएनएल को यह आज तक उपलब्ध नहीं कराया गया है।

    4G स्पेक्ट्रम ना मिलने के कारण बीएसएनएल प्रतिस्पर्धा में प्राइवेट खिलाड़ियों से पिछड़ रहा है और उसे घाटा हो रहा है। इससे कर्मचारियों को दर है की जल्द ही बीएसएनएल बंद होने की कगार पर आ जाएगा।

    यूनियन के प्रवक्ता का बयान :

    बीएसएनएल को बंद करने या निजी कंपनियों को बेचने के खिलाफ BCCWF यूनियन के प्रवक्ता ने बयाना देते हुए कहा “यदि बीएसएनएल को बंद कर दिया जाता है या प्राइवेट कंपनियों को बेच दिया जाता है तो इससे ग्राहकों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। निजी कंपनियां अपने हिस्साब से मूल्यों को बहुत बाधा देगी और उन पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं होगा।”

    उन्होंने यह भी कहा “यदि बीएसएनएल को प्राइवेट कंपनियों को बेच दिया जाता है तो निजी कंपनियों को वे जमीनी परिसंपत्तियां मिल जायेंगी जिसका वे सालों से इन्तेजार कर रही हैं। अतः ऐसा करना ठीक नहीं होगा।”

    वेतन में कटौती का भी किया विरोध :

    बता दें की लगातार घाटों में चल रहे बीएसएनएल ने इस साल भी पिछले वर्ष की तरह कर्मचारियों के मेडिकल और एलटीसी भत्ते में कटौती का फैसला लिया था। लेकिन इस बाद बीएसएनएल कर्मचारियों ने हड़ताल में इसका भी जमकर विरोध किया और इस फैसले को वापस लेने को कहा। इसके साथ ही सरकार ने रिटायरमेंट स्कीम में जो बदलाव किये थे उस फैसले को भी किसी कर्मचारी का समर्थन नहीं मिला।

    अब देखने की बात यह है की क्या सरकार बीएसएनएल के कर्मचारियों को जल्द से जल्द हड़ताल से वापस बुला पाएगी। यदि ऐसा नहीं हो पाटा है तो पहले से ही घाटे में चल रहे बीएसएनएल के लिए यह और भी बुरी खबर होगी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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