Sun. Nov 17th, 2024
    सृजन घोटाला

    ‘सृजन’ शब्द का अर्थ होता है निर्माण, लेकिन हाल के कुछ समय में इसके मायने बदल गए हैं। बिहार के भागलपुर जिले में ‘सृजन’ नाम के एक एनजीओ ने बिहार सरकार को 700 करोड़ रूपये से अधिक का चूना लगाया है। इस घोटाले ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है। सत्ताधारी जेडीयू-भाजपा गठबंधन सरकार पर घोटाले के आरोप लग रहे हैं और लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफ़ा मांग रही है। रविवार रात को इलाज के दौरान घोटाले के मुख्य आरोपी की मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने सरकार पर इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगाया है। मुख्य आरोपी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद ‘सृजन’ घोटाले को बिहार का ‘व्यापम’ घोटाला भी कहा जाने लगा है।

    नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ इसी वजह से छोड़ा था क्योंकि राज्य के उपमुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव का नाम रेलवे टेंडर घोटाले के आरोपियों में आ गया था। अब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू-भाजपा गठबंधन सरकार पर घोटालों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। बिहार सरकार की नाक के नीचे से सरकारी खजाने की रकम मुट्ठी में बंद रेत की तरह ‘सृजन’ एनजीओ के खातों में फिसलती रही और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस घोटाले के मुख्य आरोपी महेश मंडल की रविवार रात इलाज के दौरान मौत हो गई। इतने अहम मामले से जुड़े मुख्य आरोपी की इस तरह संदिग्ध परिस्थितियों में मौत बिहार सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करती है। अब तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ‘सृजन’ घोटाला ‘व्यापम’ घोटाले का ‘बिहार संस्करण’ है।

    संदिग्ध नजर आ रही है मुख्य आरोपी की मौत

    सृजन घोटाले के मुख्य आरोपी महेश मंडल भागलपुर जिला कल्याण विभाग में कर्मचारी थे। पुलिस ने उन्हें 2 दिन की रिमांड पर लिया था और 15 अगस्त को कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था। महेश मंडल ने कोर्ट को अपनी ख़राब तबीयत को लेकर दलील दी थी जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया था। महेश मंडल ने कोर्ट में किडनी ख़राब होने की शिकायत की थी। उनको शुगर की भी समस्या थी। उन्होंने कोर्ट से इस सम्बन्ध में इलाज के लिए मोहलत मांगी थी जिसपर कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें शुक्रवार और शनिवार को मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिनों तक इलाज कराने के बाद रविवार को महेश को वापस जेल भेज दिया जहाँ रविवार शाम को महेश की तबियत अचानक खराब हो गई। रविवार रात को ही इलाज के दौरान महेश की मौत हो गई थी।

    महेश मंडल की मौत के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महेश मंडल जेडीयू के एक अमीर नेता के पिता थे। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है “सृजन महाघोटाले में पहली मौत। 13 गिरफ़्तार, उनमें से एक की मौत। मरने वाला भागलपुर में नीतीश की पार्टी के एक बहुत अमीर नेता का पिता था।” मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि महेश मंडल के इलाज में कोताही बरती गई। वह घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण खुलासे कर सकता था।

    अरबों की दहलीज पर जा पहुँचा था अगरबत्ती कारोबार

    ‘सृजन’ एनजीओ के प्रबंधक अमित कुमार है। उनकी पत्नी रजनी प्रिया उनके साथ मिलकर सृजन एनजीओ की कार्य व्यवस्था देखती थी। यह एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के नाम से भागलपुर के सबौर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगरबत्ती निर्माण और बिक्री का काम सिखाता था। धीरे-धीरे क्षेत्र के लोगों में ‘सृजन’ की लोकप्रियता बढ़ती गई और इस एनजीओ की नेताओं में लोकप्रियता बढ़ती गई। अमूमन क्षेत्र के सभी प्रमुख नेताओं ने इस एनजीओ का भ्रमण किया और यहाँ प्रसन्नचित मुद्रा में मौजूद उनकी तसवीरें इस बात की गवाही देती हैं। आरोप है कि सरकारी नौकरशाह करीब आधा दर्जन कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर भागलपुर जिला प्रशासन के अलग-अलग सरकारी खातों से करोड़ों की रकम निकालते रहे और इस रकम को ‘सृजन’ के खातों में जमा करते रहे। इस रकम को ‘सृजन’ एनजीओ ने रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश किय और करोड़ों के वारे-न्यारे किये।

    महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू किये गए चन्द लाख रूपये के कुल कारोबार का अरबों के करीब का टर्नओवर हो चुका था। कारोबार की ऐसी तरक्की को देखकर तो बड़े-बड़े उद्योगपति भी शर्मा जाएं। अपने नाम के अनुरूप ‘सृजन’ एनजीओ ने जिस तरह से अपने साम्राज्य का निर्माण किया था वह निश्चित रूप से सबके लिए मुमकिन नहीं। ‘सृजन’ एनजीओ के सम्मानित आगंतुकों की सूची में भाजपा के कई नेता शामिल हैं। इनमें प्रमुखतः शाहनवाज हुसैन, गिरिराज सिंह और निशिकांत दुबे के नाम शामिल है।

    जेडीयू के साथ भाजपा भी आई लपेटे में

    इस घोटाले की वजह से सिर्फ जेडीयू पर ही सवाल नहीं उठ रहे हैं बल्कि इसकी लपेट में भाजपा भी आई है। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन शर्मा का नाम ‘सृजन’ एनजीओ की आड़ में सरकारी खजाने को लूटने वालों में सबसे ऊपर था। अपनी गर्दन फंसती देख भाजपा ने आनन-फानन में विपिन शर्मा को पार्टी से निकाल दिया। तब से विपिन शर्मा फरार चल रहे हैं। जिस वक़्त में यह घोटाला हुआ था उस समय बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन सरकार थी। इस लिहाज से भी भाजपा आरोपों की साझेदार बन रही है। घोटालों से जुडी सबसे मुख्य बात यह है कि वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी उस वक़्त में बिहार सरकार में वित्त मंत्री हुआ करते थे। तेजस्वी यादव इसे लेकर पहले ही सरकार पर हमला बोल चुके हैं। बिहार सरकार ने सृजन घोटाले की सीबीआई जाँच के आदेश दिए हैं।

    सृजन घोटाला
    सृजन घोटाला

    आरजेडी-कांग्रेस को मिली संजीवनी

    इन घोटालों के उजागर होने से बिहार में महागठबंधन के शेष दो सदस्य दलों आरजेडी और कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से किनारा कर लेने के बाद यह दोनों दल बिहार में अलग-थलग से पड़ गए थे। आरजेडी में भी लालू यादव पर पुत्रमोह के आरोप लग रहे थे वहीं कांग्रेस के विधायक सत्ता हाथ से जाने की वजह से खफा थे। कुछ कांग्रेस विधायक पार्टी के लालू यादव के साथ खड़े होने से खफा थे। खबर आ रही थी कि पार्टी के 7 विधायक कांग्रेस छोड़ जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। लेकिन हालिया घटनाक्रमों के बाद बिहार की सत्त्ताधारी नीतीश सरकार ही घिरी नजर आ रही है। सीबीआई छापों और भ्रष्टाचार के आरोपों का दंश झेल रहे यादव परिवार को भी इससे बड़ी राहत मिली है।

    शरद के लिए खुल सकती हैं नई राहें

    फिलहाल नीतीश कुमार सृजन घोटालों के आरोपों से घिरे नजर आ रहे हैं। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर उन्होंने अपना भविष्य तो सुरक्षित कर लिया है पर वर्तमान परिस्थितियां उनके माकूल नहीं है। बागी रुख अपनाये पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने अभी तक कोई फैसला तो नहीं लिया है पर वह लगातार एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन का संकेत देते नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुल कर उनके समर्थन में आ चुके हैं और कह चुके हैं कि शरद यादव की जेडीयू से उनका गठबंधन जारी रहेगा। अब मुमकिन है शरद यादव इस मौके का फायदा उठाये और नाराज पार्टी नेताओं के साथ जाकर अपने गुट के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएं।

    शरद यादव की अब भी बिहार की जनता में पकड़ है और उनकी तीन दिवसीय रैली में यह बात नजर आ चुकी है। दिल्ली में उनके द्वारा आयोजित ‘सांझी विरासत सम्मलेन’ को विपक्ष का पूरा समर्थन मिला था। आगामी 27 अगस्त को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी पटना में ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है। इसमें देश की सभी विपक्षी पार्टियों के शामिल होने की उम्मीद है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भाजपा को रोकने के लिए किसी के भी साथ जाने को तैयार हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि एक ही मंच से देश की राजनीति के यह तीनों यदुवंशी दिग्गज ‘जातीय महागठबंधन’ की भी घोषणा कर सकते हैं। परिस्थितियां शरद यादव के अनुकूल है और मुमकिन है वह जल्द ही अपना रुख स्पष्ट कर दें।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।