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    तेजस्वी यादव

    बिहार की राजधानी पटना में 27 अगस्त को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है। आरजेडी कार्यकर्ताओं ने व्यापक स्तर पर रैली की तैयारी शुरू कर दी है। पूरे शहर को पोस्टर और बैनरों से पाट दिया गया है। हर जगह पोस्टरों में आरजेडी के ‘युवराज’ तेजस्वी यादव छाये हुए हैं। कई जगहों पर पोस्टरों में तेजस्वी यादव का ‘बाहुबली’ अवतार देखने को मिल रहा है। पोस्टरों में तेजस्वी यादव फिल्म बाहुबली के किरदार महेंद्र बाहुबली के रूप में नजर आ रहे है। साथ में उनके बड़े भाई तेज प्रताप भी नजर आ रहे हैं। इस रैली में सभी गैर-एनडीए दलों को आमंत्रित किया गया है। इस रैली को हाल ही में बिहार में हुए जेडीयू-भाजपा गठबंधन के खिलाफ आरजेडी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।

    जब से नीतीश कुमार ने जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के सम्मिलित साझेदारी वाले महागठबंधन से दामन छुड़ाकर भाजपा का हाथ थामा है तभी से आरजेडी और कांग्रेस लगातार हमलावर रुख अपनाये हुए हैं। जेडीयू-भाजपा गठबंधन की बिहार सरकार पर विपक्ष के हमले जारी है और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने इसके खिलाफ पूरे बिहार में ‘जनादेश अपमान यात्रा’ भी निकाली। उनकी इस यात्रा को जनता का अपार समर्थन मिला। इससे आरजेडी कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं। भागलपुर में हुए सृजन घोटालों के उजागर होने से नीतीश सरकार की किरकिरी हुई है और वह लगभग घिर सी गई है।

    जेडीयू के साथ भाजपा भी आई लपेटे में

    इस घोटाले की वजह से सिर्फ जेडीयू पर ही सवाल नहीं उठ रहे हैं बल्कि इसकी लपेट में भाजपा भी आई है। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन शर्मा का नाम ‘सृजन’ एनजीओ की आड़ में सरकारी खजाने को लूटने वालों में सबसे ऊपर था। अपनी गर्दन फंसती देख भाजपा ने आनन-फानन में विपिन शर्मा को पार्टी से निकाल दिया। तब से विपिन शर्मा फरार चल रहे हैं। जिस वक़्त में यह घोटाला हुआ था उस समय बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन सरकार थी। इस लिहाज से भी भाजपा आरोपों की साझेदार बन रही है। घोटालों से जुड़ी सबसे मुख्य बात यह है कि वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी उस वक़्त में बिहार सरकार में वित्त मंत्री हुआ करते थे। तेजस्वी यादव इसे लेकर पहले ही सरकार पर हमला बोल चुके हैं। बिहार सरकार ने सृजन घोटाले की सीबीआई जाँच के आदेश दिए हैं।

    आरजेडी-कांग्रेस को मिली संजीवनी

    इन घोटालों के उजागर होने से बिहार में महागठबंधन के शेष दो सदस्य दलों आरजेडी और कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से किनारा कर लेने के बाद यह दोनों दल बिहार में अलग-थलग से पड़ गए थे। आरजेडी में भी लालू यादव पर पुत्रमोह के आरोप लग रहे थे वहीं कांग्रेस के विधायक सत्ता हाथ से जाने की वजह से खफा थे। कुछ कांग्रेस विधायक पार्टी के लालू यादव के साथ खड़े होने से खफा थे। खबर आ रही थी कि पार्टी के 7 विधायक कांग्रेस छोड़ जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। लेकिन हालिया घटनाक्रमों के बाद बिहार की सत्त्ताधारी नीतीश सरकार ही घिरी नजर आ रही है। सीबीआई छापों और भ्रष्टाचार के आरोपों का दंश झेल रहे बिहार के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवार(लालू यादव परिवार) को भी इससे बड़ी राहत मिली है।

    मायावती ने ठुकराया रैली में आने का निमंत्रण

    शरद यादव द्वारा बुलाई गई ‘सांझी विरासत सम्मलेन’ में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने 2019 में ‘मोदी लहर’ को रोकने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आने के लिए कहा था और अब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भाजपा के विरुद्ध सभी दलों को एकजुट करने के लिए आगामी 27 अगस्त को पटना में ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है। इस रैली में विपक्ष की एकजुटता दिखाने के लिए उन्होंने सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने लालू प्रसाद यादव की रैली में जाने से इंकार कर दिया है। भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष को इससे बड़ा झटका लगा है।

    लालू यादव और मायावती
    मायावती का लालू को झटका

    बसपा सुप्रीमो मायावती के रैली में शामिल होने से इंकार करने के बाद विपक्षी एकता और कमजोर होती नजर आ रही है। बसपा पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता में रह चुकी है और ऐसे में मुमकिन है वह फिर से परोक्ष रूप से भाजपा का साथ दे। यह भी मुमकिन है कि बसपा चुनाव अकेले दम पर लड़े और चुनाव परिणामों के बाद आगे की रणनीति तय करे, लेकिन उसके रैली में शामिल ना होने से विपक्ष को झटका लगा है। भले ही बसपा आज हाशिए पर जा चुकी हो पर मायावती आज भी देश में दलित राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा है। उनकी पार्टी का जनाधार घटा जरूर है पर वह पूर्णतया समाप्त नहीं हुआ। मुमकिन है बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी संगठन पर ध्यान दें और अपने वोट बैंक में पकड़ मजबूत कर अपनी जड़ें तलाशने में सफल रहे।

    साथ आ सकते हैं शरद यादव

    नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाकर गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बागी रुख अख्तियार कर लिए थे। उन्होंने नीतीश कुमार के फैसले से असहमति जताते हुए उसे गलत करार दिया था। उसके बाद से ही शरद यादव लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। शरद यादव हाल ही में पटना में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। इससे स्पष्ट है कि अभी तक शरद यादव की नाराजगी मिटी नहीं है और वह अपनी अलग राह चुन सकते हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के बाद जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा भी तरह कि शरद यादव अपनी राह चुनने के लिए स्वतंत्र है।

    शरद यादव और लालू यादव गठबंधन
    शरद यादव और लालू यादव

    फिलहाल नीतीश कुमार सृजन घोटालों के आरोपों से घिरे नजर आ रहे हैं। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर उन्होंने अपना भविष्य तो सुरक्षित कर लिया है पर बिहार की वर्तमान परिस्थितियां उनके माकूल नहीं है। बागी रुख अपनाये पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने अभी तक कोई फैसला तो नहीं लिया है पर वह लगातार एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन का संकेत देते नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुल कर उनके समर्थन में आ चुके हैं और कह चुके हैं कि शरद यादव की जेडीयू से उनका गठबंधन जारी रहेगा। अब मुमकिन है शरद यादव इस मौके का फायदा उठाये और नाराज पार्टी नेताओं के साथ जाकर अपने गुट के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएं।

    शरद यादव की अब भी बिहार की जनता में पकड़ है और उनकी तीन दिवसीय रैली में यह बात नजर आ चुकी है। दिल्ली में उनके द्वारा आयोजित ‘सांझी विरासत सम्मलेन’ को विपक्ष का पूरा समर्थन मिला था। आगामी 27 अगस्त को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी पटना में ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है। इसमें देश की सभी विपक्षी पार्टियों के शामिल होने की उम्मीद है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह भाजपा को रोकने के लिए किसी के भी साथ जाने को तैयार हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि एक ही मंच से देश की राजनीति के यह तीनों यदुवंशी दिग्गज ‘जातीय महागठबंधन’ की भी घोषणा कर सकते हैं। परिस्थितियां शरद यादव के अनुकूल है और मुमकिन है वह जल्द ही अपना रुख स्पष्ट कर दें।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।