प्रियंका गाँधी वाड्रा के राजनीती में प्रवेश करने से कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है। पिछले लोक सभा चुनाव में, भाजपा ने प्रियंका के पति रोबर्ट वाड्रा पर तंज कसते हुए, कांग्रेस को ‘दामाद का घोटाला’ कह कह कर बहुत चिढ़ाया था और अब जब प्रियंका भी सक्रीय राजनीती में आ चुकी हैं तो ऐसी संभावना है कि उनके पति के ऊपर लगे कई ज़मीन विवाद मामलों की नए सिरे से जांच हो सकती है।
रोबर्ट और प्रियंका गाँधी बहुत सालों से एक दूसरे को जानते थे जब 1997 में उन्होंने भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के दामाद बनने का फैसला किया। और ऐसे ही वे यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के साथ साथ देश के सबसे मशहूर ‘दामाद’ बन गए जिनके ऊपर कई सारे मामले दर्ज़ हैं।
जब 2004 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में आई तो वाड्रा उस वक़्त कॉस्ट्यूम ज्वैलरी निर्यात करने का व्यापार कर रहे थे। फिर वे 2007 में रियल एस्टेट के कारोबार में आये और लगभग छह साल पहले, हरियाणा और राजस्थान में हुए उनके ज़मीन सौदे को लेकर सुर्खियाँ बनने लगी।
और जब से ही, वे विपक्षी पार्टियों का निशाना बनने लगे जबकि वे खुद एक राजनेता नहीं है। मगर कांग्रेस के ‘दामाद’ होने के नाते ये सब आलोचना उनके हिस्से में आई।
पिछले साल सितम्बर में, वाड्रा और पूर्व हरियाणा सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ गुडगाँव में ज़मीन सौदे में अनियमितता को लेकर एफआईआर दर्ज़ की गयी। उनके ऊपर इलज़ाम लगा कि उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 2008 में शिकोहपुर गाँव में डीएलएफ को 3.5 एकर की ज़मीन को प्रचलित दर की तुलना में बहुत अधिक दर पर बेच दिया।
राजस्थान के बीकानेर में भी ज़मीन के भूल-भुलैया लेन-देन के कारण उन्हें कई बार सवालों के घेरे में लिया गया। वाड्रा के सहयोगियों से जुड़ा हुआ व्यापार परिसर पर भी जांच कारणों की वजह से रेड मारी गयी और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें राजस्थान में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलो में पूछ-ताछ के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया।
पिछले साल सितम्बर में, पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि वाड्रा जेल जाएंगे क्योंकि उन्होंने यूपीए शासन के दौरान एक रक्षा डीलर को ठेके देकर मदद की थी। और इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने रोबर्ट वाड्रा को ‘कांग्रेस का राष्ट्रिय दामाद’ बुलाया था।
भाजपा ने हथियार डीलर संजय भंडारी से उनके संबंधों के बारे में आरोप लगाए थे, जिसे भी वाड्रा ने नकार दिया है।
इनके अलावा, वाड्रा ने अपनी टिप्पणियों से भी सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है। 2012 में, जब देश में सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हज़ारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था, तो उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया-“मैंगो पीपल इन बनाना रिपब्लिक (आम लोग केले गणराज्य में)” जिसके बाद आलोचना की सुनामी आ गयी और वाड्रा को बाद में वो पोस्ट डिलीट करना पड़ा।
2014 में, उन्होंने एक संवाददाता का माइक्रोफोन फेंक दिया था जब उनसे हरियाणा में हुए ज़मीन सौदे के ऊपर सवाल किया गया। वाड्रा भड़क गए और कहने लगे-“क्या आप गंभीर हैं”?
जब उनकी पत्नी प्रियंका गाँधी को पूर्वी यूपी का महासचिव नियुक्त किया गया, तब भी उन्होंने फेसबुक के जरिये अपनी पत्नी को शुभकामनाएं देते हुए लिखा-“मुबारकबाद पी, ज़िन्दगी के हर पड़ाव में तुम्हारे ही साथ रहूँगा। इसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना।”
अब वाड्रा के परिवार की बात की जाये तो वे भी किसी रहस्य से कम नहीं है। उनके पिता राजेन्द्र वाड्रा का शव पुलिस के अनुसार 2009 में दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में पंखे से लटका हुआ मिला। बाप-बेटे के बीच अक्सर मन-मुटाव रहा करता था। उनकी माँ मौरीन वाड्रा पहले दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ाती थी और अब अपने बेटे की कंपनी में पार्टनर हैं।