Sat. Nov 23rd, 2024
    Pran Biography

    प्राण कृष्ण सिकंद भारतीय फिल्मो के जाने माने अभिनेता हैं। उन्होंने अपने अभिनय के व्यवसाय की शुरुआत साल 1940 से की थी। उन्होंने अपनी पहचान एक हीरो के रूप में नहीं बल्कि एक विलन के रूप में बनाई हैं। प्राण को उनके नकारात्मक किरदारों को दर्शाने की वजह से कई ज़्यादा मात्रा में लोकप्रियता मिलती रही थी।

    प्राण के द्वारा अभिनाय किए गए फिल्मो की बात करे तो उन्हें ‘खानदान’, ‘पिलपिली साहेब’, ‘मधुमती’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘उपकार’, ‘शहीद’, ‘राम और श्याम’, ‘आंसू बन गए फूल’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘विक्टोरिया नंबर 203’, ‘बे-ईमान’, ‘ज़ंजीर’, ‘डॉन’, ‘अमर अखबार एंथोनी’, ‘दुनिया’ जैसी बड़ी बड़ी फिल्मो में अभिनय करते हुए देखा गया है।

    प्राण ने अपने अभिनय की वजह से तो कई सारे अवार्ड्स को अपने नाम किया ही था, लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में दिए गए योगदान की वजह से भी कई सारे सम्मानों से सम्मानित किया गया था। प्राण हिंदी सिनेमा में कई सालो तक राज करते हुए दिखे थे।

    प्राण का प्रारंभिक जीवन

    प्राण कृष्ण सिकंद का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्हें ज़्यादातर लोग मात्र ‘प्राण’ नाम से जानते हैं। प्राण ने एक पंजाबी परिवार में जन्म लिया था। उनके पिता का नाम ‘केवल कृष्ण सिकंद’ था जो पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे। उनकी माँ का नाम ‘रामेश्वरी’ था। प्राण के कुल 6 भाई और बहन थे जिनमे से चार भाई थे और तीन बहने थीं।

    प्राण को पढाई में बहुत दिलचस्बी थी और उनका पसंदीदा विषय भी गणित था। प्राण के पिता का अक्सर तबादला होता रहता था, जिसकी वजह से प्राण ने देहरादून, कपूरथला, मेरठ और उन्नाओ के स्कूलो में अपनी पढाई पढ़ी थी। आखिर कर प्राण ने ‘हामिद स्कूल’, रामपुर से अपनी पढाई पूरी की थी। इसके बाद प्राण ने ‘ए. दास और को.’, दिल्ली में फोटोग्राफर बनने के लिए दाखिला लिया था। इस दौरान प्राण ने शिमला ने सीता के किरदार का अभिनय भी किया था।

    प्राण का दिहांत 12 जुलाई 2013 में हुआ था। उनकी उम्र तब 93 साल की थी। प्राण काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे जिसकी वजह से उन्हें मुंबई के ‘लीलावती अस्पताल’ में एडमिट किया गया था। उन्होंने अपने आखरी साँसे भी उसी अस्पताल में ली थी। उनके फैंस इस खबर को सुनकर बहुत दुखी हुए थे।

    व्यवसाय जीवन

    प्राण कृष्ण सिकंद का फिल्मो का शुरुआती सफर

    प्राण ने अपने अभिनय की शुरुआत एक पंजाबी फिल्म के साथ की थी। प्राण को ‘दलसुख एम. पंचोली’ की फिल्म ‘यमला जट’ में साल 1940 में अभिनय करते हुए देखा गया था। इस फिल्म में प्राण ने नूर जेहान के साथ मुख्य किरदार को दर्शाया था। इसके बाद, साल 1941 में प्राण ने फिल्म ‘चौधरी’ और ‘खजांची’ में भी छोटे छोटे किरदारों को दर्शाया था।

    साल 1942 में प्राण को फिल्म ‘खानदान’ में अभिनय करते हुए देखा गया था। यह फिल्म प्राण की पहली हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने एक रोमांटिक हीरो का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म को लोगो ने पसंद किया था। फिल्म में मुख्य अभिनेत्री ‘नूर जेहान’ थी। इसके बाद भी साल 1945 में ‘कैसा खून’ और साल 1946 में ‘खामोश निगाहें’ जैसी फिल्मो में प्राण ने अभिनय किया था।

    साल 1942 से साल 1946 तक प्राण ने लाहौर में ही कुल 22 फिल्मो में अभिनय किया था जिसमे से तकरीबन 18 फिल्मे रिलीज़ भी हो चुकी थीं। साल 1947 में हुए भारत विभाजन की वजह से प्राण के करियर में कुछ समय के लिए रोक लग गई थी। इसके बाद प्राण ने लाहौर को छोड़ कर बॉम्बे आने का फैसला लिया था। बॉम्बे में आने के बाद भी प्राण ने 8 महीनो तक ‘डेल्मर होटल’ में काम किया था।

    प्राण कृष्ण सिकंद का फिल्मो का बाद का सफर

    साल 1948 में एक बार फिर प्राण को फिल्म में अभिनय करते हुए देखा गया था। प्राण ने निर्देशक ‘शाहीद लतीफ़’ की फिल्म ‘ज़िद्दी’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार को देव आनंद और कामिनी कौशल के साथ साथ प्राण ने भी दर्शाया था। इस फिल्म में पहली बार प्राण ने विलन का किरदार दर्शाया था और उन्हें उस किरदार की वजह से बहुत लोकप्रियता मिली थी।

    फिल्म ज़िद्दी के सफल होने के एक हफ्ते के अंदर ही प्राण ने तीन फिल्मे और साइन की थी। उन फिल्मो का नाम ‘गृहस्ती’, ‘अप्राधि’ और ‘पुतली’ था। फिल्म गृहस्ती को 1940 के दशक का सबसे लोकप्रिय फिल्म माना जाता है और साथ ही इस फिल्म के गाने ‘तेरे नाज़ उठाने को जी चाहता है’ को भी बहुत पसंद किया गया था।

    प्राण को फिल्म ज़िद्दी के बाद जितने भी फिल्मो से प्रस्ताव आते थे वो सभी नकारात्मक किरदारों को दर्शाने के लिए आते थे। प्राण की जोड़ी अक्सर दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के साथ देखने को मिलता थी। प्राण को निर्देशक ‘एम. वि. रमन’, ‘नानाभाई भट्ट’, ‘कालिदास’, ‘रविंदर देव’, ‘आई. एस. जोहर’ और ‘बिमल रॉय’ अक्सर अपनी फिल्मो में अभिनय करने का मौका देते रहते थे।

    प्रान्त के 1950 की दशक के सुपरहिट फिल्मो की बात करे तो उन्हें ‘आज़ाद’, ‘देवदास’, ‘मधुमती’, ‘आह’, ‘चोरी चोरी’, ‘पिलपिली साहेब’, ‘राज तिलक’, ‘बारादरी’, ‘मुनिजामि’, और ‘आशा’ थे। 1960 की दशक की प्रान्त की सुपरहिट फिल्मे ‘दिल दिया दर्द लिया’, ‘राम और श्याम’, ‘आदमी’, ‘छलिआ’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘दिल ही तो है’, ‘उपकार’ थी।

    साल 1970 की बात करे तो उस साल प्राण ने सबसे पहले फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मनोज कुमार’ थे। प्राण ने कई सारी फिल्मो में सहायक किरदारों को दर्शाया था और वो भी नकारात्मक किरदारों को जिसकी वजह से उन्हें हर कोई विलेन के रूप में ही जानते थे।

    प्राण ने विलन के सहायक किरदारों को दर्शाने के साथ ही कुछ कुछ फिल्मो में उन्होंने मुख्य किरदारों को भी दर्शाना शुरू किया था। प्राण ने साल 1972 में फिल्म ‘जंगल में मंगल’, साल 1973 में फिल्म ‘धर्म’ और ‘एक कुंवारी एक कुंवारा’, और साल 1978 में फिल्म ‘राहु केतु’ में मुख्य किरदारों को दर्शाया था। इन सभी फिल्मो को दर्शको ने पसंद भी किया था।

    साल 1970 से लेकर साल 1982 तक प्राण को अभिनय करने का सबसे अधिक पैसा दिया जाता था। अभिनेता राजेश खन्ना और प्राण ने कुल पांच फिल्मो में एक साथ अभिनय किया था जिनका नाम ‘मर्यादा’, ‘जानवर’, ‘सौतन’, ‘बेवफाई’ और ‘दुर्गा’ था।

    प्राण कृष्ण सिकंद का फिल्मो का सफल सफर

    साल 1973 में आई फिल्म ‘ज़ंजीर’ में मुख्य किरदार के लिए सलीम ने देव आनंद और धर्मेंदर को संपर्क किया था, लेकिन दोनों के व्यस्त होने की वजह से इस फिल्म में सलीम किसी तीसरे अभिनेता की तराश कर रहे थे। प्राण ने उस समय सलीम को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाव के रूप में दिया था, जिसके बाद इस फिल्म में अमिताभ ने मुख्य किरदार दर्शाया था और फिल्म सुपर हिट हुई थी।

    प्राण और अमिताभ की जोड़ी दर्शको को फिल्म ज़ंजीर में बहुत पसंद आई थी, जिसके बाद उन दोनों ने और भी कुछ फिल्मो में एक साथ अभिनय किया था। उन फिल्मो के नाम ‘डॉन’, ‘अमर अख़बार एंथोनी’, ‘दोस्ताना’, ‘नसीब’ और ‘शराबी’ था।

    साल 1971 से लेकर साल 1992 तक प्राण ने विलन के रूप में कई सारी हिट फिल्मो में अभिनय किया था। उन फिल्मो के नाम ‘मर्यादा’, ‘नया ज़माना’, ‘जवान मोहब्बत’, ‘आन बान’, ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘यह गुलिस्तां हमारा’, ‘गद्दार’, ‘अँधा कानून’, ‘दुनिया’, ‘इन्साफ कौन करेगा’, ‘दुर्गा’, ‘बेवफाई’, ‘होशियार’, ‘धर्म अधिकारी’, ‘आज़ाद देश के गुलाम’ थे।

    साल 1991 में प्राण ने अपनी एक और इकलौती फिल्म को निर्मित किया था जिसका नाम ‘लक्ष्मणरेखा’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सुनील सिकंद’ थे और फिल्म में प्राण ने ‘कृष्ण लाल शर्मा’ नाम का किरदार अभिनय किया था।

    साल 1988 में प्राण को अपनी 78 साल की उम्र में दिल का दोहरा पड़ा था। इस हादसे के बाद प्राण ने फिल्मो में काम करना धीरे धीरे बंद कर दिया था और फिल्म के प्रस्तावों को भी ठुकराते थे।

    साल 1990 में अमिताभ बच्चन के विनती करने पर प्राण ने दो फिल्मो में अभिनय करने के लिए हामी भरी थी। उन फिल्मो का नाम ‘तेरे मेरे सपने’ और ‘मृत्युदाता’ था। इन फिल्मो में प्राण ने बहुत मुश्किल से अभिनय किया था क्योंकि तबियत के ख़राब होने से वो अच्छे से खड़े भी नहीं हो पाते थे। फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ के दौरान प्राण ने पूरी फिल्म में बैठ कर अभिनय किया था।

    साल 2000 के बाद प्राण को फिल्मो में एक अतिथि के रूप में अभिनय करते हुए देखा जाता था। उन्होंने साल 2002 में फिल्म ‘मोहब्बत पहली नज़र में’, ‘सूर्यकाँत’, ‘एक हिंदुस्तानी’ और ‘तुम जियो हज़ारो साल’ में अपनी उपस्थिति दर्शाई थी। साल 2003 में उन्होंने फिल्म ‘दीवाना तेरे प्यार का’ और ‘किसका दोष’ में अभिनय किया था।

    साल 2007 में प्राण को आखरी बार फिल्म ‘दोष’ में देखा गया था। इसके बाद उन्होंने और किसी भी फिल्म में अभिनय किया था।

    पुरस्कार और उपलब्धियां

    प्राण कृष्ण सिकंद ने अपने अभिनय की वजह से 30 से भी अधिक अवार्ड्स को अपने नाम किया था। प्राण ने सिनेमा में दिए अपने योगदान की वजह से भी कई सम्मानों को हासिल किया था जिनमे से कुछ की जानकारी नीचे मौजूद है।

     

    • साल 1967 में फिल्म ‘उपकार’ के लिए ‘फिल्मफारे बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 1969 में फिल्म ‘आंसू बन गए फूल’ के लिए ‘फिल्मफारे बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 1972 में फिल्म ‘बे-ईमान’ के लिए ‘फिल्मफारे बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
    • साल 1997 में ‘फिल्म फेयर स्पेशल अवार्ड्स’ से सम्मानित किया गया था।
    • साल 2001 में ‘पद्मा भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
    • साल 2013 में ‘दादासाहेब फाल्के अवार्ड्स’ से सम्मानित किया गया था।

    प्राण का निजी जीवन

    प्राण कृष्ण सिकंद ने साल 1945 में ‘शुक्ला आलूवालिया’ से शादी की थी। प्राण के दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटों के नाम ‘अरविन्द सिकंद’ और ‘सुनील सिकंद’ है और बेटी का नाम ‘पिंकी सिकंद’ है।

    साल 2013 में प्राण को ‘दादासाहेब फाल्के अवार्ड्स’ से सम्मानित किया जाने वाला था लेकिन तबियत में सुधार ना होने की वजह से प्राण उस अवार्ड शो में जा नहीं पाए थे। हालांकि उनके सम्मान में उस अवार्ड को किसी और ने उन तक पहुंचाया था।

    अभिनेता अशोक कुमार और प्राण एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन दोनों ने साथ में 27 फिल्मो में एक साथ अभिनय किया था। फिल्मो के नाम की बात करे तो उन्हें फिल्म ‘अफसाना’, ‘मिस्टर एक्स’, ‘अधिकार’, ‘विक्टोरिया नंबर 203’, ‘चोरी मेरा काम’, ‘राजा और राणा’ जैसी कई और फिल्मो में देखा गया था। प्राण के अपने जीवन में 350 से भी अधिक फिल्मो में अभिनय किया है।

    आप अपने सवाल और सुझाव नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    [ratemypost]

    One thought on “प्राण कृष्ण सिकंद की जीवनी”

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *