पौधों को हम उत्पादक एवं स्वपोषक भी कहते हैं। इसका कारण यह है कि वे अपने आसपास की चीजों जैसे सूरज की रौशनी, ऑक्सीजन आदि से खाना स्वयं बना लेते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण नाम से प्रसिद्ध है।
विषय-सूचि
प्रकाश संश्लेषण की परिभाषा (definition of photosynthesis in hindi)
प्रकाश संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पेड़-पौधे सूरज के प्रकाश और कार्बन डाई ऑक्साइड की मदद से अपना भोजन बनाते हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूर्य की ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है। इसका उपयोग कई जीव- जंतुओं जैसे पौधों, शैवाल, बैक्टीरिया आदि करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण का चित्र (photosynthesis diagram in hindi)
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दो प्रकार हैं:
ऑक्सीजन युक्त प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis with oxygen in hindi)
यह सामान्य रूप से पायी जाने वाली संश्लेषण प्रक्रिया है। इसमें सूर्य की ऊर्जा इलेक्ट्रान को पानी से कार्बन डायोक्साइड में परिवहित होता है, इससे करबोहाइडरेट बनता है।
इस प्रक्रिया में CO2 को इलेक्ट्रान मिलता हैं और पानी ऑक्सीकृत हो जाता है यानि पानी में परिवर्तित हो जाता है। परिणामस्वरूप कारबोहाइडरेट ऑक्सीजन के साथ रिहा होता है।
यह प्रक्रिया श्वसन के प्रतिभार के रूप में काम करती है। सभी प्राणी अपने श्वास के द्वारा जो छोड़ते है, यह प्रक्रिया उसको ऑक्सीजन में बदल के वायुमंडल में छोर देती है।
ऑक्सीजन रहित संश्लेषण (photosynthesis without oxygen in hindi)
इस प्रक्रिया में पानी के अलावा दूसरे माध्यमों से इलेक्ट्रान लिया जाता है। यह बैंगनी बैक्टीरिया और हरे गंधक बैक्टीरिया द्वारा उपयोग में लाया जाता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का निर्माण नहीं होता। प्रतिफल के रूप में हाइड्रोजन सलफाइड बनता है।
कई रिसर्चों में ऐसा कहा गया हैं कि प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के कारण ही ऑक्सीजन वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है। पौधों को पोषक तत्त्व प्रदान करने में यह प्रमुख रूप से कारगर है।
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (photosynthesis reaction in hindi)
प्रकाश संश्लेषण का रासायनिक समीकरण इस प्रकार है:
6CO2 + 6H2O + सौर ऊर्जा (light energy) —————> C6H12O6 + 6O2
CO2 के 6 अणु, पानी (H2O) के 12 अणुओं के साथ सौर ऊर्जा की सहायता से जुड़ जाते हैं| परिणामस्वरूप कlरबोहाइडरेट (C6H12O6) या शर्करा का 1 अणु, सांस लेने लायक ऑक्सीजन और पानी के 6 अणुओं के साथ मिलता है।
इस प्रक्रिया का सबसे प्रमुख घटक क्लोरोफिल है जो हर प्रकार के पौधों में पायी जाती है। इनका मुख्य काम सूर्य की रौशनी को सोखने का होता है। यह हरे रंग की होती है सूर्य के किरणों के लाल और नीले रंगो को सोख लेते हैं। इसका एक बैक्टीरियल संस्करण भी होता है जिसको बक्टेरिओक्लोरोफिल कहते हैं|
प्रकाश-संश्लेषण एक जटिल प्राकृतिक प्रक्रिया है जो दो भागों में विभाजित है:
प्रकाश रासायनिक चरण (light reaction of photosynthesis in hindi)
इस प्रक्रिया में सूर्य के द्वारा प्रदान की गयी रौशनी का उपयोग होता है। क्योंकी यहाँ प्रकाश ऊर्जा अहम भूमिका निभाती है, अतः इसे प्रकाश निर्भित प्रक्रिया भी कहा जाता है।
जब क्लोरोफिल का अणु प्रकाश सोखता है यह ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रान को उच्च स्तर पर ले जाने का काम करता है।
इससे कई ऊर्जा सहित अणुओं का निर्माण होता है जो पानी की अणुओं को अलग करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का निर्माण करते हैं।
जैविक रासायनिक चरण (organic reaction of photosynthesis in hindi)
बचे हए अणु इस भाग में हाइड्रोजन (जो पानी से बना था) और CO2 के साथ मिल जाते हैं और शर्करा बनता है।
इस चरण में प्रकाश की आव्यशकता नहीं होती। इस प्रक्रिया को कार्बन निर्धारण भी कहा जाता हैl
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक (factors effecting photosynthesis in hindi)
प्रकाश की तीव्रता, की मात्रा और तापमान कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं जोकि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
प्रकाश का प्रभाव (effect of light on photosynthesis in hindi)
जैसे जैसे दिन में प्रकाश तेज होता है, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया उतनी तेजी से होता है। जब प्रकाश की तीव्रता ज्यादा होती है, प्रकाश पर निर्भर प्रक्रियाएं गति पकड़ती हैं, उसी अनुपात में फिर प्रकाश संश्लेषण बढ़ता है।
ज्यादातर पौधे अपने पत्ते इस प्रकार फैला के रखते हैं ताकि उनपे सूर्य की किरणे ज्यादा मात्रा में पड़े। जितनी ज्यादा मात्रा में प्रकाश का फोटोन पौधों के पत्तों पर पड़ता है, उतनी ज्यादा मात्रा में क्लोरोफिल के अणु सोख लिए जाते हैं और उतने ज्यादा जरुरत लायक ऊर्जा उत्पन्न होते हैं। प्रकाश पर निर्भर रहने वाले प्रक्रिया इस ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं।
इन प्रकियाओं पर तापमान में बदलाव होने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। प्रकाश की तरंग दैर्ध्य भी एक महत्वपूर्ण कारक है। 700 nm तरंग पर प्रकाश अच्छे से सोखता है और प्रकाश संश्लषण की प्रक्रिया तेजी से होती है।
CO2 का प्रभाव (effect of CO2 on photosynthesis in hindi)
जिस दर से प्रकाश रसायन चरण में कार्बन शर्करा में निगमित हो जाता है, उसी दर से CO2 की मात्रा बढ़ती है और उसी दर से प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया तब तक बढ़ती है, जबतक एक और पहलु आकर उसे सिमित कर देती है।
क्योंकि वातावरण में CO2 की मात्रा (0.04%) है, अगर CO2 की मात्रा बढ़ी, उससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया की भी मात्रा बढ़ेगी जो वातावरण के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
तापमान का प्रभाव (effect of temperature on photosynthesis in hindi)
जितना ज्यादा तापमान बढ़ता है, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया भी उतनी तेज़ी से बढ़ती है। क्योंकि यह एक रासायनिक प्रक्रिया है, अतः सारे क्रियाओं का भी तापमान बढ़ जाता है।
जब तापमान 40° सेल्सियस से ज्यादा है, तो प्रक्रिया का दर धीमा हो जाता है क्योंकि इस तापमान पर होने वाले रासायनिक प्रक्रिया संवेदनशील होते हैं और तापमान ज्यादा होने पर नष्ट हो जाते हैं।
अगर तापमान ठंडा है तो प्रक्रिया धीमी गति से होती है । क्रियाओं के एंजाइम पर तापमान का बहुत प्रभाव पड़ता है ।
प्रकाश संश्लेषण का महत्व (importance of photosynthesis in hindi)
इनकी वजह से वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के अनुपात में बैलेंस बना रहता है। जब जानवर पौधों को कहते हैं, तब पौधों से रासायनिक ऊर्जा जानवरों को मिल जाती है।
इस प्रक्रिया को हम जीवन का स्रोत कह सकते हैं । इस प्रक्रिया के दौरान पौधे अपने अंदर ले लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिससे हम सभी प्राणी स्वास ले पाते हैं। इस प्रक्रिया को स्वसन का उल्टा माना गया है।
पौधों को छोड़ कर सभी प्राणियों को सर्वाहारी कहा गया गया है क्योंकि उनका खाना पौधों के माध्यम से ही आता है। दुनिया के ८० प्रतिशत लोग खाने के लिए पौधों पर निर्भर हैं।
जनता का बाकि खाना पशुओं से आता है जो आहार श्रंखला के भाग हैं और यह आहार श्रंखला पौधों से ही शुरू होता है।
उपयुक्त तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बहुत जरुरी है। सूर्य की रौशनी, पानी और पौधे एक साथ मिलकर धरती पर जीवन बनाये रखने का काम करती हैं।
अतः यह जरुरी है कि इनके रख-रखो पर ध्यान दिया जाये और इनको संरक्षित रखना लोग अपना कर्त्तव्य समझें।
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bahut easy language mein likha hai. pura samajh mein aa gaya. thanks bro.
प्रकाश संश्लेषण में पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन बाहर निकालते हैं, लेकिन स्वसन के दौरान पौधे ऑक्सीजन ही भीतर लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं. तो क्या पौधे दोनों गैसों को भीतर लेते हैं?
स्वश्वसन क्रिया में पौधै o2अंदर लेते हैं coश्छोड़ते हैं लेकिन photosynthesis mai co2 अंदर लेते हैं और o2 बाहर छोड़ते हैं
Swashan kriya me poudhe hamesha CO2 hi lete hai,Oxygen kabhi nahi lete
Ha but swashan kriya ke time plants oxygen lete hai because plants bhi
Sajiv hai 🤔
photosynthesis se plants ko kitnni energy milti hai? joules unit mein? aur ek bar mein ek normal plant kitni oxygen release karta hai?
prakaashsansleshan kii prakriyaa par different temprature ka kya prabhav padta hai? zyaada aur kam temprature se kya hota hai?
Plants photosynthesis ke time co2 consume karte Hain or oxygen Kyu release karte Hain or is process ko jeevan ka shrot Kyu kahaa jaata hai?
Satya Jim
Nice post it’s really very useful