Fri. Apr 26th, 2024
    सिन्धी कार्यकर्ता

    सिंध की कार्यकर्ता ने पाकिस्तान द्वारा हिन्दुओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को अमल में लाने की भरसक आलोचना की है। पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में अधिकतर हिन्दू धर्म एक अल्पसंख्यक रहते हैं। विश्व सिन्धी कांग्रेस की कार्यकर्ता डुओ कल्होरो ने कहा कि “विश्व की सबसे अधिक असहिष्णु देशों में पाकिस्तान का नाम शीर्ष में शुमार है। धर्म की आज़ादी पर पाबन्दी लगाई जा रही है और धार्मिक अल्पसंख्यक हिंसा व भेदभाव से जूझ रहे हैं।”

    पाकिस्तान में हिन्दुओ पर अत्याचार

    उन्होंने कहा कि “हिन्दू व्यवस्थित तरीके से अधिकारिक और समाजिक भेदभाव का सामना कर रहे हैं,  इसमें अपहरण, जबरन धर्मांतरण, जबरन वसूली और भेदभाव शामिल है और यह सार्वजनिक और निजी स्थानों पर किया जाता है। वह अपनी धार्मिक गतिविधियों को करने के लिए पूरी तरह आज़ाद नहीं है। हालिया वर्षों में हिन्दुओं के मंदिरों में हमलो की संख्या में वृद्धि हुई है।”

    इस सम्मेलन की थीम “अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक के तहत पाकिस्तान एक चिंतित राष्ट्र बना हुआ है: अब क्या?” इसका आयोजन उनप्रेजेंटेड नेशन एंड पीपल्स आर्गेनाईजेशन ने किया था।” पाकिस्तान विश्व की पांचवी सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यहाँ बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय है और करीब चार फीसदी लगभग एक करोड़ गैर मुस्लिम है, जिसमे हिन्दू और ईसाई समुदाय की अधिक जनसँख्या है जो क्रमश 40 लाख और 35 लाख है।

    हिन्दू व्यापारी और मध्य वर्गीय आदमी हिंसा को झेल रहे हैं और फिरौती के लिए उनका अपहरण किया जाता है। हिन्दू कारोबारी मलिक निरंतर जबरन वसूली के शिकार होते हैं और इसे पुलिस खुलेआम नजरंदाज़ करती है। उन्होंने कहा कि “सिंध और अन्य जगहों में स्थानीय अखबारों में ऐसी वारदाते प्रकाशित होती है।”

    जबरन इस्लाम में धर्मांतरण चिंतित विषय

    उन्होंने कहा कि “सिंध के हिन्दुओं को सबसे बड़ा खतरा उनकी बेटियों का इस्लाम में जबरन धर्म परिवर्तन है। मौजूदा आंकड़ो के मुताबिक हर महीने 20 हिन्दू लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया जाता है। इसके अधिकतर पीड़ित 18 से कम वर्ष के होते हैं। एक बार निकाह और धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियों को अपने परिवार से संपर्क रखने की मनाही होती है।”

    उन्होंने कहा कि “आज तक एक भी ऐसे आरोपी को दोषी नहीं ठहराया गया है क्योंकि राज्य संस्थान न्याय की बजाये धर्म का पक्ष लेना चाहते हैं।” एंटी स्लेवरी अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, बंधुआ मजदूरों में अधिकतर हिन्दू आबादी के निचली जाति के लोग होते हैं।

    सरकार के कानून के बावजूद पाकिस्तान में बंधुआ मजदूरी जारी है। स्थानीय सरकारे इस कानून को लागू करने में नाकाम रही है और पुलिस शोषण करने वाले जमींदारों के खिलाफ शिकायत दायर करने में असफल रही है।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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