Sat. Apr 27th, 2024
    फूलपुर संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा और स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह निर्विरोध विधानपरिषद सदस्य निर्वाचित हो गए हैं। यह पहले से ही अनुमानित था कि विपक्षी पार्टियां इन उम्मीदवारों के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री समेत 5 मंत्री ऐसे थे जिनके पास विधान मंडल के किसी भी सदन की सदस्यता नहीं थी। ऐसे में इन सभी को मंत्री पद पर बने रहने के लिए 6 महीनों के भीतर विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य बनना जरुरी था। सदस्यता ग्रहण करने की आखिरी तारीख 19 सितम्बर थी और विधानपरिषद के चुनाव 15 सितम्बर को प्रस्तावित थे।

    उत्तर प्रदेश सरकार के एकमात्र मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा के पास भी विधान मंडल के किसी सदन की सदस्यता नहीं है। पहले उनकी विधानपरिषद सदस्यता पर संशय था लेकिन बसपा नेता जयवीर सिंह के इस्तीफे से खली हुई सीट पर चुनाव आयोग ने दूसरी अधिसूचना जारी कर चुनाव कराने का फैसला किया। इसके बाद भाजपा के लिए अपने सभी नेताओं को विधानपरिषद भेजने की राह आसान हो गई। विधानपरिषद की यह पाँचों सीटें सपा और बसपा के सदस्यों के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं। इस्तीफा देने वाले सभी नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। सपा और बसपा ने इसे लेकर भाजपा पर जोड़-तोड़ की राजनीति करने का आरोप लगाया था।

    लगातार तीसरी बार उच्च सदन का सदस्य होगा मुख्यमंत्री

    उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह लगातार तीसरा मौका है जब सूबे का मुख्यमंत्री उच्च सदन का सदस्य होगा। इससे पूर्व अखिलेश यादव (सपा) और मायावती (बसपा) भी उच्च सदन के ही सदस्य थे। विधानपरिषद की यह पाँचों सीटें 4 सपा और 1 बसपा सदस्यों के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। पहले चुनाव आयोग ने जारी अधिसूचना में 4 सीटों पर चुनाव कराने को कहा था जिसके बाद माना जा रहा था कि योगी मन्त्रिमण्डल से किसी एक मंत्री की विदाई हो सकती है। प्रदेश सरकार के एकमात्र मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा की विदाई तय मानी जा रही थी। लेकिन मंगलवार, 29 अगस्त को चुनाव आयोग द्वारा जारी दूसरी अभिसूचना में पाँचों सीटों पर चुनाव कराने की बात कही गई। इसके तुरंत बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी समेत अपने पाँचों मंत्रियों की सूची जारी कर दी थी।

    चुनाव आयोग द्वारा जारी पहली अधिसूचना में विधानपरिषद की 4 सीटों पर चुनाव कराने की बात कही गई थी। ऐसे में यह माना जा रहा था कि योगी मन्त्रिमण्डल से एक मंत्री की विदाई तय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख़्यमंत्रियों को सदन में रहना ही था। ऐसे में खतरे की सुई स्वतंत्र देव और मोहसिन रजा पर आकर अटक रही थी। स्वतंत्र देव दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में भाजपा रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद दलितों में भाजपा के पक्ष में बने माहौल को ख़राब नहीं करना चाहती थी। योगी मन्त्रिमण्डल के एकमात्र मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा के बारे में कहा जा रहा था कि फिलहाल योगी मन्त्रिमण्डल से इनकी विदाई हो सकती है और बाद में भाजपा इन्हें मन्त्रिमण्डल में वापस बुला सकती है। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि सभी मंत्री अपने पदों पर बने रहेंगे।

    इस्तीफा देने वाले पाँचों एमएलसी अब भाजपा में

    जिन 5 एमएलसी के इस्तीफे के बाद ये सीटें खाली हुई थी उनमें से 4 एमएलसी सपा के और 1 एमएलसी बसपा का था। विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा देने वालों में सपा से बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, अशोक बाजपेयी और सरोजिनी अग्रवाल थे वहीं बसपा से जयवीर सिंह ने अपना इस्तीफा सौंपा था। ये पाँचों नेता फिलहाल भाजपा के सदस्य बन चुके हैं और भविष्य में भाजपा इन्हें बड़ी भूमिका दे सकती है। इनके इस्तीफे के बाद सपा और बसपा ने भाजपा पर जोड़-तोड़ की राजनीति करने का आरोप लगाया था।

    होंगे लोकसभा उपचुनाव

    विधान परिषद का सदस्य बनने के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर लोकसभा सीट और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर लोकसभा सीट छोड़नी पड़ेगी। पहले यह माना जा रहा था कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को केंद्र में प्रमोट किया जा सकता है। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभानी है। उनका स्पष्ट संकेत 2019 के लोकसभा चुनावों की तरफ है जिसमें भाजपा का लक्ष्य सूबे में क्लीन स्वीप करना है। मौर्य फूलपुर सीट से लोकसभा सांसद हैं वहीं मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर से लोकसभा सांसद हैं। इन दोनों के सीट छोड़ने के बाद होने वाले उपचुनाव 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए रिहर्सल का काम करेंगे।

    फूलपुर उपचुनावों से वापसी करेगी बसपा

    उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की राज्य में भूमिका तय कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह फूलपुर में लोकसभा उपचुनावों कराने को लेकर तैयार है। पहले यह माना जा रहा था की भाजपा फूलपुर में उपचुनाव का खतरा नहीं उठाएगी पर अब इस पर स्थिति स्पष्ट हो गई है। राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती सूबे में संगठन मजबूत करने में जुटी हुई हैं और फूलपुर के संभावित उपचुनाव बसपा के लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं। यह सीट बसपा के लिए काफी मायने रखती है और यहाँ से बसपा संस्थापक कांशीराम ने 1996 में चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें सपा के जंग बहादुर पटेल हाथों 16 हजार से अधिक मतों से शिकस्त खानी पड़ी थी। इस सीट पर दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े तबके का जनाधार है और वर्तमान हालातों में मायावती एक मजबूत दावेदार बन सकती हैं।

    मायावती और केशव प्रसाद मौर्य
    फूलपुर की सीट छोड़ेंगे मौर्य

    हाल ही में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा पटना में आयोजित की गई “भाजपा हटाओ, देश बचाओ” रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती नहीं शामिल हुई थी। उनकी गैरमौजूदगी से विपक्षी एकता को झटका लगा था। हालाँकि वो पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह भाजपा के खिलाफ हैं। वो किसी भी गठबंधन में तभी शामिल होंगी जब सीटों का बँटवारा तय हो जाए। फूलपुर उपचुनावों में उनकी दावेदारी पर सपा और कांग्रेस उनके साथ आ सकते हैं। वर्तमान परिदृश्य में विपक्ष के लिए उनसे बेहतर किसी और उम्मीदवार का विकल्प नजर नहीं आता है। जातीय वोटों का समीकरण और विपक्षी पार्टियों का साथ उनके इस कदम को और मजबूत बनाते हैं और ये प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर जा चुकी बसपा के वापसी की शुरुआत हो सकती है।

    बेमानी होगा गोरखपुर में किसी से उम्मीद करना

    सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर संसदीय सीट से लोकसभा सांसद बने थे। वह तब से 5 बार गोरखपुर सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके प्रतिद्वंदी कभी उनके आधे मतों तक नहीं पहुँच सके हैं। उन्होंने बतौर सांसद अपने कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र के विकास के लिए बहुत से कार्य किए हैं। वह देश में हिंदुत्व राजनीति के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं। गोरखपुर और पूर्वांचल के कई जिलों में उनकी संस्था सामजिक कल्याण के कई कार्यक्रम चलाती है। ऐसे में दशकों से भगवा रंग में रंगे गोरखपुर लोकसभा सीट पर किसी अन्य रंग के चढ़ने की अपेक्षा करना सरासर बेमानी होगी।

    योगी आदित्यनाथ
    योगी आदित्यनाथ

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।