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    भोपाल, 2 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में आज से ठीक दो साल पहले नर्मदा नदी के किनारे सात करोड़ से ज्यादा पौधे रोपने का तत्कालीन राज्य सरकार ने रिकार्ड बनाने का दावा किया था।

    मगर इन सात करोड़ में से दो साल बाद कितने पौधे जीवित हैं, इसकी जांच शुरू हो गई है। वन मंत्री उमंग सिंघार ने पिछले दिनों अपने जंगल भ्रमण के दौरान जो तस्वीर सामने रखी, वह चौंकाने वाली थी। रोपे गए पौधों में से मात्र लगभग 20 प्रतिशत पौधे ही जीवित पाए गए।

    राज्य में दो साल पहले यानी दो जुलाई, 2017 को नर्मदा कछार में हुए पौधरोपण का बड़ा शोर हुआ था। इस दिन सात करोड़ 10 लाख पौधे रोपे जाने का दावा किया गया था। कांग्रेस शुरुआत से ही इस पौधारोपण पर सवाल उठाती आ रही है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए गए वचन पत्र में पौधरोपण की जांच कराने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव के कारण जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई थी।

    अब नर्मदा कछार में हुए पौधारोपण का जिन्न एक बार फिर बाहर निकला आया है। बीते दिनों वन मंत्री उमंग सिंघार ने बैतूल जिले के शाहपुरा क्षेत्र के जंगल का जायजा लिया था। सूत्रों का कहना है कि सिंघार के इस भ्रमण के दौरान दो साल पहले रोपे गए 15,625 पौधों में सिर्फ 2,343 पेड़ ही जीवित मिले। इलाके में 9,985 गड्ढे मिले। इस तरह गड्ढे भी लगभग 60 फीसदी मिले।

    वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, रोपे गए पौधों के मुकाबले मुश्किल से 20 प्रतिशत पौधे जीवित पाए जाने पर वन मंत्री सिंघार ने जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच सात दिनों में पांच जुलाई तक पूरी होनी है। मंत्री की ओर से अधिकारियों को दिए गए आदेश में कहा गया है कि बैतूल जिले में पौधारोपण की जो तस्वीर सामने आई है, उसके चलते यह जरूरी हो जाता है कि दो जुलाई, 2017 को जहां-जहां पौधे रोपे गए थे, उनकी जांच कराई जाए।

    वन विभाग के सूत्रों का कहना है, “अगर राज्य के अन्य हिस्सों में भी बैतूल जैसे हालात पाए जाते हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। विभागीय नियम है कि अगर 20 प्रतिशत या उससे कम पौधे जीवित बचे हैं तो उसके लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारी हैं। इस स्थिति में विभाग संबंधित अधिकारी से वसूली भी कर सकता है।”

    ज्ञात हो कि राज्य में सत्ता बदलाव के बाद 10 मई, 2019 को वन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने प्रतिवेदन पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि दो जुलाई, 2017 को रोपे गए पौधों में से 50 प्रतिशत से कम पौधे जीवित पाए गए हैं।

    वन मंत्री सिंघार ने वन विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि क्षेत्रवार वृक्षारोपण का मूल्यांकन कराया जाए, और जिस क्षेत्र में जीवित पौधे कम पाए जाएं उन क्षेत्रों के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

    ज्ञात हो कि नर्मदा कछार के 24 जिलों में सात करोड़ 10 लाख से पौधे रोपे गए। ये पौधे एक लाख 17 हजार 293 रोपण स्थलों पर रोपे गए।

    रोपित पौधों में से वन विभाग ने तीन करोड़ 5 लाख 54 हजार 825, वन विकास निगम ने 15 लाख चार हजार 105, ग्रामीण विकास विभाग ने एक करोड़ 70 लाख 19 हजार 724, कृषि विभाग ने पांच लाख 16 हजार 594, उद्यानिकी विभाग ने 34 लाख 79 हजार 642, जन अभियान परिषद ने 14 लाख 63 हजार 839 और अन्य सामाजिक-स्वयंसेवी संगठनों, धाíमक संस्थाओं, शासकीय संस्थाओं, महिला मंडल, क्लब्स और निजी लोगों ने भी पौधे रोपे थे।

    उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने, नदी के प्रवाह को अविरल बनाए रखने और नर्मदा कछार क्षेत्र में जैव-विविधता के संरक्षण के प्रति जन-मानस को जागरूक करने के लिए 11 दिसंबर, 2016 से 15 मई, 2017 तक नर्मदा तट के मध्यप्रदेश के 16 जिलों में नर्मदा सेवा यात्रा निकाली थी।

    यात्रा के समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 मई, 2017 को अमरकंटक में शामिल हुए थे। कार्यक्रम में राज्य सरकार की नर्मदा सेवा मिशन की कार्ययोजना भी जारी की गई थी। उसी के तहत दो जुलाई, 2017 को पौधे रोपे गए थे।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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