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    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को राहत देते हुए उन्हें एक सप्ताह के अंदर पुराने हॉस्टल मैनुअल के अनुसार अगले सेमेस्टर में पंजीकरण कराने की अनुमति दे दी।

    न्यायमूर्ति राजीव शकदर ने कहा, “जहां तक शेष छात्रों का सवाल है, उन्हें पुराने मैनुअल के अनुसार एक सप्ताह के अंदर पंजीकरण करने की आवश्यकता है। उनसे कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा।”

    कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 28 फरवरी को करेगा।

    अदालत जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष और अन्य छात्रों द्वारा शीतकालीन सेमेस्टर-2020 में पंजीकरण के लिए जेएनयू प्रशासन को छात्रों पर विलंब शुल्क लगाने से रोकने के लिए अदालत के निर्देश की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिका में विश्वविद्यालय से किसी भी कार्रवाई को करने से रोकने के दिशानिर्देश की भी मांग की गई थी।

    20 जनवरी को विश्वविद्यालय में शीतकालीन सेमेस्टर के लिए पंजीकरण की समय सीमा समाप्त होने के तीन दिन बाद, प्रशासन ने दावा किया था कि कुल 8,500 नामांकित छात्रों में से 82 फीसदी ने अपने छात्रावास की बकाया राशि चुका दी है।

    प्रशासन ने कहा कि इस संख्या के और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि पंजीकरण अभी भी खुला है, लेकिन लेट फीस के साथ।

    जेएनयू प्रशासन ने एक बयान में कहा, “जेएनयू में 8,500 छात्रों में से 82 फीसदी छात्रों ने सोमवार को शीतकालीन पंजीकरण के लिए अपने छात्रावास की बकाया राशि चुका दी है।”

    जेएनयू ने 16 जनवरी को शीतकालीन सत्र के लिए छात्र पंजीकरण की अंतिम तिथि 17 जनवरी तक बढ़ा दी थी। पांच जनवरी की मूल समय सीमा के बाद तीसरी बार इस विस्तार की घोषणा की गई थी।

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