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    लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पास हो गया। लेकिन इससे पहले सदन में बिल को पेश करते हुए केन्द्रीय क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष को सिर्फ राजनीति के लिए इस ऐतिहासिक बिल का विरोध नहीं करना चाहिए, साथ ही उन्होंने विपक्ष के उस आरोप को भी खारिज कर दिया कि इस बिल के जरिये एक ख़ास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि इस बिल का उद्धेश्य है “नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी सम्मान”

    विपक्ष द्वारा उठाए गए आपत्तियों पर, प्रसाद ने संसद द्वारा पारित अन्य कानूनों जैसे नाबालिगों के साथ बलात्कार करने वालों के लिए मौत की सजा, दहेज़ के लिए आपराधिक दंड का उल्लेख किया और पूछा, “ये आपत्ति सिर्फ तीन तलक पर ही क्यों?”

    उन्होंने कहा कि ना तो ये बिल किसी धर्म विशेष को निशाना बनाने के लिए है और ना वोट बैंक के लिए। 20 से अधिक इस्लामिक देशों में तत्काल तीन तलाक पर प्रतिबन्ध है तो फिर भारत जैसे सेक्युलर देश में  ये अब तक क्यों जारी है?

    विपक्षी सदस्यों पर कटाक्ष करते हुए, प्रसाद ने कहा कि वह ठोस सुझावों के लिए उन्हें गौर से सुन रहे थे, लेकिन कोई नहीं आया। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा कुछ चिंताओं को उठाए जाने के बाद सरकार ने 2017 में लाए गए विधेयक में पहले ही संशोधन कर दिया था कि यदि पीड़ित महिला और उसके पति के बीच समझौता होता है, तो मामला वापस लिया जा सकता है।

    क़ानून के दुरुपयोग के सवाल को खारिज करते हुए कहा, इस विधेयक में कहा गया है कि केवल पत्नी और उसके करीबी रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज कर सकते हैं।

    भाजपा संसद मीनाक्षी लेखी ने बिल के पक्ष में सबसे अधिक समय तक अपनी बात रखी। कुरान के कुश अंश, इस्लामिक क़ानून और कविताओं के जरिये उन्होंने बिल के पक्ष में अपने तर्क रखे। उन्होंने कहा “यह सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में नहीं बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले सशक्तिकरण के बारे में बात कर रही है …” जब भी हम लैंगिक न्याय से संबंधित विषयों पर चर्चा कर रहे हैं, यह मर्द बनाम औरत का मुद्दा नहीं है। ये मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा है।

    उन्होंने तीन तालक की प्रथा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि तलाक के लिए सर्वोच्च अधिकार केवल मर्दों को ही कैसे दिया दिया गया है। लेखी ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य न केवल दंडात्मक है, बल्कि सुधारवादी भी है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विपक्षी सदस्य यह नहीं मानते हैं कि लोगों के लिए पहले संविधान, फिर कोई धर्म होना चाहिए।

    अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तीन तालक की प्रथा इस्लामिक कानून पर आधारित नहीं है, बल्कि “कू-नीती” (सामाजिक बीमार) है। विपक्ष के इस तर्क पर कि जेल में बंद व्यक्ति रखरखाव के लिए भुगतान नहीं कर सकता, उन्होंने पूछा, “आखिर अपराध करना ही क्यों कि जेल जाना पड़े।”

    जनवरी 2017 से ट्रिपल तालक के 477 उदाहरणों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ऐसा एक भी मामला नहीं होना चाहिए। उसने कहा, “यह (तीन तलाक) विशेष रूप से तल्ख-ए-बिद्दत धर्मशास्त्र में खराब पाया गया है और सुप्रीम कोर्ट की नज़र में बुरा पाया गया है। मैं चाहती हूँ कि ये इस सडन की नज़रों में भी खराब हो।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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