ताइवान को चीन अपने भूभाग का हिस्सा मानता है और उसे हथियाने के लिए हर हथकंडे का इस्तेमाल करता है। तैवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ‘एक राष्ट्र, दो प्रणाली’ के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। चीनी राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव के तहत शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए कहा था।
ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा कि द्वीप की 2.3 करोड़ जनता चीन के इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि चीन को ताइवान की अस्तित्व के तथ्य का सामना करना होगा, वह ताइवान की जनता द्वारा निर्मित लोकतान्त्रिक राष्ट्र की प्रणाली को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता है।
एक देश, दो प्रणाली का हांगकांग से ली गयी है, हांगकांग चीनी क्षेत्र फल का हिस्सा है लेकिन उसने अपनी स्वायत्तता को बरकरार रखा है। तैवान और चीन एक गृह युद्ध के दौरान अलग हो गए थे, जब साल 1949 में कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में आई थी। विरोधी राष्ट्रवादियों ने ताइवान में अपनी सरकार का गठन किया, ताइवान का द्वीप चीन से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान की आज़ादी एक आपदा बनकर उभर सकती है, इसक शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे सुरों में कहा कि चीन ताइवान में बल का प्रयोग करना बंद नहीं करेगा।
ताइवान की नीति की 40 वीं वर्षगांठ पर भाषण में शी जिनपिंग ने कहा कि एकीकरण चीन की “वन नेशन, टू सिस्टम” सिद्धांत के तहत होना चाहिए, जिसमे तैवान चीन का भाग है। उन्होंने कहा तैवान के सभी लोगों को इस बात का भान होना चाहिए कि ताइवान की आज़ादी उनके लिए खुद ढूंढी हुई आपदा हो सकती है।