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    ताइवान के जलमार्ग से गुजरा अमेरिकी जहाज

    अमेरिका की नौसेना ने बुधवार को ताइवान के जलमार्ग पर दो जहाजों को भेजा था। अमेरिका का संवेदनशील जलमार्ग पर गश्त का हालिया नमूना था और इससे चीन क्रोधित हो सकता है। दो सर्वोच्च वैश्विक मशक्तियों के बीच व्यापार युद्ध के कारण सम्बन्ध तनावग्रस्त हो रखे हैं।

    अमेरिका-चीन संबंधों के कड़वाहट का एक अन्य मसला ताइवान भी बनकर उभर रहा है। हालाँकि चीन दक्षिणी चीनी सागर पर अपनी गतिविधियों में इजाफा कर रहा है। अमेरिका इस विवादस्पद जलमार्ग पर नौचालन की आज़ादी के गश्त करता रहता है।

    स्वायत्त ताइवान को ट्रम्प प्रशासन का समर्थन है और इससे तायपेई और बीजिंग के बीच गतिरोध बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि विध्वंशक और  नौसेना का तेल टैंकर वॉटर एस दीहल भेजा था। उन्होंने कहा कि “यह जहाज ताइवान के जलमार्ग से गुजरे थे और यह अमेरिका की मिक्त और खले इंडो पैसिफिक की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन था।”

    ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दो अमेरिकी जहाजों ने ताइवान के उत्तरी जलमार्ग से नौचालन किया था। ताइवान की सेना ने परिचालन पर निगरानी राखी थी और कुछ भी असामान्य घटित नहीं हुआ था। चीन ने इस पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

    अमेरिका के युद्धपोत ताइवान के जलमार्ग में एक महीने में एक बार नौचालन जरूर करते हैं और अमेरिका ने यह सिलसिला बीती जुलाई में नियमित तौर पर शुरू किया था। अमेरिका के ताइवान के साथ कोई आधिकारिक सम्बन्ध नहीं है।  पेंटागन के मुताबिक, साल 2010 से अमेरिका ने तायपेई को 15 अरब डॉलर से हथियार बेचे हैं।

    ताइवान को चीन अपने भूभाग का हिस्सा मानता है और इसके लिए वह जरुरत पड़ने पर ताकत के इस्तेमाल की धमकी भी देता है। बीजिंग ने कहा की ताइवान के जलमार्ग से गुजरा फ्रांस का युध्दपोत गैरकानूनी है।

    ताइवान के घेरे में चीन लगातार जंगी विमान और जहाजों को अभियान के लिए भेजता है। बीते कुछ वर्षों ने चीन ने ताइवान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया है और अब उसके चंद कूटनीतिक साझेदार ही शेष है। अमेरिका का रक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष के शुरुआत में रिपोर्ट जारी कर कहा कि चीन के सैन्य आधुनिकरण के लिए ताइवान एक प्रमुख महत्व है।

    बुधवार को चाइना डेली के आर्टिकल के मुताबिक अमेरिका की उत्तेजना पर चीन बेहद संयम बारात रहा है। दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि चीन के दरवाजे पर खड़े अमेरिका के युद्धपोतों के साथ को प्रत्यक्ष संघर्ष नहीं होगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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