जब से भाजपा ने वेंकैया नायडू को एनडीए का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया था तभी से पूरे देश की नजर दक्षिण भारत पर टिक गई थी। कुछ लोग इसे भाजपा का ‘मिशन साउथ’ कह रहे थे वहीं कुछ इसे मोदी का ‘मास्टर स्ट्रोक’ बता रहे थे। दरअसल वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी का सबसे ज्यादा असर तमिलनाडु की राजनीति पर होने वाला था।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल-पुथल मच गई थी। जयललिता की विश्वासपात्र शशिकला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम को अपदस्थ कर उनकी जगह अपने विश्वासपात्र ई पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया। इससे नाराज होकर पनीरसेल्वम ने बगावत तेवर अपना लिए और एआईएडीएमके दो गुटों में बँट गई। एक गुट का नेतृत्व ओ पनीरसेल्वम कर रहे थे वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व ई पलानीस्वामी ने संभाला। शशिकला आजकल जेल में हैं और यह दोनों गुट खुद को नेतृत्वविहीन महसूस कर रहे थे। ऐसे में भाजपा ने पार्टी महासचिव मुरलीधर राव के माध्यम से एआईएडीएमके को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा। दोनों ही गुट भाजपा से गठबंधन करने को आतुर थे क्योंकि राज्य में उनकी विपक्षी डीएमके पहले से ही कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी थी। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में दोनों धड़ों ने एनडीए उम्मीदवारों का समर्थन किया था। दोनों धड़े किसी भी वक़्त भाजपा के साथ आने को तैयार थे पर भाजपा दोनों धड़ों को एक साथ लाना चाहती थी।
भाजपा पिछले काफी वक़्त से तमिलनाडु में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है और पिछले लोकसभा चुनावों में उसे कन्याकुमारी में जीत भी हाथ लगी थी। यह पहला मौका था जब भाजपा को तमिलनाडु में किसी सीट पर जीत मिली हो। ऐसे में तमिलनाडु की राजनीति में मची उठापटक भाजपा के लिए स्वर्णिम अवसर साबित हुई और वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी ने ‘मौके पर चौका’ का काम किया। भाजपा इन दोनों धड़ों को साथ लाने की अपनी कोशिश में सफल होती दिख रही है।
वरिष्ठ एआईएडीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री डी जयाकुमार ने कहा है कि ई पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने रहेंगे और ओ पनीरसेल्वम को उपमुख्यमंत्री का पद मिल सकता है। केंद्र में भाजपा-एआईएडीएमके का गठबंधन होगा और कैबिनेट में एआईएडीएमके को भी जगह मिलेगी। यह सब 15 अगस्त के पहले तक हो जायेगा। बता दें कि अगस्त के पहले सप्ताह में केंद्रीय मन्त्रिमण्डल का विस्तार होना था जिसे फिलहाल ताल दिया गया है। इसमें जेडीयू और एआईएडीएमके को कैबिनेट में जगह मिलने की सम्भावना जताई जा रही थी। अगर भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन हो जाता है तो भाजपा को देश की तीसरी और दक्षिण भारत की सबसे बड़ी पार्टी का साथ मिल जायेगा और उसके लिए 2019 की राह और आसान हो जाएगी।