टेलीकॉम सेक्टर के विशेषज्ञों की मानें तो इसी वित्तीय वर्ष के अंत तक टेलीकॉम सेक्टर से 60 हज़ार नौकरियाँ गायब होती दिख सकती हैं। इसके चलते ऑपरेटरों, खुदरा विक्रेताओं व टावर कंपनियों से संबन्धित करीब 60 हज़ार नौकरियों को खत्म किया जा सकता है।
इसका सबसे बड़ा कारण है कि अब टेलीकॉम कंपनियाँ अपने स्टाफ को सीमित व अपने साथ सिर्फ अधिक कुशल लोगों को ही रखना चाहती हैं। इसी के साथ अब टेलीकॉम कंपनियाँ डाटा और आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नए सिरे से लोगों की नियुक्ति करना चाहती हैं।
इसके तहत इस वित्तीय वर्ष के अंत तक या यूँ कहें कि अगले वर्ष 31 मार्च तक करीब 65 हज़ार लोग अपनी नौकरी खो देंगे। इन लोगों में कस्टमर सपोर्ट व फ़ाइनेंस से जुड़े लोगों की संख्या अधिक होगी। अनुमान है कि इन दोनों ही सेक्टर से क्रमशः 8 हज़ार व 7 हज़ार नौकरियों का क्षय होगा।
हालाँकि इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह से कंपनियों के ऊपर से ज़िम्मेदारी भी कम हो जाएगी, जिसके चलते कंपनियां फिर नए सिरे से नए लोगों को अपने साथ जोड़ पाएँगी। अभी माना जा रहा है कि नौकरियों के घटने का क्रम वर्ष 2020 तक चलता रह सकता है। अभी तक करीब 15 से 20 हज़ार लोग इस सेक्टर में अपनी नौकरियाँ गँवा चुके हैं।
वहीं सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यू ने कहा है कि “टेलीकॉम सेक्टर का बुरा समय लगभग गुज़र चुका है, इसी के साथ अब टेलीकॉम कंपनियाँ एआई, 5जी व बिग डाटा जैसे क्षेत्रों में अपने कदम बढ़ाना चाहतीं हैं।”
टेलीकॉम सेक्टर में इस वक़्त औसतन 25 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं, लेकिन अब कंपनियाँ नए लोगों को भर्ती करते समय इस बात का ध्यान रख रहीं है कि वो अति कुशल ही हों।