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    जेट एयरवेज संकट

    भारी कर्ज़ में डूबी भारतीय एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज़ ने अपने घाटे के चलते कुछ रूट पर अपनी सेवाओं को बंद करने का फैसला किया है। ये सभी रूटों से जेट एयरवेज़ को औसतन कम मुनाफ़ा मिल रहा था।

    अपने राजस्व को तेज़ी से बढ़ाने की रणनीति के तहत जेट द्वारा उठाया गया ये कदम संचालन से एयरवेज़ के संचालन में आने वाली लागत में भी कमी आएगी।

    देश की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज़ ने इसी सोमवार को लगातार तीसरी तिमाही में भी अपने घाटे की घोषणा की थी। कंपनी का कहना है कि कमजोर रुपये और विमान ईंधन के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते कंपनी के लिए मुनाफ़ा इकट्ठा करना नामुमकिन है।

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    हालाँकि तमाम रूट पर अपनी सेवाएँ बंद करने के साथ ही जेट ने इसकी घोषणा बकायदा एक रिलीज़ जारी कर की है।

    इसके बाद अब जेट को उम्मीद है कि वह अधिक मुनाफे वाले रूट पर अपनी सेवाएँ देने से जेट एयरवेज़ अपने राजस्व में भी बढ़ोतरी कर पाएगी।

    मालूम हो कि जेट एयरवेज़ में एतिहाद एयरवेज़ की बड़ी हिस्सेदारी है। इस बाबत जानकारी स्पष्ट करते हुए जेट एयरवेज़ के सीईओ विनय दुबे का कहना है कि “अब हम सिर्फ मुनाफे पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, इसके चलते हमें परिस्थितियाँ बदल जाने का अनुमान है।”

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    वहीं दूसरी ओर भारत के बाज़ार में जेट एयरवेज़ के सामने चुनौती पेश कर रही प्रतिद्वंदी एयरलाइन इंडिगो ने हाल में अपने बेड़े को बढ़ाने के उद्देश्य से एयरबस ए320 की खरीद करने का निर्णय किया है।

    जेट ने पिछली तिमाही में 12.97 अरब रुपये का नुकसान घोषित किया है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में जेट ने 4,963 लाख रुपये का नुकसान घोषित किया था।

    मालूम हो कि जेट ने अपने खर्चों को कम करने का बीणा उठाया था, इसके चलते कंपनी ने बतया है कि जेट दो सालों में 20 अरब रुपये बचाने के लक्ष्य के पास में ही है।

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