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    रूस और अमेरिका

    अमेरिका के आला अधिकारीयों के हवाले से रायटर्स ने रिपोर्ट प्रकाशित की कि “अमेरिका और रूस के प्रतिनिधियों की बुधवार को जिनेवा में मुलाकात तय है। इसमें परमाणु हथियारों को सीमित करने के नए विचार पर चर्चा की जाएगी और इसमें चीन के शामिल होने की भी सम्भावना है।”

    परमाणु संधि के बाबत चर्चा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह रूस और चीन के साथ भावी पीढ़ी हथियार सीमा समझौते को करना चाहते हैं, जिसमे सभी प्रकार के परमाणु हथियार शामिल हो। उन्होंने बीते महीने ओसाका में जी-सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस मामले में अलग-अलग बातचीत कर ली है।”

    अधिकारी ने बताया कि “अमेरिका और रूस के साथ परमाणु संधि में चीन शामिल नहीं होगा और यह भी अस्पष्ट है कि बीजिंग इस बातचीत में कितना सहयोग करेगा। एक बेहतरीन मुलाकात स्पष्ट कर देगी कि चीन के साथ चीजे रूस के लिए कहा है।”

    अमेरिका के राज्य विभाग के उपसचिव जॉन सुल्लिवन इस प्रतिनिधि समूह का नेतृत्व करेंगे, इसमें व्हाइट हाउस सुरक्षा परिषद के आला सहयोगी, पेंटागन के प्रतिनिधि, जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और अमेरिकी अधिकारी होंगे। रूस के उप विदेश मंत्री सेर्गेई रयाब्कोव रूस के प्रतिनिधि समूह का मार्गदर्शन करेंगे।

    अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “हमें सच में महसूस होता है, हम उस बिंदु पर पंहुच गए हैं जहां से हम दोबारा बातचीत के सिलसिले को शुरू कर सकते हैं।” अमेरिका और रूस के बीच कई सालो से सम्बन्ध बेहद खराब है। साल 2014 में रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया को छीन लिया था और सीरिया की जंग में राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन किया था।

    ट्रम्प रूस के साथ बेहतर सम्बन्ध चाहते हैं लेकिन दो साल की 2016 में हुए जांच में पाया कि रूस के प्रभुत्व में ट्रम्प की डेमोक्रेटिक सांसद हिलेरी क्लिंटन को हराने के लिए अभियान चलाया था। हालाँकि क्रेमलिन ने इसमें शामिल होने से इंकार किया था।

    रूस-अमेरिकी सम्बन्ध

    रूस के पूर्व जासूस और उसकी बेटी को ब्रिटेन में जहर देने से दोनों देशों के सम्बन्ध बिगड़ गए थे। दो हफ्ते पूर्व ही अमेरिका ने शीत युद्ध के दौरान हुई इंटर मिडीयेट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज संधि के तहत दोनों देशों को शोर्ट रेंज और इंटर मिडीयेट रेंज न्यूक्लियर और कन्वेंशनल मिसाइल को हटाना था।

    अमेरिका के विभागों को यकीन है कि मोस्को ने ग्राउंड लांच सिस्टम को विकसित और इसकी तैनाती करेगा, यह आईएनएफ संधि का उल्लंघन है। रूस ने इस प्रकार के उल्लंघन से इंकार किया है। आईएनएफ संधि में किसी प्रकार की वापसी की सम्भावना नहीं है।

    अमेरिकी अधिकारीयों ने साल 2011 से इस संधि को नवीनीकरण पर चर्चा की योजना नहीं बना रहा है, यह अमेरिका-रूस आर्म्स कंट्रोल पैक्ट हैं जिसमे रणनीतिक परमाणु हथियारों की तैनाती को सीमित किया गया है। एक अधिकारी ने पत्रकार से कहा कि “एक नई शुरुआत के बारे में बात करना, अपरिपक्वता होगी। यह संधि फ़रवरी 2021 में समाप्त होगी। अगर दोनों पक्ष राज़ी हुए तो इसे पांच वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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