Fri. Apr 26th, 2024
जापानी प्रधानमंत्री

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस सप्ताह ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खमेनेई और राष्ट्रपति रूहानी से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात का मकसद क्षेत्रीय तनाव को कम  करना है और जानकारों के मुताबिक जापानी नेता का यह कदम काफी सराहनीय है।

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव हाल ही में काफी बढ़ गया था। वांशिगटन ने ईरान और वैश्विक ताकतों के साथ साल 2015 में की गयी परमाणु संधि को तोड़ दिया था और तेहरान पर वापस सभी प्रतिबंधों को थोप दिया था। जापानी पीएम बुधवार से शुक्रवार तक ईरान की यात्रा पर होंगे।

41 वर्षों में यह जापानी प्रधानमंत्री की पहली मुलाकात होगी। टोक्यो और तेहरान के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है और इस वर्ष दोनों के कूटनीतिक सबंधों की 90 वीं सालगिरह का आयोजन होगा। प्रमुख कैबिनेट सेक्रेटरी योशिहिदे सुगा ने मंगलवार मंगलवार को ऐलान किया था।

उन्होंने कहा कि “मध्य पूर्व में तनाव के बढ़ने के साथ ही हमारी योजना क्षेत्रीय ताकत ईरान को प्रोत्साहित करने की है और आला नेताओं की बैठक में तनाव को कम करने की तरफ बढ़ेंगे। शिंजो आबे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से फ़ोन पर ईरान के बाबत चर्चा की थी।”

डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते वर्ष चार दिनों की जापान की यात्रा की थी और जापान से ईरान के साथ समझौता करने में मदद करने की मांग की थी।  कूटनीतिक जानकारों ने कहा कि “आबे एक अद्वितीय स्थिति में है, डोनाल्ड ट्रम्प के ` करीबी सम्बन्धो का शुक्रिया, जिन्होंने पदाभार संभालते ही सम्बन्धो को बेहतर किया है और टोक्यों के ईरान के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है।”

वांशिगटन में विल्सन सेंटर के जापानी फेल्लो तोशिहिरो नकयामा ने कहा कि “आबे एक संदेशवाहक का किरदार निभाने और तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक उम्दा कदम है। मेरे ख्याल से इस कदम से ट्रम्प के साथ निजी संबंधों में विश्वास उत्पन्न होगा।”

जापान मध्य पूर्व में स्थिरता की चाहत रखता है क्योंकि तेल का निर्यात इस क्षेत्र से होता है। हालाँकि अमेरिकी प्रतिबंधों से खौफजदा होने के कारण उन्होंने इस वर्ष ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया था। जापानी राष्ट्रपति को ईरान और अमेरिका के बीच सीधे बातचीत में सफलता हासिल हो सकती है।

जर्मनी के विदेश मंत्री हैको मॉस ने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के बाद कहा कि “क्षेत्र के हालात काफी विस्फोटक और संजीदा है। मौजूदा तनावों में वृद्धि के साथ यह सैन्य तनावों में परिवर्तित हो सकते हैं।”

मॉस के साथ बैठक के दौरान राष्ट्रपति हसन रूहानी ने तनाव के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि “यूरोपीय हस्ताक्षर करने वाले देशों ने अमेरिका द्वारा ईरान पर थोपी गयी आर्थिक जंग को दरकिनार कर दिया है।”

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *