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    चिदंबरम मोदी

    देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि “नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जारी की गयी जनधन योजना महज एक ‘जुमला’ है, इन खातों का इस्तेमाल नोटबंदी के बाद काले धन को ठिकाने लगाने के लिए किया गया था।”

    पी चिदम्बरम ने इसी के साथ कहा है कि “भाजपा सरकार द्वारा की गयी नोट बंदी एक ‘बड़ी धोखाधड़ी’ थी, जिससे देश की जनता को किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं पहुंचाया गया।”

    इसी के साथ पूर्व वित्तमंत्री ने बताया है कि माना जा रहा था कि जमा हुई धनराशि पर किसी भी तरह का खर्च नहीं आएगा, लेकिन 31 दिसंबर 2016 तक एसबीआई ने इन सभी खातों की देख-रेख के एवज में अकेले 775 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस तरह से भाजपा सरकार की इस योजना का खामियाजा देश की बैंकों को भी भुगतना पड़ा है।

    उन्होने बताया है कि देश में निम्न वर्गीय परिवारों को ध्यान में रखते चालू की गयी जन धन योजना के खातों में 8 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक 42,187 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।

    इसी के साथ चिदम्बरम ने कहा है कि “इन खातों की जांच को देश के वित्त सचिव ने यह कह कर नकार दिया कि इसमें समय की अधिक खपत होगी।”

    आगे बताते हुए पी चिदम्बरम ने कहा कि “दिसंबर 2016 तक 24 प्रतिशत खातों में कोई रुपया नहीं जमा था, ऐसे खातों से जुड़ी किसी भी तरह की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है।”

    मालूम हो कि वर्तमान में हर 5 में से 1 जन धन खाता अब निष्क्रिय अवस्था में है। इन निष्क्रिय खातों की संख्या 6.1 करोड़ है।

    जनधन योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से घोषणा करते हुए की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के गरीब या निम्नवर्गीय परिवारों के साथ ही देश के हर परिवार के पास तक बैंक खातों की सुविधा को पहुंचाना है।

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