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    भोपाल, 9 जुलाई (आईएएनएस)| मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आमजन की समस्याओं के समाधान और लापरवाह अफसरों-कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के लिए मंगलवार से जन अधिकार कार्यक्रम की शुरुआत की। पहले कार्यक्रम में ही मुख्यमंत्री के सामने हितग्राहियों की समस्याओं की तस्वीर उभरकर सामने आ गई।

    मुख्यमंत्री जन-अधिकार कार्यक्रम के तहत हर माह के दूसरे मंगलवार को अधिकारियों व हितग्राहियों से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सीधे संवाद करेंगे। वहीं मुख्यमंत्री ने ‘आपकी सरकार-आपके द्वार’ कार्यक्रम के तहत जिलाधिकारियों को हर माह दो बार विकासखंड और गांवों का दौरा करने के निर्देश दिए।

    जन-अधिकार कार्यक्रम में मंगलवार को कमलनाथ को हितग्राहियों ने पिछले सालों की सूखा राहत राशि से लेकर उपार्जन की राशि का भुगतान न किए जाने, छात्रवृत्ति न मिलने जैसी समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने 10 जिलों के 12 हितग्राहियों की समस्याओं का समाधान किया।

    कमलनाथ ने टीकमगढ़ जिले के किसान दीनदयाल गुप्ता से संवाद किया तो उसने बताया कि वर्ष 2017 की सूखा राहत राशि नहीं मिली है। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। कलेक्टर ने मुख्यमंत्री को बताया कि जिले में 3325 किसानों को 55 लाख रुपये देने बाकी हैं।

    मुख्यमंत्री ने शहडोल के प्रभुलाल यादव को कर्मकार मंडल द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति समय पर न मिलने पर भी नाराजगी जाहिर की।

    इस मौके कमलनाथ ने कहा, “जनहित के काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को प्रचारित करें, ताकि आम लोगों को पता चले और अन्य लापरवाह अधिकारियों को भी सबक मिले।”

    मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में प्राप्त शिकायतों और समस्याओं का समाधान शत-प्रतिशत होना चाहिए।

    जनाधिकार कार्यक्रम में कमलनाथ ने हितग्राहियों से पूछा कि शिकायत दर्ज कराने से लेकर समाधान मिलने तक कितना समय लगा और किन-किन जगह विलंब हुआ। उन्होंने कलेक्टरों से कहा, “शिकायतें आने पर ही निराकरण करने की संस्कृति को समाप्त करें। जिलों के सेवा प्रदाय तंत्र को ऐसा चुस्त-दुरुस्त रखें कि शिकायतों की संख्या निरंतर कम होती जाए।”

    कमलनाथ ने ‘आपकी सरकार-आपके द्वार’ कार्यक्रम के संबंध में कलेक्टरों से कहा कि वे महीने में दो बार किसी एक ब्लाक और गांव में जाकर लोगों की समस्याएं सुनने और तत्काल निराकरण के प्रयास करें। उन्होंने कलेक्टरों से राज्य मुख्यालय को प्रत्येक माह रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।

    मुख्यमंत्री ने पूर्व से संचालित सीएम हेल्पलाइन 181 की भी समीक्षा की और कहा, “प्रयोग के तौर पर तीन जिलों की अपनी हेल्पलाइन स्थापित करें और इसका परिणाम देखें। इसी प्रकार प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन भी स्थापित की जा सकती है।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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