जसपाल सिंह भट्टी एक भारतीय टेलीविज़न शख्सियत थे जो आम आदमी की समस्याओं पर व्यंग्य बनाते थे। वह अपनी टेलीविजन श्रृंखला ‘फ्लॉप शो’, ‘मिनी कैप्सूल’और ‘उल्टा पुल्टा’ के लिए सबसे ज्यादा मशहूर हैं, जो 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था।
उन्हें आमतौर पर लोग “कॉमेडी का राजा” और “व्यंग्य का राजा” कहते थे। 2013 में, उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म भूषण’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
हालांकि उनका निधन 57 साल की आयु में ही हो गया था लेकिन अपने काम के जरिये वह लोगों के दिलों में आज भी जिन्दा हैं। उनके जन्मदिन पर आइये याद करते हैं ‘मास्टर ऑफ़ सटायर’ जसपाल सिंह भट्टी को।
3 मार्च 1955 को अमृतसर के एक राजपूत सिख परिवार में जन्मे भट्टी ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में स्नातक किया था। भट्टी ने 24 मार्च 1985 को सविता भट्टी से शादी की थी और उनका एक बेटा जसराज भट्टी और एक बेटी, रतिया भट्टी हैं।
उनकी पत्नी सविता भट्टी को 2014 के चुनावों में चंडीगढ़ से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, लेकिन बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया।
1989 :: 'Flop Show' Begins On Doordarshan
It Was Directed by Jaspal Bhatti pic.twitter.com/HbRgi52GeH
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) October 25, 2018
1990 के दशक की शुरुआत में उनकी कम बजट की ‘फ्लॉप शो’ टीवी सीरीज़ आज भी याद की जाती है। उनकी पत्नी सविता भट्टी ने शो का निर्माण किया था और उनकी पत्नी के रूप में सभी एपिसोड में अभिनय भी कियाथा। केवल 10 एपिसोड के इस कार्यक्रम ने टीवी जगत में अपना एक अलग मुकाम बनाया था।
बाद में भट्टी ने दूरदर्शन टेलीविजन नेटवर्क के लिए लोकप्रिय टीवी श्रृंखला ‘उल्टा पुल्टा’ और ‘नॉनसेंस प्राइवेट लिमिटेड’ में अभिनय और निर्देशन किया। भारत में मध्यम वर्ग के रोजमर्रा के मुद्दों को उजागर करने और उसे हास्य रस में पिरोने का उनका अनोखा तरीका दर्शकों को बहुत भाता था।
पंजाब पुलिस पर भट्टी का व्यंग्य ‘महाउल थेके (1999)’ उनकी पहली पंजाबी भाषा में एक फुल-लेंथ फीचर फिल्म थी। यह उनका पहला फिल्म निर्देशन था। इसे अपने सरल और ईमानदार कॉमेडी के लिए दर्शकों के बीच खूब सराहा गया। उन्होंने फिल्म ‘फना’ में एक गार्ड, जॉली गुड सिंह की भूमिका निभाई थी और इसके अलावा उन्होंने ‘कोई मेरे दिल से पूछे ‘में एक कॉलेज प्रिंसिपल की भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कॉमेडी पंजाबी फिल्म जीजाजी में भी अभिनय किया था। उन्हें एक कॉमेडियन के रूप में बॉलीवुड निर्माताओं से कई प्रस्ताव मिल रहे थे लेकिन उन्होंने एक कार्टूनिस्ट, हास्य कलाकार, अभिनेता और फिल्म निर्माता के साथ-साथ एक अभिनेता होने पर ध्यान केन्द्रित किया।
वह राजनीती पर भी व्यंग करने के लिए मशहूर थे। एक बार का बड़ा ही दिलचस्प किस्सा है जब उन्होंने चंडीगढ़ में 2009 के कार्निवल में, भट्टी ने सब्जियां, दाल और तेल का एक स्टाल लगाया। इन महंगे सामानों को पुरस्कार के रूप में जीतने के लिए दर्शकों को उनके आस-पास रिंग फेंकने के लिए आमंत्रित किया गया था, जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सरकार की विफलता पर मज़ाक उड़ा रहे थे।
2009 में, भट्टी स्कूल, मैड आर्ट, कन्या भ्रूण हत्या पर एनीमेशन फिल्म ने 1take मीडिया द्वारा आयोजित एडवांटेज इंडिया में दूसरा पुरस्कार जीता था। इसने मुंबई में IDPA-2008 पुरस्कारों में योग्यता का प्रमाण पत्र जीता था।
पहले गोल्डन केला अवार्ड्स में भट्टी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया था। जसपाल भट्टी को गणतंत्र दिवस 2013 में मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
इतने बड़े कलाकार के अचानक से निधन हो जाने पर मनोरंजन जगत के साथ-साथ पूरा देश निराश था।
25 अक्टूबर 2012 को जालंधर जिले में शाहकोट के पास एक कार दुर्घटना में भट्टी की मृत्यु हो गई थी उस समय वह महज़ 57 साल के थे। कार उनके बेटे जसराज भट्टी द्वारा संचालित की जा रही थी। जसपाल की मृत्यु उनके बेटे जसराज अभिनीत फिल्म ‘पॉवर कट’ की रिलीज से ठीक एक दिन पहले हुई थी।
वह भले आज हमारे बीच नहीं हैं पर अपने फैन्स के दिलों पर वह हमेशा राज़ करते रहेंगे।