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    मोदी कैबिनेट

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट के प्रस्तावित विस्तार पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक नजर आ रहा है कि आखिर किसकी पदोन्नति होती है और किसका पत्ता कटता है। अभी तक 6 मंत्रियों के मन्त्रिमण्डल छोड़ने की पुष्टि हो चुकी है जिसमें कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी, जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार राज्य मंत्री संजीव बलियान और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के नाम शामिल है। हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की पेशकश करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और मौका दे सकते हैं।

    मोदी सरकार
    मोदी सरकार

    भाजपा अब कोई भी कदम 2019 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर उठा रही है और साथ ही वह राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रख रही है। राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी, उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी, बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन और अब तमिलनाडु में एआईएडीएमके के दोनों धड़ों का विलय करा कर साथ लाना 2019 के चुनावों के मद्देनजर भाजपा की बनाई गई रणनीति का हिस्सा है। भाजपा पूरे देश में कमल खिलाना चाहती है और मोदी-शाह के भगवामय भारत के सपने को सच करना चाहती है। कार्यकाल के 3 वर्ष पूरे होने के बाद मोदी सरकार को यह एहसास हो गया था कि अपनी ऐतिहासिक जीत को दोहराने के लिए उन्हें अभी से शुरुआत करनी होगी।

    उत्तर प्रदेश के मंत्रियों की विदाई

    2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत दिलाने में उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान रहा था और भाजपा ने सूबे की 73 लोकसभा सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया था। देश की राजनीति की धूरी कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश को मोदी कैबिनेट में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मिला था। कलराज मिश्र, मनोज सिन्हा और महेंद्र नाथ पाण्डेय जहाँ कैबिनेट में पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे वहीं उमा भारती, मेनका गाँधी, वी के सिंह और संजीव बलियान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चेहरे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पूर्वांचल की वाराणसी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। अब भाजपा यही करिश्मा दूसरे राज्यों में भी दोहराना चाहती है इसलिए उसने कैबिनेट में यूपी के प्रतिनिधित्व में कटौती की है।

    मोदी कैबिनेट
    मोदी कैबिनेट से विदाई

    बिहार के नेतृत्व में फेरबदल

    बिहार से भाजपा के 3 सांसद मंत्री थे। उनमें से एक कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूडी से बहुत उम्मीदें थी और 3 वर्षों के कार्यकाल में रूडी प्रभावी नहीं रहे थे। रोजगार को लेकर शुरुआत से ही विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर रहा है यही और यही वजह थी कि रूडी की मोदी मन्त्रिमण्डल से विदाई हो गई। इसके अतिरिक्त बिहार से आने वाले कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का मंत्रालय बदला जा सकता है। गिरिराज सिंह अपने पद पर बने रहेंगे। हालाँकि खबरों की माने तो बिहार से एक अन्य मंत्री की भी छुट्टी हो सकती है। मोदी सरकार मन्त्रिमण्डल में हर राज्य का प्रतिनिधित्व चाहती है और इसी वजह से बिहार के मंत्रियों के मंत्रालयों में फेरबदल कर सकती है।

    बिहार में हो रहे इस फेरबदल की वजह है जेडीयू का एनडीए में शामिल होना। मन्त्रिमण्डल विस्तार में जेडीयू के 2 सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद है। इनमें नीतीश कुमार के विश्वासपात्र और राज्यसभा में शरद यादव की जगह पार्टी नेता नियुक्त किये गए आरसीपी सिंह को कैबिनेट मंत्री का पद दिया जा सकता है वहीं एक अन्य सांसद को राज्यमंत्री का पद मिलने की संभावना है।

    तमिलनाडु-कर्नाटक की होगी एंट्री

    मोदी मन्त्रिमण्डल के विस्तार के बाद इसमें दक्षिण भारत का तड़का लगने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके शीघ्र ही एनडीए में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकता है। एआईएडीएमके दक्षिण भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है और संसद के दोनों सदनों को मिलाकर इसके 50 सांसद हैं। यह सदन में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। माना जा रहा है कि एआईएडीएमके के 3-4 सांसदों को मोदी मन्त्रिमण्डल में जगह मिल सकती है। भाजपा काफी अरसे से तमिलनाडु में जमीन तलाश रही है और इस खोज में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।

    आगामी वर्ष कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हिंदी-कन्नड़ विवाद और राज्य के लिए अलग झंडे की मांग कर इसे क्षेत्रीयता का रूप दे चुके हैं। भाजपा राज्य में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कर्नाटक से किसी सांसद को कैबिनेट में जगह दे सकती है और किसी नए चेहरे को भी ला सकती है। कर्नाटक का नेतृत्व करने वाले अनंत कुमार को प्रमोट कर बड़ी जिम्मेदारी दी सकती है।

    धर्मेंद्र प्रधान खिलाएंगे उड़ीसा में कमल

    मोदी कैबिनेट में पेट्रोलियम मंत्री का कार्यभार सम्भालने वाले धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा से ताल्लुक रखते हैं। स्थानीय स्तर पर भी उड़ीसा के पार्टी संगठन में धर्मेंद्र प्रधान की अच्छी पकड़ है। उड़ीसा में भी विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में भाजपा धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी भूमिका देकर उड़ीसा के मतदाताओं को साधने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्मेंद्र प्रधान के कार्यकाल में हुए कामों से खुश हैं और वह उन्हें प्रमोट कर सकते हैं। धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी भूमिका देने से उड़ीसा के वोटरों में मजबूत सन्देश जाएगा और स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को भी मजबूत आधार मिलेगा।

    धर्मेंद्र प्रधान
    धर्मेंद्र प्रधान खिलाएंगे उड़ीसा में कमल

    पूर्वोत्तर पर भी है मोदी-शाह की नजर

    हालिया विधानसभा चुनावों के बाद पूर्वोत्तर भारत के दोनों बड़े राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश में भाजपा कब्जा जमा चुकी है। मणिपुर में भी भाजपा सत्ता में है। ऐसे में मन्त्रिमण्डल विस्तार के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन राज्यों का भी ध्यान रखेंगे और उम्मीद है कि इन तीनों राज्यों से काम से काम एक-एक सांसद कैबिनेट का हिस्सा बनेगा। भाजपा पूर्वोत्तर में मिल रहे इन स्वर्णिम अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कैबिनेट में भी सम्पूर्ण भारत के राज्यों की सहभागिता रही थी और वह इसे आगे भी बरकरार रखना चाहेंगे। सरकार ने अभी तक मन्त्रिमण्डल में क्षेत्रवादी रवैया नहीं अपनाया है और उम्मीद है वह आगे भी इसी पर अमल करेगी।

    चुनावी राज्यों को मिल सकती है जगह

    मोदी कैबिनेट में चुनावी राज्यों के सांसदों को भी जगह मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। इन राज्यों में मुख्यरूप से राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश का नाम शामिल है। मोदी कैबिनेट अपने विस्तार के माध्यम से 2019 के कैबिनेट की झलक पेश करना चाहती है और इसलिए मुमकिन है कि कुछ युवाओं को भी कैबिनेट में जगह मिल जाए। इन राज्यों में से गुजरात और राजस्थान में भाजपा की बहुमत सरकार है लेकिन फिर भी आगामी चुनावों को लेकर वह कोई खतरा नहीं उठाना चाहती। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में फूट के आसार नजर आ रहे हैं। ऐसे में भाजपा हिमाचल प्रदेश से लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर को आगे कर कैबिनेट में शामिल कर सकती है। अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश में भाजपा का बड़ा चेहरा हैं और युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय भी हैं।

    अनुराग ठाकुर
    अनुराग ठाकुर

    गैर हिंदी भाषी राज्यों की सीटों पर नजर

    अब इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा का कोई तोड़ नहीं है। देश के 9 प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों में से 8 में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है और बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन सरकार है। ऐसे में इन राज्यों में भाजपा को चिंता करने की कोई खास जरुरत नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह स्पष्ट कह चुके हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं का अगला लक्ष्य 2019 लोकसभा चुनावों में 350+ सीटें जीतने का होना चाहिए। इसके लिए भाजपा अपने आधार क्षेत्रों से परे गैर हिंदी भाषी राज्यों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और केरल को मिलाकर होने वाली 150 सीटों में से भाजपा 120 सीटें हासिल करने के लक्ष्य के साथ चल रही है। मन्त्रिमण्डल विस्तार में इसका प्रत्यक्ष असर देखने को मिल सकता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।